आज़ादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत चल रहे कार्यक्रमों की श्रृंखला को कायम रखते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कृषि संकाय के तत्वावधान में धान उत्पादन बढ़ाने के लिए रोपण के बाद की प्रमुख क्रियाऐं विषय पर किसान मेले का आयोजन किया गया. इस दौरान किसानों के संग संवाद का माध्यम ऑनलाइन था.
प्रोफेसर पंजाब सिंह ने क्या कहा
किसान मेले में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए प्रोफेसर पंजाब सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि किसान हमारे देश के मेरूदंड हैं व उनके हित में ही हमारी प्रतिष्ठा है. धान उत्पादन में वृद्धि करने हेतु रोपण के बाद के संचालन पर उन्होंने कहा कि धान भारत की महत्वपूर्ण फसलों में से एक है.
हमारे किसान भाइयों को इस क्षेत्र में हो रहे विकास व नवाचार से जागरूक करने के लिए इस पर चर्चा करना जरुरी है. वे धान की उपज को बढ़ावा देने के लिए रोपण के बाद के संचालन पर ध्यान दें और इस दौरान किसानों को अन्य फसलों जैसे मक्का, दाल व गेहूं पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है.
धान रोपण के बाद के संचालन में कई ऐसे उपाय हैं, जिनका प्रयोग हम फसलों को होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए कर सकते हैं ,ताकि उनकी उपज में वृद्धि हो. इन उपायों में मुख्यतः जैविक उर्वरकों का अधिक मात्रा में उपयोग, फसलों को कवक से बचाना, फसलों को भूरे रंग के धब्बे से बचाना आदि उपाय शामिल हैं. उन्होंने कहा कि भूजल के संरक्षण के लिए किसानों को धान के अलावा उन फसलों पर भी ध्यान केद्रित करने की आवश्यकता है, जिसमें कम सिंचाई की आवश्यकता होती है.
किसान ना जलाएं पराली - डॉ ए. के. सिंह
विशिष्ट अतिथि डॉ अशोक कुमार सिंह ने कहा कि यह हमारे किसानों के लिए आवश्यक है कि वह धान की अल्पावधि किस्मों को चिन्हित करें जिनकी खेती में कम समय लगता है. धान की कई ऐसी किस्में हैं, जो महज १६० दिनों में ही कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं.
अगर सही तरीके से खेती की जाए तो प्रति बीघा १० क्विंटल से ज्यादा धान व गेहूं की फसल प्राप्त की जा सकती है. उन्होंने किसानों को पराली जलाने से मना करते हुए कहा कि पराली जलाने से खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने वाले कीड़े भी जलकर मर जाते हैं.
किसानों को नवीनतम तकनीकी विकास से परिचित करवाना हैं ज़रूरी
वहीं, एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि किसानों को नवीनतम वैज्ञानिक,तकनीकी विकास से परिचित करवाना ज़रूरी है, ताकि वे फसल आवर्तन व कृषि भूमि के उपयोग व अन्य प्रसांगिक बातों के बारे में सीख सकें.
इसके अलावा उन्होंने एएमयू में सामुदायिक रेडियो की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि यह रेडियो किसानों के साथ ही कृषि विज्ञान के छात्रों व जनसंचार एवं पत्रकारिता के छात्रों के लिए भी लाभप्रद रहेगा.
प्रदान किये पुरस्कार
कार्यक्रम में प्रो. पंजाब सिंह को फसल उत्पादन और किसानों की सामाजिक स्थिति में सुधार की दिशा में की गई सेवाओं और शोध के सम्मान में, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रदान किया गया. डॉ.अशोक कुमार सिंह को कृषि विस्तार में उनके योगदान के सम्मान में गेस्ट ऑफ ऑनर प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया.
प्रतिष्ठित कृषि वैज्ञानिकों व प्रशासकों की उपस्थिति में कृषि मेले का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. पंजाब सिंह, चांसलर, आरएलबीसीयूए, झांसी पूर्व सचिव डेयर और डीजी, आईसीएआर तथा पूर्व कुलपति, बीएचयू, वाराणसी उपस्थित थे. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, उप महानिदेशक, भाकृअनुप, डॉ. अशोक कुमार सिंह थें.
इस सत्र की अध्यक्षता माननीय कुलपति, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, प्रो तारिक मंसूर द्वारा की गयी. यह आयोजन सचिव और संयोजक, प्रो मुजीबुर रहमान खान, डीन, कृषि विज्ञान संकाय द्वारा संचालित किया गया. इस मेले में देश के विभिन्न राज्यों से किसान शामिल हुए थे.प्रो मुजीबुर रहमान खान (डीन, कृषि विज्ञान संकाय) ने सभी सम्मानीयजनों का आभार प्रकट किया.