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Updated on: 9 December, 2023 10:27 AM IST
मधुमक्खी पालन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला.

राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर में शुक्रवार (9 दिसंबर) को लघु कृषक कृषि व्यापार संघ एवं कृषि विज्ञान केन्द्र ग्वालियर द्वारा मधुमक्खी पालन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला एवं जागरूकता कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. जिसका उद्वेश्य मधुमक्खी पालन कृषि आधारित व्यवसाय को बढ़ावा देना है. उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में मधुमक्खी पालन में कर्नाटक के प्रगतिशील मधुमक्खी पालक डॉ. मधुकेश्वर हेगड़े ने अपने उद्बोधन में बताया कि वह किस प्रकार एक गरीब परिवार से उठकर एक प्रगतिशील उद्यमी बनें. जीवन में उन्हें कितनी कठिनाईयों का सामना करना पड़ा.

मधुमक्खी पालन से सालाना कमा रहे 2 करोड़ 

हेगडे़ ने कहा मेरे जीवन की सफलता में मेरी माता व उनके दिये संस्कारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. आप सभी भी अपने माता-पिता व धरती मां का सम्मान करें. उनके द्वारा शहद से बने उत्पाद हनी जैम, लेमन जिंजर हनी जूस, रॉयल जैली, तुलसी हनी, सुपारी हनी, जामुन हनी, हनी लिप बाम, हनी बीटरूट लिप बाम, हनी पॉलन, हनी सॉप आदि उत्पादों का प्रदर्शन कर किसानों को संबोधित किया. हेगड़े द्वारा मधुमक्खी पालन हेतु 500 से ज्यादा कॉलोनियां बनाई गयी है, जिनसे उनकी स्वयं की वर्षभर की आय 2 करोड़ 28 लाख रूपये है. साथ ही वे 300 कर्मचारियों को रोजगार भी दे रहे हैं. हाल ही में भारत सरकार के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा उन्हें 'महिंद्र मिलिनियर फार्मर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया.'

धान और गेहूं पर निर्भरता जोड़ें किसान

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जबलपुर अटारी जोन 9 के निदेशक डॉ. एस.आर.के. सिंह ऑनलाइन माध्यम से जुड़े. उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला से आप सभी युवा एवं किसान मधुमक्खी पालन की बारिकियां व खूबियां समझकर एक नये व्यवसायी व सफल उद्यमी बने. साथ ही उत्कृष्ट व विकसित भारत के सपने में अपनी सहभागिता करें. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविन्द कुमार शुक्ला ने कहा कि सफल उद्यमी मधुकेश्वर हेगडे की सफलता से मुझे प्रेरणा मिली है. आप सब भी इनसे प्रेरणा लें. उन्होंने कहा कि हमने अपना जीवन केवल धान व गेंहू की फसल पर ही निर्भर कर लिया है. हमें विविधीकरण कर ऐसे पौधे लगाने चाहिए जिन पर मधुमक्खियां आकर परपरागण कर सके. हमें और आपको प्रकृतिपरक होने की आवश्यकता है.


कार्यशाला में 1 हजार से ज्यादा किसानों ने लिया भाग

उन्होंने कहा कि हमें अपनी फसल तकनीक को बदलना होगा ताकि सरसों की फसल के मौसम के अतिरिक्त भी अन्य मौसम में मधुमक्खी पालन किया जा सके. डॉ. शुक्ला ने कहा सफल होने के लिए शिक्षा ही एक माध्यम नहीं है यदि सफल होना चाहते हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने पढे़ लिखे हैं. आपकी सफलता में व्यवहार, शैली, आत्मविश्वास आदि भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. कार्यक्रम में निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ.वाय.पी. सिंह, राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के रंजीत सिंह, अटारी जोन 9 के वैज्ञानिक डॉ. हरीश मंचासीन रहे. कार्यशाला में कुलसचिव अनिल सक्सेना, कृषि विज्ञान केन्द्र ग्वालियर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राज सिंह कुशवाह, लगभग 200 किसान प्रत्यक्ष रूप से व अन्य 1000 किसान ऑनलाइन माध्यम से जुड़े.

English Summary: A two day national workshop and awareness program on beekeeping was organized at Rajmata Vijayaraje Scindia Agricultural University Gwalior
Published on: 09 December 2023, 10:32 AM IST

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