कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा, दिल्ली के द्वारा 28 से 30 मार्च, 2024 तक ’’आर.पी.एल. गार्डनर (माली)’’ विषय पर तीन दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यह प्रशिक्षण भारतीय कौशल विकास परिषद एवं राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद के तत्वाधान में’’ पहले की सीख की मान्यता/Recognition of Prior Learning (RPL) के आधार पर किया गया. बता दें कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों एवं कृषि श्रमिकों को उचित प्रशिक्षण और मान्यता प्रदान करके उनके मौजूदा कौशल को निखारना है, जिससे उनके आय में बढ़ोतरी हो सके.
वर्तमान समय में कृषि में कई उच्च कुशल श्रमिक कार्यरत हैं, जिन्हें कुशल कार्यबल नहीं माना जाता क्योंकि उनके पास औपचारिक प्रशिक्षित होने का प्रमाण पत्र का अभाव है.
इस कार्यक्रम की शुरुआत में केंद्र के अध्यक्ष डॉ. डी.के. राणा ने सभी का स्वागत करते हुए केंद्र की गतिविधियां के बारे संबोधित करते हुए बताया कि भारत सरकार की यह अच्छी पहल है, जिसमें कृषि क्षेत्र से संबंधित ऐसे श्रमिकों की पहचान करके, आवश्यक कौशल और ज्ञान स्तर प्रदान करने एवं प्रमाणीकरण से निश्चित रूप से उनकी ताकत और कौशल क्षमता में वृद्धि होगी, इस क्रम में, कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली प्रतिभागियों के प्रभावी शिक्षण के लिए प्रशिक्षण रूपरेखा, पाठ्यक्रम सामग्री, प्रायोगिक क्रियाएं एवं विभिन्न वीडियो फिल्म विकसित किया है. डॉ. रितु सिंह, विशेषज्ञ (गृह विज्ञान) ने कौशल विकास प्रशिक्षण से संबंधित अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि निरंतर प्रयास और अभ्यास से ही प्रशिक्षु को कौशल प्राप्त कर सकता है, इसलिए प्रशिक्षण के दौरान अभ्यास करना जरूरी है.
केंद्र के बागवानी विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार ने प्रशिक्षण का संचालक करते हुए प्रशिक्षुकों को गार्डेनर (माली) पाठ्यक्रम के अनुसार सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक रुप से बागवानी की उच्च तकनीकी से नर्सरी उत्पादन, पौध तैयार करना, नये गार्डनों के निर्माण, ग्रीनहाउस तकनीकी, नए लॉन की स्थापना, नर्सरी की देखरेख एवं प्रबंधन, खाद-पानी एवं कीट बीमारियों के प्रबंध व सुरक्षा एवं बागवानी क्षेत्र के सभी यंत्रों एवं पौधों की पहचान आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी.
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कार्यक्रम के अंत में केंद्र के प्रसार विशेषज्ञ कैलाश ने बताया कि वर्तमान में परि-नगरीय क्षेत्र में बागवानी एवं माली वर्कर के रोजगार की व्यापक संभावना है. इस प्रशिक्षण में कुल 40 प्रशिक्षुओं ने भागीदारी की, जिनका मूल्यांकन भारतीय कौशल विकास परिषद् के प्रतिनिधित्व डॉ. देशपाल सिंह, मूल्यांकनकर्ता ऑनलाइन किया गया. सभी उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद द्वारा जारी किए जाएंगे.