Dairy Farming: डेयरी फार्मिंग के लिए 42 लाख रुपये तक के लोन पर 33% तक की सब्सिडी, जानें पात्रता और आवेदन प्रक्रिया PM Kisan Yojana Alert: जिन किसानों का नाम लिस्ट से हटा, आप भी उनमें तो नहीं? अभी करें स्टेटस चेक Success Story: सॉफ्टवेयर इंजीनियर से सफल गौपालक बने असीम रावत, सालाना टर्नओवर पहुंचा 10 करोड़ रुपये से अधिक! किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 13 April, 2023 5:39 PM IST
Animal Pandemic Ready Initiative

केंद्रीय मत्स्यपालनपशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला 14 अप्रैल, 2023 को नई दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर में राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के तत्वाधान में ‘‘पशु महामारी तैयार पहल (एपीपीआई)” तथा विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित वन हेल्थ के लिए पशु स्वास्थ्य प्रणाली सहायता (एएचएसएसओएच) परियोजना का शुभारंभ करेंगे.

पशुपालन और डेयरी विभाग ने एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए एक बेहतर पशु स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली के लिए एक इकोसिस्टम का सृजन करने के लक्ष्य के साथ विश्व बैंक के साथ वन हेल्थ के लिए पशु स्वास्थ्य प्रणाली सहायता (एएचएसएसओएच) पर एक सहयोगी परियोजना पर हस्ताक्षर किए हैं.

इस परियोजना को पांच राज्यों में कार्यान्वित किया जाएगा और इसमें पशु स्वास्थ्य और रोग प्रबंधन से जुड़े हितधारकों के क्षमता निर्माण में सुधार लाने की परिकल्पना की गई है. इस परियोजना में मानव स्वास्थ्यवन और पर्यावरण विभाग द्वारा राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर सहभागिता तथा स्थानीय स्तर पर भी समुदाय भागीदारी सहित एक स्वास्थ्य ढांचे का सृजन करने और उसे सुदृढ़ बनाने की बात की गई है.

इस परियोजना का लक्ष्य भाग लेने वाले पांच राज्यों 151 जिलों को कवर करना है जिसमें इसका लक्ष्य 75 जिला/क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं का उन्नतिकरण, 300 पशु चिकित्सा अस्पतालों/डिस्पेंसरियों का उन्नतिकरण / सुदृढ़ीकरण करना, 9000 अर्ध पशु चिकित्सकों/ नैदानिक पेशेवरों और 5500 पशु चिकित्सा पेशेवरों को प्रशिक्षित करना है. उपरोक्त के अतिरिक्तछह लाख घरों तक पहुंचने के द्वारा सामुदायिक स्तर पर जूनोटिक रोगों से बचाव एवं महामारी तैयारी पर जागरुकता अभियान भी चलाया जाएगा.

इस सहयोगी परियोजना का कार्यान्वयन 1228.70 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रावधान के साथ केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में पांच वर्ष की अवधि के दौरान किया जाएगा. इसके अतिरिक्तयह परियोजना नेटवर्किंग प्रयोगशालाओं एवं जूनोटिक और अन्य पशु रोगों की सवंर्द्धित निगरानी के अतिरिक्त नवोन्मेषी रोग प्रबंधन कार्ययोजनाओं पर पशु चिकित्सकों तथा अर्ध पशु चिकित्सकों के निरंतर प्रशिक्षण के लिए एक इकोसिस्टम का विकास करेगी. ये मूलभूत कार्यकलाप महामारी रोगोंजो पशुओं को प्रभावित करते हैंके लिए तैयारी में सहायता प्रदान करेंगे.

ये भी पढ़ें: पशुपालन से अच्छा मुनाफ़ा कमाने के लिए अपनाएं ये वैज्ञानिक तरीका, जानने के लिए पढ़िए पूरा लेख

भविष्य की महामारियों से हमें बचाने का एकमात्र तरीका ‘‘ वन हेल्थ ‘‘ नामक एक समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से हैजिसका केंद्र लोगोंपशुओं के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर है. मजबूत पशु स्वास्थ्य प्रणालियां वन हेल्थ दृष्टिकोण के अनिवार्य हिस्सों के रूप में महत्वपूर्ण हैं और खाद्य सुरक्षा तथा निर्धन किसानों की आजीविका की सहायता करने एवं उभरती संक्रामक बीमारियों (ईआईडी) और जूनोज तथा एएमआर के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक है. इसे वन हेल्थ पहलों जैसे अपर्याप्त कर्मचारियों और अवसंरचना वाली राष्ट्रीय पशुचिकित्सा सेवाओं को सुदृढ़ बनाने महत्वपूर्ण बिन्दुओंजैसेकि सीमावर्ती क्षेत्र पर रोग निगरानी करने पर फोकस करने के साथ पर्याप्त रूप से पशु स्वास्थ्य प्रणाली को प्राथमिकता देने के माध्यम से किया जा सकता है.

भविष्य में ऐसी पशु महामारी के लिए तैयारी रखना राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के लिए एक मुख्य प्राथमिकता है. आगामी राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के एक हिस्से के रूप मेंविभाग ने भविष्य की पशु बीमारियों एवं महामारियों के लिए ‘‘पशु महामारी तैयार पहल (एपीपीआई)” की एक केंद्रित संरचना की कल्पना की है. एपीपीआई के तहत मुख्य गतिविधियां जो निष्पादन के विभिन्न चरणों में हैंइस प्रकार हैं: 

1- निर्धारित संयुक्त जांच एवं प्रकोप प्रत्युत्तर टीमें (राष्ट्रीय एवं राज्य)

2- एक समग्र समेकित रोग निगरानी प्रणाली की रूपरेखा तैयार करना (राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन)

3- विनियामकीय प्रणाली को सुदृढ़ बनाना (नंदी ऑनलाइन पोर्टल एवं प्रक्षेत्र परीक्षण दिशानिर्देश)

4- रोग मॉडलिंग एल्गोरिदम तथा आरंभिक चेतावनी प्रणाली का सृजन करना

5- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ आपदा न्यूनीकरण की कार्यनीति का निर्माण

6- प्राथमिकता वाले रोगों के लिए टीकों/नैदानिक/उपचारों को विकसित करने के लिए लक्षित अनुसंधान एवं विकास आरंभ करना

7- रोग का पता लगाने की समयबद्धता और संवेदनशीलता में सुधार लाने के लिए जीनोमिक एवं पर्यावरण संबंधी निगरानी पद्धतियों का निर्माण करना.

English Summary: Animal Pandemic Ready Initiative will be launched on April 14, animal disease will end! Livestock farmers will get direct benefit
Published on: 13 April 2023, 05:44 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now