नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर सरकार और किसानों के बीच घमासान जारी है. इस आंदोलन को शुरू हुए करीब डेढ़ महीना हो गया है. 8 जनवरी को भी किसानों के साथ 8वें दौर की बातचीत बेनतीजा रही. जहां एक तरफ प्रदर्शनकारी किसान नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर अड़े हुए हैं, तो वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं ले सकते हैं, हालांकि संशोधन की संभावनाएं खुली हुई हैं.
इतना ही नहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री (Union Minister of Agriculture) ने ये भी प्रस्ताव रखा कि अगर ये मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जा ही चुका है तो क्यों ना पूरा मामला कोर्ट पर ही छोड़ दिया जाए.
किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध को दूर करने के इरादे से शुक्रवार को बुलाई गई बैठक के बाद अगला दिन 15 जनवरी का दिया गया है. लेकिन किसानों का आरोप है कि सरकार मामले का हल नहीं निकालना चाह रही है. किसानों का कहना है कि अगर सरकार का मन नहीं है तो लिखकर बता दें. 8वें दौर की बैठक में किसान तख्ती बैठे हुए थे, जिन पर लिखा था- मरेंगे या जीतेंगे.
बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बोले कि किसान यूनियनों (Farmer Unions) के साथ तीनों कृषि कानूनों पर चर्चा हुई, लेकिन मामले को कोई हल नहीं निकला. इस बैठक में कहा गया है कि कानूनों को वापस लेने की जगह कोई विकल्प दिया जाए, परंतु कोई विकल्प नहीं मिला. आंदोलनकारी किसान बार-बार कानून वापस लेने की बात कह रहे हैं, जबकि देश में बहुत से लोग इन कानूनों के पक्ष में हैं. कृषि मंत्री ने उम्मीद जताई है अगली बैठक में कोई हल जरूर निकलेगा. जिसके बाद सवाल उठते हैं कि क्या 15 जनवरी को होने वाली बैठक में सरकार किसानों का मनाने में कामयाब हो पाएगी?
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) का कहना है कि हम 15 जनवरी को होने वाली बैठक में आएंगे, लेकिन किसान ये तीनों कृषि कानून वापस होने से पहले भरोसा नहीं करने वाले हैं. उन्होंने कहा कि सरकार तीनों कृषि कानूनों में संशोधनों की बात करना चाहती थी, लेकिन हम केवल नए कृषि कानूनों को निरस्त कराना चाहते हैं.
इतना ही नहीं, राकेश टिकैत ने आगे कहा कि वे 26 जनवरी को राजपथ पर एक लाख ट्रैक्टर लेकर पहुंचेंगे. इस दिन दिल्ली बॉर्डर पर किसानों की संख्या भी बढ़ेगी. इसके लिए किसान संगठनों की 11 जनवरी को बैठक होगी. 11 जनवरी को ही सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई भी है.