आंध्र प्रदेश सरकार ने लोगों की आर्थिक रूप से मदद करने और राज्य की जनसंख्या बढ़ाने के लिए ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ के मौके पर एक नई पहल की शुरूआत करने की घोषणा की गई है. दरअसल, राज्य सरकार के द्वारा तीन बच्चे होने पर महिलाओं को करीब 50 हजार रुपए तक की सहायता की जाएगी. इसके अलावा लड़के के जन्म पर एक गाय परिवार को दी जाएगी. यह ऐलान आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू किया.
जनसंख्या नियंत्रण पर वर्षों से बहस चल रही है, लेकिन अब इस मुद्दे को लेकर नेताओं की सोच बदलती नजर आ रही है. हाल ही में, कुछ बड़े नेताओं ने जनसंख्या को बढ़ावा देने की वकालत की है. इसके पीछे एक नया दृष्टिकोण है—युवा जनसंख्या को बनाए रखना और आर्थिक विकास में इसका फायदा उठाना.
मुख्यमंत्री क्यों कर रहे समर्थन?
दिल्ली यात्रा के दौरान, मुख्यमंत्री ने दक्षिण भारत में घटती जनसंख्या को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि यहां की वृद्ध होती जनसंख्या भविष्य में कई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियां खड़ी कर सकती है. इसके विपरीत, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में युवा आबादी अधिक है, जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकती है.
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पहले वे परिवार नियोजन का समर्थन करते थे, लेकिन अब उनका नजरिया बदल गया है. उन्होंने कहा, "भारत जनसंख्या लाभांश का सबसे बड़ा फायदा उठा सकता है. अगर हम इसे सही ढंग से प्रबंधित करें, तो भारत वैश्विक सेवाओं का केंद्र बन सकता है." इस बयान ने स्पष्ट कर दिया कि सरकारें अब जनसंख्या नियंत्रण से ज्यादा जनसंख्या संतुलन और दीर्घकालिक योजना पर जोर दे रही हैं.
चंद्रबाबू नायडू का बड़ा ऐलान
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भी इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए महिलाओं के लिए एक नई नीति की घोषणा की. उन्होंने कहा कि अब सभी महिला कर्मचारियों को प्रसव के समय मातृत्व अवकाश मिलेगा, चाहे उनके कितने भी बच्चे हों.
इस घोषणा को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर किया गया. उन्होंने कहा, "पहले मातृत्व अवकाश केवल दो बच्चों तक सीमित था. लेकिन अब हम इसे सभी बच्चों के लिए लागू कर रहे हैं. इसका उद्देश्य जनसंख्या संतुलन बनाए रखना और महिलाओं को उनके करियर और परिवार में संतुलन बनाने में मदद करना है." इस फैसले से यह संकेत मिलता है कि अब सरकारें परिवार बढ़ाने को हतोत्साहित करने के बजाय उसे समर्थन देने की दिशा में सोच रही हैं.
क्या भारत को अब ज्यादा बच्चे चाहिए?
इन बयानों के बाद एक नई बहस छिड़ गई है. जहां एक ओर विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत को अपनी जनसंख्या को नियंत्रित करना चाहिए, वहीं दूसरी ओर कुछ नेताओं का मानना है कि युवा जनसंख्या देश की सबसे बड़ी ताकत है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बदलाव भविष्य में भारत की नीतियों को किस दिशा में ले जाता है.