New Delhi: लोकसभा में पेश संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, कृषि मंत्रालय के कृषि और किसान कल्याण विभाग ने पिछले तीन वर्षों के दौरान अपने बजट का 44,015.81 करोड़ रुपये पूरी तरह से उपयोग नहीं कर सका है.
इस रिपोर्ट में कहा गया कि समिति ने विभाग के जवाब से नोट किया है कि 2020-21, 2021-22 और 2022-23 (अस्थायी) के दौरान क्रमशः 23,824.54 करोड़ रुपये, 429.22 करोड़ रुपये और 19,762.05 करोड़ रुपये की राशि वापस की गई है. जिसका मतलब है कि इन वर्षों में विभाग द्वारा कुल 44,015.81 करोड़ रुपये सरकार को सरेंडर किए गए हैं.
मंत्रालय द्वारा धन का उपयोग मुख्य रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के कल्याण के लिए बनाई गई योजनाओं के लिए नहीं किया गया है. संसद की समिति को सूचित किया गया है कि धन का आत्मसमर्पण मुख्य रूप से एनईएस (पूर्वोत्तर राज्यों), एससीएसपी (अनुसूचित जाति उप-योजना) और जनजातीय क्षेत्र उप-योजना (टीएएसपी) घटकों के तहत कम आवश्यकता के कारण है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि केंद्र के कुल बजट के प्रतिशत के रूप में विभाग का बजटीय आवंटन 2020-21 में 4.41% से घटकर 2023-24 में 2.57% हो गया है. विभाग ने अपने उत्तरों में स्वीकार किया है कि वर्ष 2020-21, 2021-22 के दौरान भारत सरकार के कुल बजट में से प्रतिशत के रूप में विभाग के पक्ष में किए गए बजटीय आवंटन का अनुपात 2022-23 और 2023-24 क्रमशः 4.41%, 3.53%, 3.14% और 2.57% था.
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