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Updated on: 14 April, 2025 4:03 PM IST
एशियाडॉन बायो-केयर ने गुजरात के सूरत में प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया

एशियाडॉन बायो-केयर ने 11 एवं 12 अप्रैल को गुजरात के सूरत में प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया. यह कंपनी ऑर्गेनिक इनपुट को बनती है जिसका उपयोग प्राकृतिक खेती, जैविक खेती, नैसर्गिक खेती, सजीव खेती, विष रहित खेती में उपयोग किया जाता है. प्रधानमंत्री का आह्वान है 2047 तक आत्मनिर्भर भारत है. जब आत्मनिर्भर कृषि होगी तभी आत्मनिर्भर भारत होगा क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है इसी कड़ी को ध्यान में रखकर अभी हाल ही में कृषि जागरण समूह ने MIONP नमक कार्यशाला का आयोजन पूसा में किया था. आत्मनिर्भर कृषि कम लागत में अच्छा प्राकृतिक उत्पादन, विष मुक्त बिना किसी भी प्रकार के प्रदूषण के प्राप्त करने में कंपनी द्वारा उत्पादित ऑर्गेनिक इनपुट की बड़ी भूमिका है.

एशियाडॉन बायो-केयर का उत्पाद. गुणवत्तापूर्ण है खेती की जरूरत के सभी प्राकृतिक ऑर्गेनिक इनपुट जो खाद बनाने, बीज उपचारित करने, जैव उर्वरक, जैव कीट एवं रोग नियंत्रण में सफल भूमिका निभाते हैं. गत 8 वर्षों से कंपनी किसानों के सेवा में है.

कंपनी के अध्यक्ष बंसल ने बताया कि आज के स्थिति में गुणवत्ता पूर्ण शुद्ध, पौष्टिक भोजन मिलना एक अपने आप में चैलेंज है इसी बात को ध्यान में रखकर हमने इस कंपनी को 8 वर्ष पूर्व लगाया था और यह कंपनी लगातार किसानों की सेवा में है. हम गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बनाते हैं और किसानों को उपलब्ध कराते हैं. इसी संदर्भ में आज सब कर्मचारी गण एकत्र होकर उनका मार्गदर्शन प्राप्त किया. बंसल ने कहा कि हमारा और भी व्यापार है हम उससे अपनी आमदनी तो कर रहे हैं परंतु समाज में भी हमारी कुछ जिम्मेदारी है. जिसके तहत हम महत्वपूर्ण जैविक उत्पाद बनते हैं जो किसानों के लिए, हमारी धरती मां के लिए, प्रकृति के लिए, जीव जंतुओं के लिए किसी भी प्रकार का क्षतिकारक नहीं है.

कंपनी के महाप्रबंधक प्रदीप कुमार सिंह ने पूरी टीम को कंपनी में बनने वाले उत्पाद की प्रक्रिया को फैक्ट्री  विजिट के दौरान विस्तार से समझाया कंपनी गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखती है उनकी अपनी प्रयोगशालाएं हैं हर जगह पर क्वालिटी चेक किया जाता है सब विस्तार से समझाया साथ में लाइओफिलाइज़ेशन टेक्नोलॉजी से उत्पाद तैयार किए जाते हैं जो कंपनी के श्लोगन प्रकृति पुनर्स्थापन हेतु नवाचार को चरितार्थ करता है. जिनसे इन उत्पादों की सेल्फ लाइफ अधिक होती है. किसान उत्पाद को अपने घर में सामान्य तापक्रम पर 2 वर्षों के भीतर कभी भी उपयोग कर सकता है.

पूरी टीम ने कंपनी में बनने वाले उत्पाद की प्रक्रिया को फैक्ट्री में विजिट किया

प्रशिक्षण के दौरान ही टीम के एक सदस्य ने पूछा कि हमारा उत्पाद अन्य कंपनी के उत्पादन से कैसे भिन्न है तब प्रदीप सिंह ने लाइओफिलाइज़ेशन टेक्नोलॉजी को विस्तार में बताया की यह हम कैसे सबसे अलग हैं. अन्य कंपनियां जो उत्पाद बनाती हैं जिनकी सेल्फ लाइफ 6 से 9 माह तक होती है पुरानी तकनीकी में उत्पाद की गुणवत्ता का ह्रास होता है.

प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान संजय श्रीवास्तव ने टीम को प्रशिक्षण दिया जिनको गत 30 वर्षों से जैविक खेती का अनुभव है उन्होंने टीम को बताया कि हम सजीव उत्पादन में इन उत्पादों का उपयोग भली प्रकार कर सकते हैं साथ में जो किसान जैविक उत्पादन नहीं करते हैं उन्हें हम प्रेरित करके रासायनिक उर्वरकों के साथ हम अपने उत्पाद का उपयोग कैसे करें जिससे वह धीरे-धीरे रसायन पर आश्रित रहना कम करें और प्रकृति में बिना क्षति के अच्छा उत्पादन प्राप्त करें. 

उत्पाद उपयोग विधि विस्तार से बताया. संजय श्रीवास्तव ने इस विषय पर जोर दिया कि किसान अपने पास उपलब्ध संसाधन से अच्छी खाद जीवाणु कल्चर का उपयोग करके बनाएं. बीज उपचार विभिन्न कल्चरों से करें जो कंपनी एक अच्छा कंसोर्सियम बनाकर देती है जिसका लागत मूल्य बहुत कम है और कार्य क्षमता बहुत अच्छी है साथ में कीट एवं रोग नियंत्रण के लिए बनाए गए कंसोर्सियम उत्पादन  का प्रयोग करें जो की प्रकृति में पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं किसी प्रकार की प्रकृति को क्षति नहीं होती है.

प्रशिक्षण कार्यशाला में मौजूद टीम

अंत में सभी ने मिलकर यह संकल्प लिया कि हम किसान के खेत पर स्वयं जाकर के विभिन्न प्रकार के प्रदर्शन देंगे. गांव में कार्यशाला का आयोजन करेंगे. जागरूकता फैलाएंगे और सुरक्षित उत्पादन के लिए कंपनी द्वारा उत्पादित सभी उत्पाद को सुगमता किसान को उपलब्ध कराएंगे. क्योंकि जैविक उत्पादन में अच्छे इनपुट की उपलब्धता एक चैलेंज का विषय है, जिसका समाधान एशियाडॉन बायो-केयर के पास है.

English Summary: Asia Dawn Bio-Care organised training workshop
Published on: 14 April 2025, 04:10 PM IST

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