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Updated on: 21 June, 2024 2:57 PM IST
’’प्राकृतिक खेती एवं प्राकृतिक उत्पादों का विपणन’’ विषय पर 10 दिवसीय कार्यक्रम

कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली के द्वारा ’’प्राकृतिक खेती एवं प्राकृतिक उत्पादों का विपणन’’ विषय पर 10 दिवसीय कार्यक्रम में 10 से 19 जून, 2024 तक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन केन्द्र के परिसर में किया गया. बता दें कि कार्यक्रम का शुरुआत में डॉ. डी.के. राणा, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केन्द्र, दिल्ली ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार प्राकृतिक कृषि प्रणाली को प्रोत्साहित कर रही है. वर्तमान समय में खेती में फसल उत्पादन के लिए अधिकतम रसायनों का प्रयोग हो रहा है, जिससे मिट्टी, जल एवं वायु प्रदूषण होने के साथ-साथ फसल उत्पादकता भी कम होने लगी है एवं रसायनों के अधिक प्रयोग से रसायनों का अंश उत्पादों में अधिक मात्रा में आने लगा है, जिससे मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है.

इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र, दिल्ली समय-समय पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करवाता है, जिसमें भागीदारी करके हमें प्राकृतिक आहार के साथ स्वस्थ जीवन स्वस्थ भारत को बढ़ावा देना चाहिए.

प्राकृतिक खेती देसी गौ-आधारित

प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. समर पाल सिंह, विशेषज्ञ (सस्य विज्ञान) ने बताया कि प्राकृतिक खेती देसी गौ-आधारित खेती है, जिसमें गोबर, गोमूत्र, धी दूध एवं दही आदि प्राकृतिक उत्पाद बनाने में प्रयोग होता हैं. इसी के साथ प्राकृतिक विधि द्वारा फसलों के उत्पादन की विभिन्न तकनीकियों के बारे में जानकारी दी एवं प्राकृतिक खेती के प्रमुख अवयवः जीवामृत, पंचगव्य, बीजामृत, घनजीवामृत एवं नीमास्त्र आदि के बनाने की विधियों की विस्तृत जानकारी विधि प्रदर्शन के माध्यम से उपलब्ध करवाई. इसी प्रशिक्षण के दौरान डॉ. राकेश कुमार, विशेषज्ञ (बागवानी) ने प्राकृतिक विधियों के माध्यम से सब्जी एवं फल उत्पादन की विभिन्न तकनीकों के बारे में अवगत करवाया.

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन

डॉ. जय प्रकाश, वैज्ञानिक (पशुपालन) ने बताया कि प्राकृतिक खेती के लिए पशुओं का प्रबंधन एवं उपचार भी प्राकृतिक औषधीय के द्वारा होना चाहिए जैसे पशुओं के चारे में नीम की पत्तियों के प्रयोग से कृमि नाशक का नियंत्रण, थनैला रोग के रोकथाम के लिए हल्दी और देसी धी के मिश्रण का प्रयोग, पशुओं में पाचन तंत्र को मजबूत करने के लिए काली मिर्च, गुड़, लौंग, लहसुन एवं हींग आदि का प्रयोग के साथ साथ किसानों को पशुओं के आहार प्रबंधन एवं रखरखाव की विस्तृत जानकारी दी.

कैलाश, विशेषज्ञ (कृषि प्रसार) ने किसानों से प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को समूह बनाना, गुणवत्ता युक्त उपज, प्राकृतिक उत्पादों का प्रमाणीकरण व विपणन एवं डिजिटल मार्केटिंग चैनल आदि के बारे में अवगत करवाया एवं बृजेश कुमार, विशेषज्ञ (मृदा विज्ञान) ने मृदा परीक्षण का महत्व एवं नमूना एकत्रित करने की विधि आदि के बारे विस्तृत जानकारी दी.

English Summary: 10 days Vocational training program on Natural farming and marketing of natural products latest news
Published on: 21 June 2024, 03:00 PM IST

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