Agriculture Growth Rate: भारत एक कृषि प्रधान देश है. देश बड़े स्तर पर विभिन्न फसलों की खेती की जाती है. जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की भारत में कृषि क्षेत्र का जीडीपी में योगदान 20 फीसदी के करीब है और लगभग 40 फीसदी जनसंख्या इससे जुड़ी हुई है. लेकिन, इसके बावजूद भी पिछले कुछ सालों से कृषि क्षेत्र की विकास दर में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. इसी बीच केंद्र की मोदी सरकार और किसानों के लिए एक बुरी खबर सामने आई है.
दरअसल, केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र की वृद्धि से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं. जिसके मुताबिक, दूसरी तिमाही में कृषि ग्रोथ का प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक रहा है. पिछले साल के मुकाबले इस साल कृषि क्षेत्र की विकास दर में और गिरावट दर्ज की गई है. साल 2023 की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र में विकास दर 3.5 फीसदी से घटकर 1.2 प्रतिशत रह गई है.
मॉनसून की देरी से प्रभावित हुआ कृषि क्षेत्र
इस साल की विकास दर में आई गिरवट का एक मुख्य कारण मॉनसून भी बताया जा रहा है. मानसून की कमी के कारण प्रदेशों में फसलों की बुवाई और सिंचाई पर असर पड़ा है. खरिफ फसलों की बुवाई आमतौर पर जुलाई से सितंबर के दौरान होती है. लेकिन, 2023 में मानसून की देरी के कारण कृषि क्षेत्र में बड़ा नुकसान हुआ है. केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2023-24 के खरीफ सीजन की पैदावर कम बारिश के चलते प्रभावित हुई है. वहीं, केंद्र सरकार भी मानसून की कमी से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए अपने स्तर पर प्रयास कर रही है.
बीते कुछ वर्षों में कृषि क्षेत्र की विकास दर
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साल 2015-16 के दौरान कृषि विकास दर 0.6 प्रतिशत थी.
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साल 2016-17 के दौरान कृषि विकास दर 6.8 प्रतिशत थी.
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साल 2017-18 के दौरान कृषि विकास दर 6.6 फीसदी थी.
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साल 2018-19 के दौरान कृषि विकास दर 2.1 प्रतिशत थी.
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साल 2019-20 के दौरान कृषि विकास डॉ 5.5 फीसदी थी.
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साल 2020-21 के दौरान कृषि विकास दर 3.3 प्रतिशत थी.
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साल 2021-22 के दौरान कृषि विकास दर 3.0 फीसदी थी.
कोविड काल में कृषि ने निभाई थी अहम भूमिका
बता दें कि कोविड काल के दौरान जब अप्रैल-जून की तिमाही में भारत की जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट थी, तब कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.4 फीसदी रही थी और इसी ने उस मुश्किल वक्त में देश को संभाला था. उस दौरान कृषि क्षेत्र को छोड़कर दूसरे सभी क्षेत्रों में भारी गिरावट आई थी. हालांकि, तीन साल बाद अब यह स्थिति पूरी तरह बदल गई है. जहां अन्य क्षेत्रों में विकास की गति तेज हो रही है, तो वहीं कृषि क्षेत्र में गिरावट देखने को मिल रही है.