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जिला स्तरीय कृषि कार्यालयों में किसानों और किसान पत्रकारों ने कृषि मंत्री शिवराज सिहं चौहान से की मुलाकात

भारतीय कृषि पत्रकार संघ, बिहार विभाग ने भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री को पत्र लिखकर कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) और ब्लॉक व जिला स्तरीय कृषि कार्यालयों में किसानों और किसान पत्रकारों के लिए निर्बाध पहुँच और संवाद की अनुमति प्रदान करने की माँग की है. यह पत्र किसानों और किसान पत्रकारों के बीच तकनीकी जानकारी और नवाचारों के आदान-प्रदान में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए एक ठोस नीति निर्माण की आवश्यकता पर जोर देता है.

संघ के प्रमुख मुद्दे

भारतीय कृषि पत्रकार संघ ने अपने पत्र में बताया कि वह लंबे समय से Farmer The Journalist (FTJ) के रूप में कार्य कर रहा है, जिसका उद्देश्य किसानों की समस्याओं को उजागर करना और नीति निर्माण में जमीनी सच्चाइयों को सामने लाना है. संघ ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि कृषि विश्वविद्यालयों, केवीके, और अन्य कृषि संस्थानों में आम किसानों और पत्रकारों के लिए संवाद की कमी है, जिसके कारण आवश्यक तकनीकी जानकारी और नवाचार समय पर उपलब्ध नहीं हो पाते. पत्र में विशेष रूप से डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (बिहार) का उल्लेख किया गया, जिसका आदर्श वाक्य किसानों को समर्पित विश्वविद्यालय है. लेकिन विडंबना यह है कि यहाँ किसानों का प्रवेश प्रतिबंधित है और बिना पूर्व अनुमति के परिसर में प्रवेश संभव नहीं है.

यही स्थिति कर्मचारियों के साथ भी देखी गई है. इससे न केवल किसानों के अधिकारों की उपेक्षा हो रही है, बल्कि विश्वविद्यालय का प्रसार तंत्र भी निष्प्रभावी हो रहा है. संघ ने यह भी बताया कि कृषि प्रसार की बिहार में काफी बड़ी और अच्छी व्यवस्थाएं के बावजूद, तकनीकी संवाद और नवाचारों तक पहुँच में कमी के कारण कृषि अनुसंधानों का लाभ सीमित हो रहा है. बिहार में किसान सलाहकार समिति कई वर्षों से गठन नहीं हो सका है, इससे कृषि नीतियों और कार्यक्रमों की व्यावहारिक उपयोगिता भी प्रभावित हो रही है.

कृषि पत्रकार संघ का सुझाव

स्पष्ट नीति का निर्माण एक ऐसी नीति बनाई जाए, जो किसानों और किसान पत्रकारों को कृषि विश्वविद्यालयों, केवीके, और अन्य संस्थानों में सरल और सुलभ संवाद की अनुमति दे. किसान संवाद अधिकारी की नियुक्ति प्रत्येक संस्थान में एक अधिकारी नियुक्त किया जाए, जो नियमित रूप से किसानों और पत्रकारों के साथ समन्वय कर वैज्ञानिक जानकारी और तकनीकों को साझा करे.

किसान-पत्रकार दिवस और मीडिया संवाद विश्वविद्यालय और विभागीय स्तर पर नियमित रूप से किसान-पत्रकार दिवस और मीडिया संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएँ, ताकि पारदर्शिता और वैज्ञानिक जागरूकता को बढ़ावा मिले.

महत्त्व और अपेक्षाएँ

संघ ने इस पहल को किसानों के सशक्तिकरण और विकसित भारत @2047 के दृष्टिकोण में उनकी भूमिका को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया है. यह माँग बिहार जैसे कृषि-प्रधान राज्य में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहाँ किसानों की आजीविका और उत्पादकता में सुधार के लिए तकनीकी जानकारी और नवाचारों तक पहुँच जरूरी है.

संघ का दृष्टिकोण

भारतीय कृषि पत्रकार संघ का कहना है कि यह कदम न केवल किसानों को सशक्त बनाएगा, बल्कि कृषि पत्रकारों को भी नीति निर्माण और जमीनी समस्याओं के समाधान में प्रभावी योगदान देने में मदद करेगा. संघ ने केंद्र सरकार से इस दिशा में त्वरित और सकारात्मक कार्रवाई की अपेक्षा की है.

यह पत्र बिहार में कृषि क्षेत्र के सामने मौजूद संवाद और पहुँच की कमी को उजागर करता है और इसे दूर करने के लिए ठोस कदमों की माँग करता है. यदि सरकार इस दिशा में नीतिगत बदलाव करती है, तो यह न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश में कृषि प्रसार और किसान सशक्तिकरण को नई दिशा प्रदान कर सकता है.

English Summary: Agricultural Journalism demand easy access to agriculture universities and Krishi Vigyan kendras
Published on: 21 July 2025, 01:44 PM IST

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