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Updated on: 6 June, 2022 5:38 PM IST
Agromet Advisory for Chhattisgarh farmers

छत्तीसगढ़ में फसलों को इस मौसम में कैसे सुरक्षित रखना है इसको लेकर मौसम विभाग ने किसानों को जरूरी जानकारी दी है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के रायपुर मौसम केंद्र ने राज्य के सभी क्षेत्रों के लिए एग्रोमेट एडवाइजरी जारी की है. ऐसे में हम छत्तीसगढ़ के किसानों को इसकी अहम बातें बताने जा रहे हैं, यहां ये भी बता दें कि ये एडवाइजरी 08 जून 2022 के मौसम पूर्वानुमान के मद्देनजर ही बनाया गया है. इसलिए किसान भाई मौसम विभाग द्वारा दी गई इस एडवाइजरी को आज से ही अमल में ला दें.

छत्तीसगढ़ के उत्तरीय पहाड़ी भाग के लिए एग्रोमेट एडवाइजरी

Summer Rice (गर्मी में पके हुए धान की कटाई)

आम तौर आने वाले दिनों में बादल छाए रहने की संभावना है. ऐसे में मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि कटी हुई धान की फसल को सुरक्षित स्थानों में रखें.

Pulse (ग्रीष्म ऋतु में परिपक्क काला चना-हरा चना की कटाई को लेकर सलाह)

छत्तीसगढ़ के उत्तरीय पहाड़ी भाग में आने वाले दिनों में बादल छाए रहने के आसार है. इसलिए मौसम केंद्र रायपुर ने मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह दी है कि कटी हुई दलहन की फसलों को सुरक्षित स्थानों में ही रखें. ताकि अगर बारिश भी होती है तो ये बचा रह सकें.

Groundnut (परिपक्व मूंगफली की फसल की ग्रीष्म ऋतु में खुदाई)

किसानों को सलाह दी जाती है कि आने वाले दिनों में आमतौर पर बादल छाए रहने की संभावना के कारण परिपक्व मूंगफली की फसल की खुदाई उसी के अनुसार की जानी चाहिए.

Sugarcane crop (जुताई का चरण)

गन्ने की फसलों के लिए अभी जुताई का चरण चल रहा है. ऐसे में मौसम विभाग ने इसकी फसलों को लेकर सलाह देते हुए किसानों को अंतर-संस्कृति (Inter-culture)उर्वरक आवेदन (fertilizer Application) और अर्थिंग का पालन करते हुए घुटने की ऊंचाई पर गन्ने की फसल की सिंचाई करें.

कुछ जरूरी बातें

खरीफ मौसम के कार्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले कृषि उपकरणों को अच्छी रखरखाव की स्थिति में रखा जाना चाहिए.

खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए. इससे फसलों को मिट्टी से होने वाली बीमारियोंखरपतवारों और कीड़ों के अंडों से बचाया जा सकेगा.

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खरीफ फसलों की अधिक उपज देने वाली किस्म के बीजों की व्यवस्था करें

Fruits & Vegetables

टमाटरबैंगनमिर्चभिंडी एवं अन्य सब्जियों में आवश्यकता आधारित सिंचाई एवं इंटरकल्चरल कार्य करना चाहिए.

पर्यावरण के तापमान के अनुसार फसलों की सिंचाई की आवृत्ति बढ़ाएं.

लाल कद्दू भृंग (Red Pumpkin Beetle) के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 8 मिली (Imidachloprid @ ml) प्रति स्प्रेयर का छिड़काव महत्वपूर्ण है.

बाग लगाने के इच्छुक किसान 1x1x1 मीटर आकार के गड्ढे तैयार करें और सौर सौरकरण (solar solarization) के बाद ही उचित समय पर खेत तैयार करें.

इसके साथ ही फलों की उपयुक्त किस्मों का चयन करें और उसी के अनुसार वृक्षारोपण करें.

Animal husbandry (पशुपालन)

  • Haemorrhagic Septicaemia और ब्लैक क्वार्टर रोग (black quarter disease) से बचाव के लिए पशु का टीकाकरण अवश्य करें. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पशु और पोल्ट्री शेड को गीली बोरियों से ढक दें.

  • यदि पशु हीट स्ट्रोक से पीड़ित है तो लू लगने पर पशु को छायादार स्थान पर ले जाने की सलाह दी जाती है और पूरे शरीर को गीले कपड़े से पोछने की सलाह दी जाती है.

  • निर्जलीकरण (Dehydration) से बचने के लिएडेयरी जानवरों को हर आधे घंटे में 4-5 चम्मच चीनी और एक चौथाई नमक का घोल खिलाएं.

छत्तीसगढ़ के मैदानी भाग के लिए IMD ने जारी की एग्रोमेट एडवाइजरी

खरीफ फसलों की तैयारी (Preparation for Kharif Crops)

इस समय मैदान की सफाई और मेड़ों की मरम्मत अनिवार्य रूप से पूरी करनी होती है.

स्वच्छ और स्वस्थ बीज जिसे चालू मौसम में बुवाई के लिए तैयार रखना चाहिए.

धान की नर्सरी या सीधी बुवाई से पहले चावल के बीजों को 17% नमक के घोल से उपचारित करना चाहिए.

प्रमाणित या नींव के बीजों (Certified seeds) को पैकेट के साथ दिए गए कवकनाशी से उपचारित करना चाहिए.

धान की नर्सरी के लिए एफवाईएम (FYM) की व्यवस्था की जाए

सुनिश्चित सिंचाई सुविधा वाले किसानों को सलाह दी जाती है कि वे चावल की नर्सरी के लिए राइजिंग बेड तैयार करने के लिए खेतों की सिंचाई करें.

इस समय खेत की जुताई करने से किसानों को न केवल खरपतवार और कीटों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी बल्कि जून के पहले सप्ताह तक धान की नर्सरी की बुवाई की सुविधा भी मिलेगी.

मुख्य चावल के खेतों के 1/10 भाग के लिए नर्सरी तैयार की जानी चाहिए. इसके लिए मोटे अनाज वाले चावल के बीज को प्रति हेक्टेयर. 50 किलो की दर से इस्तेमाल किया जा सकता है. वही पतले दाने वाले चावल की किस्म के बीजों को प्रति हेक्टेयर 40 किलो की दर से इस्तेमाल किया जा सकता है.

सोयाबीनमक्कामूंगफली की फसलों की बुवाई के लिए खेतों को अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए ताकि बारहमासी घास को नष्ट किया जा सकें.

Vegetables & Fruits

लौकी की सब्जी की फसल (painted gourd & ivy gourd) के लिए खेत की तैयारी कर लेनी चाहिए. इसके लिए बोरियों में खरीफ बेल की सब्जियां जैसे लौकी और गोल लौकी तैयार कर लेनी चाहिए. करेला और बींस की उपयुक्त किस्मों का चयन किया जाना चाहिए और इसकी खेती के लिए रिज-फ़रो विधि (Ridge-Furrow Method) का पालन किया जाना चाहिए.

जो किसान फलदार फसल उगाना चाहते हैं उन्हें खेत की तैयारी और गड्ढे खोदने की सलाह दी जाती है. खेतों में खाद के रूप में दीमक प्रतिरोधी कीटनाशक और उर्वरकों की अनुशंसित खुराक को मिलाकर जमीनी स्तर से 10सेमी. ऊपर भरना चाहिए.

सीधी बोई जाने वाली सब्जियों के लिए अधिक उपज देने वाले किस्म के बीजों की व्यवस्था करनी चाहिए और खेत की तैयारी करनी चाहिए.

अदरक और हल्दी की फसलों में मल्चिंग कर देनी चाहिए और बरसात के मौसम से पहले पानी की निकासी का अच्छी तरह से प्रबंध कर लेना चाहिए.

Animal husbandry (पशुपालन)

पशुओं को 50-60 ग्राम नमक पानी में मिलाकर खिलाना चाहिए.

गर्मी के मौसम में मुर्गी के लिए पानी की मात्रा 3-4 गुना बढ़ा देनी चाहिए.

इस मौसम में दुधारू पशुओं के आहार पर ज्यादा फोकस करना चाहिए.  

रानीखेत रोग से बचाव के लिए कुक्कुट पक्षी का टीकाकरण करें. (पहला F-1 7 दिनों की उम्र में और दूसरा R2B  8 सप्ताह की उम्र में).

रक्तस्रावी सेप्टीसीमिया (Haemorrhagic septicaemia) और काला चौथाई रोग (Black Quareter Disease) से बचाव के लिए पशुओं का टीकाकरण करें.

छत्तीसगढ़ के बस्तर पठारी भाग के लिए एग्रोमेट एडवाइजरी 

आने वाले दिनों में शुष्क मौसम के साथ ही अधिकतम तापमान में वृद्धि होने का अनुमान है, ऐसे में मौसम विभाग ने किसानों को मिट्टी की नमी की स्थिति को देखते हुए सब्जियों में सिंचाई करने की सलाह दी है.

मौसम विभाग ने छत्तीसगढ़ के बस्तर पठारी भाग के किसानों को वर्तमान समय में अपने खेत का परीक्षण कराने की सलाह देता है. साथ ही मौसम विभाग ने कहा है कि इस कार्य के लिए वे कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं.

आने वाले दिनों में किसानों को सलाह दी जाती है कि वे गर्मी में खेतों की जुताई करें और

खरपतवार के प्रकोप को कम करें.

ये भी पढ़ें: Advisory: हरियाणा के किसान और पशुपालकों के लिए जरूरी सूचना, IMD ने जारी की चेतावनी

खरीफ की फसलों को लेकर सलाह

चावल की फसलों के बुवाई के तीसरे या चौथे दिन की नर्सरी में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे Pre Emergence Herbicide जैसे प्रीटिलाक्लोर + सेफनर का 0.3 किग्रा प्रति हेक्टेयर उपयोग करें.

किसान हमेशा लाइन में बुवाई करने का प्रयास करें. लाइन बुवाई विधि से पौधों में पोषक तत्वों और पौधों की सुरक्षा होती है. साथ ही इससे बेहतर उपज भी मिलती है.

बीजोपचार के बाद Fungicide के साथ बीज बोयें.

धान की फसल के बीज को भूमि की स्थिति के अनुसार व्यवस्थित करें.

जिन किसानों के पास ड्रिप सिंचाई की सुविधा हैउन्हें सलाह दी जाती है कि ड्रिप सिस्टम को साफ रखें ताकि इसे अगले फसल के मौसम में सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा सके.

Fruit, Tuber & Vegetable Crop (फल, कंद और सब्जी काटना)

किसानों को सलाह दी जाती है कि काजू परिपक्व अवस्था में हैं. ऐसे में कटाई

और मेवों का भंडारण किया जाना चाहिए.

मिर्च की फसल में पत्तियों का सिकुड़न मिर्च थ्रिप्स (Insect) के कारण किसानों के खेत में दिख रहा है. ऐसे में इस थ्रिप्स से बचने के लिए किसानों को डाइमेथोएट (dimethoate)

30 E.C. @ 1 ml प्रति लीटर पानी का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है.

Poultry Farming

पशुपालकों के किसानों को सलाह दी जाती है कि वे इस सप्ताह चारा फसलों जैसे ग्वारमक्काबाजरा और क्लस्टर बीन की बुवाई करें. इसके लिए पर्याप्त नमी होनी चाहिए. बुवाई के लिए 3-4 सेमी की गहराई और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25-30 सेमी होनी चाहिए.

Animal Husbandry

पशुओं के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे स्वच्छ और पर्याप्त पीने के पानी के लिए आवश्यक व्यवस्था करें.

English Summary: agromet advisory for Chhattisgarh farmers
Published on: 06 June 2022, 05:49 PM IST

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