अब तक गौशाला में गाय-भैंस के दूध और उनसे बने उत्पाद का उपयोग होता है, लेकिन अब राजस्थान के जयपुर में एक गौशाला ऐसी है जहाँ गाय के गोबर का इस्तेमाल कर CNG का उत्पाद किया जा रहा है.
आपको बता दें कि, हिंगोनिया गौशाला (Hingonia Gaushala) में निर्मित CNG प्लांट राजस्थान (Rajasthan) की सबसे बड़ी कंप्रेस्ड नेचुरल गैस सीएनजी का ऑटोमेटिक प्लांट है, लेकिन फिलहाल के लिए इस प्लांट को शुरू करने की मंजूरी नहीं दी गई है. जैसे ही पेट्रोलियम मंत्रालय (Ministry of Petroleum) से इसे शुरू करने की मंजूरी मिलती है, इसे सार्वजनिक रूप से आरंभ कर दिया जाएगा.
ऑटोमैटिक है यह प्लांट (This plant is automatic)
मिली जानकारी के मुताबिक, प्लांट में छोटे-बड़े 8 टैंक और 2 गैस बैलून लगे है. प्लांट में लगे टैंक में गैस के प्यूरीफिकेशन और कम्प्रेशन का काम होगा. यह भी बताया जा रहा है कि, इस गौशाला का पूरा काम ऑटोमेटिक है. इसमें एक बार कर्मचारी के द्वारा गोबर डालने पर आगे का सारी प्रक्रिया खुद पर खुद ऑटोमेटिक होती है. CNG बनने से लेकर और उसे स्टोर करने तक सभी काम ऑटोमैटिक है.
100 टन गोबर से 6000 किलो CNG का उत्पादन (Production of 6000 kg CNG from 100 ton cow dung)
इस विषय में प्रबंधक हिंगोनिया गौ- पुनर्वास केंद्र रघुपति दास का कहना है कि, इस प्लांट में 100 टन गोबर से लगभग 6000 किलोग्राम तक सीएनजी का उत्पादन होगा. इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि इस प्लांट को 5 एकड़ की जमीन पर बनाया गया है. जिसे तैयार करने के लिए करीब 31 करोड़ 78 लाख रूपए खर्च किए गए हैं.
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मिली जानकारी के अनुसार, इस प्लांट में सीएनजी तैयार होने के बाद 20 टन जैविक खाद मिलेगी. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भविष्य में यह गौशाला प्लांट आत्मनिर्भर होगी. यह भी बताया जा रहा है कि, इस गौशाला से प्रति महीना लगभग 25 से 30 लाख रूपए तक आमदनी प्राप्त की जा सकती है.
कब शुरू हुआ था प्लांट का काम (When did the plant work start?)
देश की इंडियन ऑयल कंपनी ने सीएसआर फंड के तहत जयपुर के इस गौशाला प्लांट को लगाना का कार्य साल 2020 में शुरू किया था. प्लांट में बैक्टीरिया के माध्यम से सीएनजी को तैयार किया जाएगा. इसके बाद सीएनजी को सिलेंडर में भरकर बाजार में बेचा जाएगा.