उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने 11 जुलाई यानि रविवार को कहा कि देश में कृषि को बनाए रखने के लिए कृषि उपज के बेहतर मूल्य और किसानों को समय पर, किफायती कर्ज उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है. दरअसल वैश्विक खाद्य संकट को लेकर संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि अगर हम अपने किसानों को समय पर सहायता प्रदान करते हैं, तो भारत न केवल आत्मनिर्भर बना रहेगा साथ ही आने वाले वर्षों में दुनिया की जरूरतें भी पूरा करेगा.
उपराष्ट्रपति ने किसानों की प्रशंसा
कोरोना महामारी की वजह से हुई भारी परेशानियों के बाद भी विगत वर्ष अनाज उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए देश के सभी किसानों की प्रशंसा करते हुए, उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि कृषि क्षेत्र को और अधिक लाभकारी बनाने के लिए इस समय भंडारण क्षमता बढ़ाने, फसल परिवहन पर प्रतिबंध हटाने और खाद्य प्रसंस्करण को प्रोत्साहित करने पर ध्यान देने की जरूरत है.
संसाधनों और लागत में कटौती पर ध्यान देने की जरूरत
इसके अलावा, उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि किसानों को उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ लागत में कटौती पर ध्यान देने की जरूरत है. हमें अपने संसाधनों जैसे पानी और बिजली का अधिक विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करने की भी आवश्यकता है."
उन्नत बीजों को विकसित करने का किया अनुरोध
हैदराबाद में डॉ. मैरी चन्ना रेड्डी मानव संसाधन विकास संस्थान में पूर्व सांसद श्री येलामंचिली सिवाजी की पुस्तक 'पल्लेकु पट्टाभिषेकम' का विमोचन करते हुए उपराष्ट्रपति नायडू ने किसानों को लाभकारी परिणाम सुनिश्चित करने के लिए प्रयोगशाला और खेतों के बीच मजबूत संबंध बनाने का भी सुझाव दिया. इसके अलावा, उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से जलवायु और सूखे का सामना करने में सक्षम बीज के किस्मों को विकसित करने का अनुरोध किया.
ऑर्गेनिक उत्पादों की बढ़ रही मांग
इसके अलावा, कृषि में बढ़ती लागत के मद्देनजर, उपराष्ट्रपति नायडू ने सुझाव दिया कि प्राकृतिक और जैविक खेती लागत को कम करने और किसानों के लिए एक निश्चित आय उत्पन्न करने में काफी संभावनाएं प्रदान करती है. साथ ही उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक उत्पादों की बढ़ती मांग ने किसानों को प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर अपनाने का अवसर प्रदान किया है.
उत्पादन में विविधता से आय में होगी बढ़ोतरी
वहीं उन्होंने यह भी कहा कि किसान नियमित आय सुनिश्चित करने के लिए कृषि से जुड़े क्षेत्रों जैसे- पोल्ट्री, डेयरी फार्मिंग, मत्स्य पालन, बागवानी, एक्वाकल्चर और मछली पालन भी करें. उनके मुताबिक, जो किसान अपने उत्पादन में विविधता (Diversity in Production) लाते हैं, उन्हें फसल खराब होने पर नुकसान का सामना करने की संभावना कम होती है.