नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद करेंगे कृषि जागरण के 'मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स' के दूसरे संस्करण की जूरी की अध्यक्षता Millets Varieties: बाजरे की इन टॉप 3 किस्मों से मिलती है अच्छी पैदावार, जानें नाम और अन्य विशेषताएं Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान! आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Organic Fertilizer: खुद से ही तैयार करें गोबर से बनी जैविक खाद, कम समय में मिलेगा ज्यादा उत्पादन
Updated on: 22 August, 2020 10:14 AM IST

किसान अरविंद ने बिना इंजीनियरिंग डिग्री के ही कई तरह के कृषि मशीनों को बना दिया है. अरविंद राजस्थान में चलाते हैं कृषि यंत्र वाले वर्कशॉप आय दिन आप अपने जिंदगी में कई इंजीनियरों की सफल कहानीयों से रू-ब-रू होते हैं. लेकिन, क्या आपने अभी तक किसी सफल किसान इंजीनियर की कहानी पढ़ी है? अगर आपने अभी तक ऐसे किसान की कहानी नहीं पढ़ी है तो आइये आज आपको ऐसे ही एक किसान के बारे में बताते हैं जिन्होंने पढ़ाई तो सिर्फ 11वीं तक की है लेकिन उनके काम और हुनर के आगे बड़े-बड़े इंजीनियर उन्हें गुरू मानते हैं.

जोधपुर जिले के मथानिया गांव के किसान अरविंद सांखला ने अपना एक वर्कशॉप बनाया हुआ है जहां वो कई प्रकार की एग्रीकल्चर मशीनों को खुद से बनाया है. वर्कशॉप में किसान ज्यादातर देसी तकनीक वाली मशीनों को तैयार करते हैं. किसान के द्वारा बनाई गयी मशीनें अब लोगों को इतना पसंद आने लगा है कि इसकी मांग दूसरे राज्यों के साथ-साथ दूसरे देशों से भी आने लगी है. अरविंद बताते हैं कि उनका सालाना टर्नओवर मौजूदा समय में 2 करोड़ रुपए से ज्यादा का है.

अरविंद बताते हैं कि वो अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं और उन्होंने 1991 में 11वीं पास करने के बाद घर कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से पढ़ाई छोड़ दी. पढ़ाई छोड़ने के बाद अरविंद खेतो में काम करने लगे. वर्ष 1993 में अरविंद ने कुएं और बोरिंग से मोटर खींचने वाली एक मशीन बनाई जिसमें आम मशीनों की तुलना में मेहनत और वक्त दोनों कम लगता था. अरविंद ने यह मशीन बिल्कुल देसी जुगाड़ से बनाया था जिसको लोगों द्वारा काफी पसंद किया जाने लगा और इसकी बिक्री भी खुब हुई. इस मशीन को लोरिंग मशीन का नाम दिया गया और इसका उपयोग बोरिंग से मोटर को खींचने और सुधरने के बाद वापस अंदर रखने के काम को आसान बनाने के लिए किया जाता है.

ये खबर भी पढ़ें: तेजपत्ते की खेती से उपेंद्र राजकुमार कमा रहे हैं बंपर मुनाफा, जानिए कैसे

राजस्थान का यह मथआनियां गांव मिर्च उत्पादन में काफी प्रसिद्ध है और अरविंद भी पहले अपने खेतो में मिर्च उगाते थे. लेकिन मिर्च की खेती में उनके सामने कई प्रकार की समस्या आने लगी जिसके बाद उन्होंने गाजर की खेती करने का मन बनाया. गाजर की खेती में उनके सामने मिट्टी को साफ करके धोने की थी क्योंकि ऐसा करने में उनको काफी मेहनत और समय लगता था जिसके बाद उन्होंने ड्रम और इंजन की जुगाड़ से गाजर धोने की मशीन बनायी. इस समय में उनकी गाजर धोने वाली मशीन की डिमांड काफी बढ़ गयी थी जिसके बाद उन्होंने विजयलक्ष्मी इंजीनियरिंग वर्क्स के नाम से कृषि यंत्र बनाने की वर्कशॉप खोल ली.

आगे अन्य प्रयोग करते हुए अरविंद ने लहसुन, पुदीना और मिर्च निकालने-साफ करने की मशीन भी बनाई. लहसुन निकालने वाली इस मशीन की कीमत लगभग  15000 रुपए है और इसकी मदद से आसानी से लहसुन को निकाला जाता है. वहीं मिर्च साफ करने की मशीन की अगर बात करें तो इसकी कीमत 4000 रुपए से 75000 रुपए है और इस मशीन की सहायता से एक घंटे में लगभग 250 किलो मिर्च साफ किया जा सकता है.अरविंद की मेहनत इस बात को दर्शाती है कि कुछ कर दिखाने के लिए जूनून होना बहुत जरूरी है.

English Summary: A farmer earns 2 crore annually by selling agri machinery, read details
Published on: 22 August 2020, 10:18 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now