किसानों को उनकी फसल का अधिकतम मूल्य मिल सके, इसके लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में एक कदम उठाया है. मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री (Madhya Pradesh Chief Minister) ने राज्य के किसानों के हित में मंडी अधिनियम (Mandi Act) में संशोधन किया है.
Mandi Act Amendment के संबंध में उन्होंने कहा कि इसके लागू होने से किसान अपने अनाज, फल और सब्जियों को घर से ही निजी व्यापारियों को बेच सकेंगे. जी हां, अब किसान घर से ही अपनी उपज बेच सकते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए मंडी में जाने का विकल्प भी जारी रहेगा. Madhya Pradesh CM के मुताबिक मध्य प्रदेश राज्य सरकार अधिक प्रतिस्पर्धी प्रणाली विकसित करके किसानों को उनकी उपज का अधिकतम मूल्य उपलब्ध कराने की कोशिश में लगी हुई है.
पूरे राज्य के लिए एक लाइसेंस
आपको बता दें कि व्यापारियों को किसानों के घर या खेतों से फसल खरीद (crop procurement) के लिए लाइसेंस लेना होगा. पूरे राज्य के लिए एक लाइसेंस होगा और व्यापारियों के पास फसल खरीदने का विकल्प होगा.
ई-ट्रेडिंग प्रणाली भी लागू
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि सरकार ने ई-ट्रेडिंग प्रणाली (e-trading system) भी लागू की है जिसके तहत देशभर की मंडियों की दरें किसानों को उपलब्ध होंगी. इसके जरिए वे देश के किसी भी बाजार में अपनी उपज को आसानी से बेच सकते हैं. ऐसे में जहां उन्हें अपनी उपज की अच्छी कीमत मिले, वे वहां सौदा कर सकते हैं.
मध्य प्रदेश सीएम ने कहा कि आईपीएलएम (IPLM) के दो प्रावधान मध्य प्रदेश में पहले से ही लागू हैं और अन्य प्रावधान अब मंडी अधिनियम में संशोधन के जरिए राज्य में लागू किए गए हैं. राज्य में पहले से लागू आईपीएलएम (IPLM) के दो प्रावधान हैं-
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पूरे राज्य में मंडी शुल्क पहली बार कृषि उपज खरीदने के समय ही लिया जाएगा, इसके बाद पूरे राज्य में खरीद और बिक्री के बाद बाजार शुल्क नहीं लिया जाएगा.
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फलों और सब्जियों को मंडी अधिनियम के दायरे से बाहर रखा जाएगा.
मंडी अधिनियम के नए प्रावधान
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प्रावधान में निजी क्षेत्रों में मंडियों की स्थापना को शामिल किया गया है.
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गोदामों, कोल्ड स्टोरेज आदि को भी निजी मंडियों के रूप में घोषित किया जा सकता है.
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फ़ूड प्रोसेसर, निर्यातक, थोक विक्रेता और एन्ड उपयोगकर्ता मंडी के बाहर ग्रामीण स्तर पर सीधे किसानों से खरीद कर सकते हैं.
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मंडी समितियों का निजी मंडियों के काम में कोई दखल नहीं होगा.
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प्रबंध निदेशक मंडी बोर्ड (Managing Director Mandi Board) से नियामक शक्तियों को अलग करने और इसे डायरेक्ट मार्केटिंग को देने का प्रावधान.
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व्यापारियों को एकल लाइसेंस के माध्यम से पूरे राज्य में व्यापार से संलग्न करने की प्रणाली.