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Updated on: 28 October, 2020 12:33 PM IST

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय के  अधिष्ठाता डॉ. अजय कुमार शर्मा ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संचालित प्रिज्म परियोजना के 13 केन्द्रो में से एक आउटरीच केंद्र सीटीएई में चल रहा हैं. गत वर्ष की विभिन्न कार्य योजनाओं का हाल ही में मूल्यांकन किया गया तथा उसमें व्यक्तियों,  शुरूआतियों एवं एमएसएमई योजना में नवाचार को प्रोत्साहन (प्रिज्म) देने हेतु कार्य करने वाले केन्द्र में से जैसे आईआइटी, कानपुर और आईआइटी, खड़गपुर आदि संस्थानों को पीछे छोड़ते हुए सीटीएई को द्वितीय स्थान प्रदान किया गया.

प्रिज्म परियोजना क्या है?

सीटीएई के अधिष्ठाता डॉ अजय कुमार शर्मा ने जानकारी दी कि कोई भी भारतीय नागरिक जिसके पास कोई भी मौलिक विचार हो, उसे नवाचार को प्रोटोटाईप में बदलने हेतु वित्तीय सहायता इस परियोजना के अंतर्गत प्रदान की जा रही है, जिसमें अन्वेषक अपने मौलिक विचारों नवाचारों को प्रदर्शनीय मॉडल एवं प्रोटोटाईप में परिवर्तित कर सकता हैं. प्रिज्म परियोजना द्वारा अनुसंधानकर्ता के नवाचार को पहचान कर सीटीएई में स्थित केंद्र के सहयोग से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराते हैं, इसमें कोई भी भारतीय नागरिक जिसने किसी भी स्तर की शिक्षा प्राप्त की हो वह इस परियोजना के अन्तर्गत सहायता प्राप्त कर अपने आइडिया को हकीकत में परिवर्तन कर सकता हैं तथा इसके लिए 90 प्रतिशत फंड योजना के तहत और केवल 10 प्रतिशत इनोवेटर को देना होता हैं. सीटीएई केंद्र ने 50 से अधिक नवाचरों को 1.5 करोड़ से अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करने में अन्वेषकों की सहायता की है.

प्रिज्म परियोजना द्वारा विकसित कृषि उपयोगी यंत्र

बेल पल्प निष्कासन यंत्र

सीटीएई के शोध विद्यार्थी श्री मादा सांई श्रीनिवास ने बेल फल से पल्प के निष्कासन के यंत्र का निर्माण किया है, जिससे मानव श्रम में कमी हो सकती हैं. यह यंत्र बेल फल का पल्प को निकालने हेतु अन्यंत उपयोगी है. इस निष्कासन यंत्र का मूल्य लगभग 2.00 लाख रूपये है तथा इस यंत्र द्वारा 1 घंटे में 10 से 12 बेल फलों का पल्प निकाला जा सकता हैं.

मेंहंदी के पत्तों को पृथक करने वाला यंत्र

सीटीएई की शोधकर्ता सुश्री शीतल ने मेंहँदी के पत्तों को पौधों से पृथक करने के लिए एक यंत्र का निर्माण करने के लिए परियोजना में भागीदारी की है. उल्लेखनीय है कि मेंहँदी के पत्तों कि हार्वेस्टिंग का समय अतिअल्प होता है, इस समय मानव श्रम अत्यधिक महंगा हैं, अतः इस यंत्र को उपयोग में लाकर श्रम तथा समय की बचत की जा सकती है.

सौर ऊर्जा चालित माइक्रो सिंचाई यंत्र

अन्वेषक मदन लाल मेंहता द्वारा इस यंत्र का निर्माण लगभग 2.00 लाख रूपये में किया गया है, इसमें ना केवल सिंचाई अपितु उर्वरकां को भी खेत में आसानी से छिड़काव किया जा सकता है तथा इसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह लाया ले जाया जा सकता है. इस प्रकार दुरस्थ इलाकों में सौर ऊर्जा चालित माइक्रो सिंचाई यंत्र (बूंद-बूंद सिंचाई) तथा उर्वरकां का उचित प्रयोग किया जा सकता हैं.

मिर्ची के डंठल तोड़ने वाली मशीन

शोध छात्र श्रीनिवास गिरिजल ने मिर्ची के ऊपरी डंठल को तोड़ने के लिए एक बहुत ही उपयोगी यंत्र को विकसित किया है. इस यंत्र द्वारा 50 किलो मिर्ची का ऊपरी हिस्सा 1 घंटे में आसानी से पृथक किया जा सकता है. जिससे मिर्च पाउडर को बनाने के लिए समय की काफी बचत होती है .  इस यंत्र की सहायता से मानव श्रम में भी कमी आती है तथा मूल्य संवर्धन भी होता है.

गोबर खाद को पाउडर में बदलना

शोध छात्र अन्वेषक सुनील राठौड़ द्वारा विकसित मशीन से गोबर खाद को पाउडर में बदल कर बीज के साथ ही ड्रिल किया जा सकता है. जिससे खाद को खेत में फैलाने का समय और श्रम दोनों में कमी आ जाती है.

स्वचालित सब्जी पौध रोपाई यंत्र

अन्वेषक अभिजीत खेडकर द्वारा इसका विकास किया गया है. जिसकी सहायता से खेत पौधो को स्वतः ही रोपाई कि जा सकती है.

एक अन्य शोध छात्रा सुश्री मम्मिला श्रावणी द्वारा भुट्टों कि तुड़ाई के लिए एक यंत्र को विकसित करने के लिए इस परियोजना के अंतर्गत मंत्रालय ने अभी हाल ही स्वीकृति प्रदान की है. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़ ने जानकारी दी कि हमारे विश्वविद्यालय में अनेक प्रकार के तकनीकी नवाचार एवं शोध हो रहे हैं, जो कृषकों के श्रम को कम करेंगे और कृषि के कार्यों को समय पर पूरा करने में सहायता प्रदान करेंगे जिससे किसानों को अधिकाधिक मूल्य प्राप्त हो सके. वर्तमान में विश्वविद्यालय के अनेक छात्र विभिन्न नवाचारों एवं शोध पर कार्य कर रहे है जिससे आने वाले समय में हमें कई क्षेत्रों में नये अनुसंधान के बारें में जानकारी प्राप्त होगी . यह अत्यंत सुखद, प्रेरक तथा उत्साहजनक है कि राजस्थान में प्रिज्म परियोजना का एक मात्र केंद्र कृषकों की सहायता कर रहा है.

न्यूज़ सोर्स -
(डॉ. अजय कुमार शर्मा) अधिष्ठाता

English Summary: 5 agricultural utility machines developed by Prism Project, which are very effective for farmers
Published on: 28 October 2020, 12:40 PM IST

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