फर्टिलाइजर फ्लाइंग स्क्वाड के छह सदस्य और कृषि विभाग के कई सदस्यों वाली टीम, राकेश पोरिया, और हरीश पांडे, विषय वस्तु विशेषज्ञ (कृषि) सहित टीम ने बीती रात इस अवैध भवन का निरीक्षण किया. संयुक्त टीम ने निरीक्षण के दौरान भवन में अनुदानित कृषि ग्रेड यूरिया की अवैध खेप बरामद कर उसे जब्त कर लिया है. इस यूरिया बैग का निर्माण उत्तर प्रदेश में तीन कंपनियों द्वारा किया गया था. इस खेप को कथित तौर पर प्लाइवुड कारखानों को आपूर्ति करने के लिए यहां लाया गया था. टीम ने इमारत से एक ट्रैक्टर-ट्रेलर और दो उपयोगिता वाहन भी बरामद किए हैं. इस बिल्डिंग के मालिक का पता टीम लगा रही है.
डॉ राकेश पोरिया ने कहा, “जब्ती और सीलिंग की प्रक्रिया पूरी करने के बाद खेप को पुलिस को सौंप दिया गया है और टीम ने पुलिस से यूरिया की जब्त खेप के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने का भी अनुरोध भी किया है.” उन्होंने कहा, “अवैध रूप से कृषि ग्रेड यूरिया की बिक्री और उपयोग करने वाले उर्वरक डीलरों और प्लाईवुड फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.”
केंद्र उचित दर पर सब्सिडी वाले उर्वरक उपलब्ध कराता है. 45 किलोग्राम वाले यूरिया बैग की कीमत 266 रुपये है. तकनीकी-ग्रेड यूरिया की दर कृषि-ग्रेड यूरिया की तुलना में कई गुना अधिक होती है. यह 2,500 रुपये से 3,000 रुपये प्रति 50 किलोग्राम बैग की कीमत पर बिकता है.
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सब्सिडी वाले कृषि-ग्रेड यूरिया का उपयोग केवल कृषि कार्यों के लिए किया जाता है. हालांकि, यह आरोप लगाया गया है कि यमुनानगर जिले में कई प्लाइवुड फैक्ट्रियां एडहेसिव तैयार करने के लिए इस सब्सिडी वाले यूरिया का उपयोग कर रही हैं.