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Updated on: 27 June, 2022 3:41 PM IST

हाल ही में भारत सरकार ने गेहूं की कीमतों में काबू पाने के लिए इसके निर्यात पर बैन लगाया था. मगर कुछ व्यापारियों द्वारा सेंध लगाकर आटे का निर्यात किया जा रहा है. बर्लिन, जर्मनी में आयोजित 'वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए एकता' पर एक मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए वाणिज्‍य मंत्रालय ने कहा कि “भारत ने हमेशा दुनिया की जरूरतों को ध्यान में रखा है, यहां तक कि 1.38 अरब लोगों की अपनी आबादी की आपूर्ति को पूरा करने के बाद.

सचिव ने कहा "यहां यह बताना महत्वपूर्ण है कि भारत सरकार (भारत सरकार) द्वारा हाल ही में गेहूं के निर्यात पर नियमन लाने का निर्णय अनिवार्य रूप से घरेलू उपलब्धता के साथ-साथ कमजोर देशों की उपलब्धता की रक्षा के लिए लिया गया था, जिनकी आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की जा सकती है.

निर्यात में दोगुनी तेजी (exports doubled)

सरकार ने 13 मई को गेहूं के निर्यात को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. इसने उच्च प्रोटीन ड्यूरम सहित गेहूं की सभी किस्मों के निर्यात को "मुक्त" से "निषिद्ध" श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया. इस निर्णय का उद्देश्य घरेलू बाजार में गेहूं की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करना था. 

वाणिज्‍य मंत्रालय ने कहा कि इसके बावजूद सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के निर्यात में दोगुनी रफ्तार के साथ तेजी देखने को मिली है. इस वित्तीय वर्ष 22 जून तक प्रतिबंध के बाद 18 लाख टन गेहूं का निर्यात अफगानिस्तान, बांग्लादेश समेत दर्जनों देशों में किया गया है. उन्होंने कहा कि “भारत ने 2021-22 के वित्तीय वर्ष के दौरान रिकॉर्ड 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था, जबकि आमतौर पर देश लगभग 2 मिलियन टन निर्यात करता है, जो वैश्विक गेहूं व्यापार का लगभग 1 प्रतिशत है”.

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वाणिज्‍य मंत्रालय के संबोधन में कहा गया कि भारत ने सरकार-से-सरकार व्यवस्था के जरिए पड़ोसी देशों और खाद्यान्न की कमी वाले देशों की वास्तविक जरूरतों को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता को कायम रखा है. इसके अलावा पहले से की गई आपूर्ति प्रतिबद्धताओं को भी पूरा किया गया.

English Summary: 18 lakh tonnes of wheat exported even after the ban commerce ministry said
Published on: 27 June 2022, 03:45 PM IST

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