भारत में कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) को कृषि व्यवस्था (Agriculture System) की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है, क्योंकि कृषि विज्ञान केंद्र खेती की नई विकसित प्रौद्योगिकियों (technologies) और कृषि अनुसंधानों (agricultural research) को किसानों के खेतों तक पहुंचाने के लिए फ्रंट लाइन की तरह काम करता हैं. इसी कड़ी में इसको लेकर एक खुशखबरी सामने आई है.
दरअसल, जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय को पाली-जालोर में कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के लिए प्रशासनिक सहमति मिल गई है. इसके तहत दोनों केन्द्रों के निर्माण के लिए पहली किश्त के रूप में 53-53 लाख रुपए भी मिल चुके हैं. कृषि विश्वविद्यालय के अधीन पाली जिले के रायपुर तहसील और जालोर जिले की रानीवाड़ा के बामनवाड़ा गांव में केन्द्रों की स्थापना की जाएगी. इन केन्द्रों पर किसान छात्रावास, प्रशासनिक भवन, प्रदर्शनी इकाइयों व आवासीय परिसर का निर्माण किया जाएगा. कहा जा रहा है कि ये केन्द्र कृषि उद्यमियों के सर्वांगीण विकास के लिए सहायक साबित होंगे.
दोनों कृषि विज्ञान केन्द्रों के लिए राज्य सरकार की ओर से 36 हैक्टेयर भूमि आवंटित की गई है. जिनमें से पाली जिले के रायपुर में 20 हैक्टेयर और जालोर जिले के बामनवाड़ा गांव में 16 हैक्टेयर भूमि आवंटित की गई है.
गौरतलब है कि काफी लंबे समय के इंतेजार के बाद ये सहमति केन्द्र सरकार के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की ओर से दी गई है. बता दें कि साल 2016 से भूमि आवंटन की कमी की वजह से इन कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना नहीं हो पा रही थी. मगर अब मंजूरी मिलने के बाद इसका काम तेजी से किया जायेगा. इसके तहत सबसे पहले छात्रावास और प्रशासनिक कार्यालय भवनों का काम पूरा किया जायेगा.
गौरतलब है कि काफी लंबे समय के इंतेजार के बाद ये सहमति केन्द्र सरकार के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की ओर से दी गई है. बता दें कि साल 2016 से भूमि आवंटन की कमी की वजह से इन कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना नहीं हो पा रही थी.
मगर अब मंजूरी मिलने के बाद इसका काम तेजी से किया जायेगा. इसके तहत सबसे पहले छात्रावास और प्रशासनिक कार्यालय भवनों का काम पूरा किया जायेगा.