मसाला बोर्ड (Spice Board) ने सब्सिडी की पेशकश करके मसाले की खेती (Spice Cultivation) को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं. साथ ही फसल के बाद की गुणवत्ता बढ़ाने वाली तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है.
मसलों की खेती पर मिलेगी 50 प्रतिशत सब्सिडी (50 percent subsidy will be given on Spice Farming)
जी हां, राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है. ऐसे में अब राज्य सरकार ने मसालों की खेती (Masalon Ki Kheti) के लिए 50 प्रतिशत की सब्सिडी देने का ऐलान किया है. बता दें कि मसालों की खेती से किसानों की आय में तेज़ी से बढ़ोतरी हो सकेगी क्योंकि इसके निर्यात में भी तेज़ी देखने को मिली है.
खास बात यह है कि स्पाइस बोर्ड किसानों को सिंचाई, भूमि विकास, मशीनीकरण, पुनर्रोपण, मृदा संरक्षण और विभिन्न मसालों की जैविक खेती (Organic Farming of Spices) के लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान करेगा. साथ ही यह सिंचाई और कृषि उपकरण और उपकरण खरीदने के लिए वित्तीय सहायता भी देगा.
भारत में मसालों की खेती पर सब्सिडी (Spices farming subsidy in India)
इसके अलावा, स्पाइसेस बोर्ड के अध्यक्ष ए जयतिलक ने कहा कि यह पहल भारत में मसाला उगाने वाले क्षेत्रों में छोटी इलायची के निर्यात-उन्मुख उत्पादन और अन्य मसालों के कटाई के बाद सुधार के लिए बोर्ड की 12 वीं योजना का हिस्सा है.
लाभ प्राप्त करने के लिए पात्रता मानदंड उत्पादक द्वारा आयोजित भूमि पर आधारित होते हैं और प्रत्येक कार्यक्रम के लिए अलग होते हैं. कर्नाटक में अधिकतम 10,000 सकर्स के लिए 2 रुपये प्रति सॉकर और सीडलिंग की दर से सब्सिडी दी जाती है. वहीं केरल और तमिलनाडु में 2.50 रुपये प्रति सॉकर की पेशकश की जाती है. उत्पादकों के अनुसार, इससे तीन दक्षिणी राज्यों के लगभग एक लाख उत्पादकों को लाभ होगा.
मसालों की गढ़ है दक्षिण भारत (Spices grown in South India)
कुछ योजनाओं के तहत, केरल और तमिलनाडु में छोटी इलायची की खेती (Cardamom Cultivation) करने वालों को 70,000 रुपये तक मिलेंगे, जबकि कर्नाटक में किसानों को 50,000 रुपये तक मिलेंगे.
इसके अलावा उन्हें रोपण सामग्री उत्पादन के लिए भी सहायता मिलेगी. केरल के इडुक्की जिले में देश भर में इलायची के सबसे बड़े बागान हैं और सालाना लगभग 6,000 टन का उत्पादन होता है.
मसालों की खेती पर मिलेगी किसानों को मिलेगी धनराशि (Farmers will get money on cultivation of spices)
किसानों को सिंचाई और भूमि विकास के लिए, बोर्ड पंप सेट, स्प्रिंकलर सेट और अन्य उपकरणों के लिए 50 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता प्रदान मिल सकेगी. इसके साथ ही किसानों को मृदा संरक्षण के लिए 25 प्रतिशत तक की धनराशि भी मिलेगी.
Elaichi के फूलों के परागण में मधुमक्खियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. इलायची के बागानों में मधुमक्खी पालन (Beekeeping) को बढ़ावा देकर उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है और इससे किसानों को अतिरिक्त आय भी होगी. बोर्ड 50 प्रतिशत सब्सिडी पर प्रति हेक्टेयर पांच मधुमक्खी बक्से की आपूर्ति के लिए सहायता प्रदान कर रहा है.
भारत में मसालों की खेती (Spices farming in India)
यह गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी राज्यों में मसालों की कटाई के बाद सुधार प्रक्रिया के लिए भी सहायता प्रदान करता है.