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नगरडीह गांव में महिला कृषकों को फसल अवशेष प्रबंधन एवं जल संरक्षण पर दिया गया प्रशिक्षण

कृषि विज्ञान केन्द्र, जाले के वरीय वैज्ञानिक-सह-अध्यक्ष डॉ. दिव्यांशु शेखर की अध्यक्षता में आज नगरडीह गांव में एक दिवसीय ऑफ-कैंपस पी.एफ. प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण कृषि अभियांत्रिकी विशेषज्ञ ई. निधि कुमारी द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन एवं जल संरक्षण तकनीकें विषय पर आयोजित किया गया।

इस कार्यक्रम में 47 प्रगतिशील महिला कृषकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। प्रशिक्षण के दौरान ई. निधि कुमारी ने कहा कि गेहूं की बुआई के समय फसल अवशेष का प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि धान की कटाई करते समय लगभग 30 सेंटीमीटर डंठल खेत में छोड़ना चाहिए, जिससे आगामी फसल के लिए 30% बायोमास खेत की सतह को ढक सके। इससे न केवल मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होती है, बल्कि सूक्ष्मजीवों की गतिविधि भी बढ़ती है और खेती की लागत घटती है।

उन्होंने किसानों को पराली जलाने से बचने की सलाह दी और हैप्पी सीडर या सुपर सीडर तकनीक के माध्यम से पराली पर ही गेहूं की बुआई करने की सिफारिश की। साथ ही, उन्होंने जल संरक्षण की तकनीकों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि किसान जीरो टिलेज (Zero Tillage) तकनीक अपनाएं, जिससे जुताई की आवश्यकता नहीं होती और खेत की नमी बनी रहती है। इसके अतिरिक्त, सिंचाई प्रबंधन में गेहूं की पहली सिंचाई क्राउन रूट इनिशिएशन स्टेज (CRI Stage) को सबसे महत्वपूर्ण बताया।

उन्होंने मल्चिंग तकनीक के उपयोग पर भी बल दिया, जिसके तहत पराली या घास को खेत की सतह पर छोड़ने से मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है और जल की बचत होती है।

प्रशिक्षण के अंत में उपस्थित महिला कृषकों ने इस तकनीक को अपनाने का संकल्प लिया और कृषि विज्ञान केन्द्र की इस पहल की सराहना की।

English Summary: Agricultural Engineering Specialist E. Nidhi Kumari gave information on crop residue management and water conservation training women farmers at Krishi Vigyan Kendra
Published on: 12 November 2025, 04:36 PM IST

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