लोनमाफ़ी की चुनावी घोषणा के बाद से किसानों की उम्मीद जाग उठी थी। किसानों की जमीन कर्ज के बदले बैंको के पास गिरवी रखी हुई थी। व्यावसायिक बैंक किसानों को उनकी जमीन गिरवी रखने के बाद ही लोन प्रदान करता है। राजस्थान में लगभग 32 लाख किसान ऐसे हैं जिन्होंने बैंको से लोन अपनी जमींन गिरवी रखकर लिया है.
इन सभी किसानों में 20 लाख ऐसे किसान हैं जिनको सहकारी बैंको ने बिना गिरवी रखे हुए लोन दिया है. राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार ने चुनाव के ठीक पहले ही सहकारी बैंको के द्वारा 50000 लोन माफ़ करने की घोषणा कर दी थी. बीजेपी की वोटबैंक वाली इस कर्जमाफी योजना में इन सभी 20 लाख किसानों को शामिल किया गया था.
जैसे ही राज्य में नई सरकार आई, सहकारी बैंको ने अपनी कसरत चालू कर दी. सहकारिता सचिव अभय कुमार ने शनिवार को अपेक्स बैंक में लंबी बैठक ली. इस बैठक में सामने आया की सहकारी बैंकों में लगभग साढ़े नौ हजार करोड़ और भूमि विकास बैंक के करीब ग्यारह सौ करोड़ रुपए किसानो के अभी बकाया है और इतना ही नहीं बैंक अधिकारियो का कहना है कि लोनमाफी होने की संभावना नहीं है. बैंक ने पहले से ही 2200 करोड़ का लोन एनसीडीसी ले रखा है.
इसी तर्ज पर प्रदेश के लाखों किसानों ने व्यावसायिक बैंक और ग्रामीण बैंक से भी लोन लिया है. 24 लाख किसानों ने 21 राष्ट्रीयकृत बैंकों से और करीब सात लाख किसानों ने निजी बैंकों से कर्ज लिया है . इन सभी की जमीन बैंकों के पास गिरवी है.
NPA खाते में की जाएगी तब्दीली
व्यावसायिक बैंक किसान क्रेडिट कार्ड के आधार पर किसानों को दो फसलों के लिए लोन देती है. यदि किसान इन दो फसलों की उपज के बाद लोन नहीं चूका पता है तो इसे और दो फसल के लिए बढ़ा दिया जाता है. यदि किसान इसके बाद भी कर्ज़ चुकता नहीं करता है तो इस खाते को एन पी ए खाते में तब्दील कर दिया जाता है. इसके बाद बैंक किसानों से वसूली करना चालू कर देता है. इस वसूली का अधिकार बैंकों के पास न होकर तहसीलदार और राजस्व अधिकारियों के पास होता है.
राजस्थान स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी की मार्च 2018 की रिपोर्ट की मानें तो 58 लाख से अधिक किसान कर्जदार हैं। औसतन प्रति किसान पर 1.69 व्यावयासिक बैंकों से 32 लाख से किसानों ने कर्ज लिया है. औसतन दो लाख बीस हजार रुपए प्रति किसान पर है.