कृषि एवं किसान कल्याण सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने आज संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (यूएन डब्ल्यूएफपी) की देश कार्यक्रम सलाहकार समिति (सीपीएसी) की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक का उद्देश्य 2023-2027 की देश रणनीतिक योजना (सीएसपी) के कार्यान्वयन की समीक्षा करना था. इस बैठक में यूएन डब्ल्यूएफपी के प्रतिनिधियों और संबंधित मंत्रालयों के सदस्यों ने भाग लिया.
समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर
बैठक के दौरान, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और यूएन डब्ल्यूएफपी के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए. इसका उद्देश्य राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए खाद्य सुरक्षा और पोषण को बढ़ावा देना है. यह एमओयू चार प्रमुख रणनीतिक लक्ष्यों पर केंद्रित है:
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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली को प्रभावी और कुशल बनाना.
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पौष्टिक और विविध आहार की खपत को बढ़ाना.
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महिलाओं की सामाजिक और वित्तीय सशक्तिकरण को बढ़ावा देना.
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जलवायु अनुकूल आजीविका और खाद्य प्रणालियों को मजबूत करना.
बैठक की मुख्य बातें
यह बैठक सीएसपी 2023-2027 के तहत देश की पहली समीक्षा बैठक थी. इसमें डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने इस दीर्घकालिक साझेदारी पर जोर दिया, जिसका उद्देश्य खाद्य और पोषण सुरक्षा में सुधार करना है. उन्होंने अधिकारियों को मापनीय पहलों की पहचान करने और उन्हें मंत्रालयों के मौजूदा कार्यक्रमों में शामिल करने की सलाह दी. साथ ही, उन्होंने यूएन डब्ल्यूएफपी से कृषि क्षेत्र की प्रमुख पहलों पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित करने का सुझाव भी दिया.
यूएन डब्ल्यूएफपी की कंट्री डायरेक्टर एलिजाबेथ फॉरे ने बैठक के दौरान सीएसपी के लक्षित परिणामों और प्रगति पर जानकारी दी. उन्होंने बताया कि असम, ओडिशा, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में छोटे किसानों के लिए कृषि में सुधार और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने पर कार्य किया जा रहा है. साथ ही, मोटे अनाज को मुख्यधारा में लाने और मछली पकड़ने वाले समुदायों के लिए 'सिक्योर फिशिंग' ऐप जैसी पहलों की जानकारी साझा की.
भविष्य की दिशा
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि हमें भारतीय जनसंख्या के लिए पोषण मानकों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और स्थानीय पोषणयुक्त अनाजों जैसे लाल और काले चावल, बाजरा जैसी किस्मों को बढ़ावा देना चाहिए. साथ ही, उन्होंने किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को इन पहलों में शामिल करने की संभावना तलाशने पर जोर दिया.
बैठक में कई मंत्रालयों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, ग्रामीण विकास विभाग और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारी शामिल थे.