माननीय कृषि मंत्री, बिहार राम कृपाल यादव ने आज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में आयोजित दो दिवसीय (23–24 दिसंबर 2025) राष्ट्रीय किसान दिवस एवं किसान मेला 2025 का दीप प्रज्वलन कर भव्य उद्घाटन किया। इस वर्ष मेले की थीम- “अनुसंधान से आत्मनिर्भरता की उड़ान: समृद्ध कृषि, सशक्त किसान”-कृषि अनुसंधान, नवाचार और किसान सशक्तिकरण के प्रति देश की प्रतिबद्धता को सशक्त रूप से रेखांकित करती है।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए माननीय कृषि मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी नवाचार की भूमिका निर्णायक है। उन्होंने किसानों तक उन्नत बीज, नवीन तकनीक और आधुनिक कृषि पद्धतियों की समयबद्ध पहुँच को आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बताया। ऐसे आयोजनों से वैज्ञानिकों और किसानों के बीच सीधा संवाद स्थापित होता है, जिससे शोध की उपलब्धियाँ खेतों तक प्रभावी ढंग से पहुंचती हैं।
माननीय मंत्री ने कहा कि पूर्वी भारत, विशेषकर बिहार, कृषि की अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र है- यहां की उपजाऊ भूमि, मेहनतकश किसान और समृद्ध परंपरा राज्य की सबसे बड़ी पूंजी हैं। उन्होंने बीते 25 वर्षों में आईसीएआर के पूर्वी अनुसंधान परिसर द्वारा किए गए अनुसंधान एवं विकास कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि लघु एवं सीमांत किसानों को केंद्र में रखकर विकसित तकनीकें—जैसे समेकित कृषि प्रणाली, धान–गेहूँ प्रणाली का सतत सघनीकरण, धान-परती भूमि का वैज्ञानिक प्रबंधन तथा भूमि एवं जल प्रबंधन मॉडल—उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ किसानों की आय में भी ठोस वृद्धि कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में केंद्र सरकार और माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मार्गदर्शन में बिहार सरकार किसान-कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कृषि को लाभकारी, टिकाऊ और जलवायु-अनुकूल बनाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। केंद्र–राज्य के संयुक्त प्रयासों और आईसीएआर जैसे अग्रणी संस्थानों के सहयोग से समृद्ध किसान और सशक्त कृषि का लक्ष्य अवश्य प्राप्त होगा।
किसान मेला 2025 में बड़ी संख्या में किसानों, वैज्ञानिकों, कृषि विशेषज्ञों एवं विद्यार्थियों की सक्रिय सहभागिता रही, जिससे यह आयोजन कृषि ज्ञान, नवाचार और अनुभवों के आदान-प्रदान का सशक्त मंच बनकर उभरा। दो दिवसीय कार्यक्रमों के अंतर्गत कृषक–वैज्ञानिक संगोष्ठी, कृषक–वैज्ञानिक संवाद, उन्नत कृषि तकनीकों का प्रदर्शन, जीवंत प्रदर्शनी, पोषण वाटिका, पशुपालन एवं समेकित कृषि मॉडल जैसे विविध आयोजन किए जा रहे हैं। इन गतिविधियों के माध्यम से किसानों को वैज्ञानिक खेती, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, फसल विविधीकरण और आय-वृद्धि के व्यवहारिक उपायों की विस्तृत जानकारी दी जा रही है।
माननीय कृषि मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि यह किसान मेला न केवल किसानों के लिए सीख और अवसर का माध्यम बनेगा, बल्कि बिहार की कृषि को नई ऊँचाइयों तक ले जाने में मील का पत्थर सिद्ध होगा।