भारत सरकार ने अब बागवानी, पशु पालन और मछली पालन को भी कृषि क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा मान लिया है. सरकार की इस बड़ी पहल के सहारे कृषि क्षेत्र विकास की नयी ऊंचाइयों को छुएगा. इसी के अंतर्गत अब इनसे जुड़े लोगों को भी किसानों की श्रेणी में शामिल कर लिया गया है. उन्हें किसानों को मिलने वाली सभी सुविधाएं दी जाएंगी. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरखपुर में रविवार को आयोजित किसान रैली में उनके लिए घोषित इस योजना का शुभारंभ किया. पीएम मोदी के घोषणा के साथ ही इन क्षेत्रों के लोगों को 'केसीसी' देने की राष्ट्रव्यापी योजना की शुरुआत हो गई है.
गौरतलब है कि कृषि क्षेत्र में शामिल बागवानी करने वाले, पशुपालन और मत्स्य पालन करने वालों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोरखपुर की रैली में पहली बार 'किसान क्रेडिट कार्ड' (केसीसी) दिए. इन्हें भी किसान मानते हुए भारत सरकार ने उनके 'केसीसी' पर 2 लाख रुपये तक की अधिकतम सीमा निर्धारित की है. पशुपालन करने वालों के साथ मछुआरों को अभी तक किसी भी तरह ऋण लेने पर बैंक सामान्य ब्याज दर लागू करते थे लेकिन अब ऐसे लोगों को भी किसानों को मिले वाली सभी तरह की रियायत दी जाएंगी.
बता दें कि सरकार किसानों को रियायती दरों पर कृषि ऋण उपलब्ध कराती है जबकि खेती के साथ बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन में लगे लोगों को कृषि क्षेत्र का हिस्सा नहीं माना जाता था. इसकी वजह से उन्हें बैंकों से महंगी दरों पर ऋण मिलता था. जिससे उन्हें अपना कारोबार करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था जबकि खेती बाड़ी में इन क्षेत्रों की हिस्सेदारी 40 फीसद के आसपास है.
मछली पालन
विश्वभर में मछलियों की लगभग 20,000 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 2200 प्रजातियां भारत में ही पाई जाती हैं. आज भारत मत्स्य उत्पादक देश के रूप में उभर रहा है. एक समय था, जब मछलियों को तालाब, नदी या सागर के भरोसे रखा जाता था. परंतु बदलते दौर में वैज्ञानिक विधि का अनुसरण करते हुए मछली पालन के लिए कृत्रिम जलाशय बनाए जा रहे हैं. और इसे रोजगार का जरिया बनाया जा रहा है. इसके मांस की उपयोगिता हर जगह देखी जाती है. ऐसे में आज के दौर में मछलियों का बाजार व्यापक है.