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Updated on: 27 August, 2024 12:34 PM IST
दलहनी फसलों के लिए उन्नत कृषि मशीन, सांकेतिक तस्वीर

दलहन एशिया और अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की सबसे महत्वपूर्ण फसलें हैं. भारत में यह मुख्य रूप से राजस्थान ,मध्य प्रदेश,आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, और गुजरातमें ख़रीफ़ और रबी दोनों सीज़न में उगाया जाता है.दलहनी फसलों के मामले में भारत आत्मनिर्भर नहीं है. वर्तमान समय में भारत में दलहनी फसलों की मांग है , लगभग 26. 72 मिलियन टन, लेकिन उत्पादन लगभग  26.05 मिलियन टन है (पी आई बी,2022) . भारत दलहनी फसलों के आयात पर निर्भर है. सीज़न के दौरान श्रमिकों की कमी और मौसम की अनिश्चितता के कारण किसानों को भारी नुकसान होता है. नुकसान को कम करने और गुणवत्तापूर्ण उपज प्राप्त करने के लिए फसल की समय पर कटाई महत्वपूर्ण है. यह कटाई की लागत और फसल की कुल उत्पादन लागत को दर्शाता है. दलहनों के विविधीकरण की प्रमुख बाधाएँ सुनिश्चित विपणन और मशीनीकरण की कमी हैं.

सुनिश्चित बाजारों की कमी के कारण, किसान दलहनों के विविधीकरण एवं यांत्रिकीकरण तकनीकों को अपनाने में अनिच्छुक हैं, लेकिन वर्तमान में सरकार ने दलहन और तिलहन फसलों के लिए न्यूनतम सुनिश्चित बाजार मूल्य में वृद्धि जैसे कई कदम उठाए हैं. किसानों द्वारा दलहनों को बढ़ावा देने और अपनाने में अन्य मुख्य बाधा विभिन्न कृषि कार्यों के मशीनीकरण की कमी है.

कंबाइन हार्वेस्टर/ Combine Harvester

आधुनिक कृषि में दलहनों की कटाई हेतु कंबाइन हार्वेस्टिंग तकनीक का प्रयोग बढ़ रहा है. परंपरागत रूप से धान, मक्का, गेहूं, सूरजमुखी, दालें एवं अन्य फसलों की कटाई और मड़ाई में उपयोग होने वाले इस यंत्र को दलहनों के लिए विशेष रूप से अनुकूलित किया गया है.

इस अनुकूलन में कंबाइन हार्वेस्टर में एकल ड्रम और अक्षीय प्रवाह प्रणाली का समन्वित उपयोग किया जाता है. यह संयोजन फसल के संवेदनशील स्वभाव को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है. मशीन के अंदर फसल के प्रवेश के दौरान, विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए अवतल (कॉनकेव) का उपयोग किया जाता है. जैसे-जैसे फसल मशीन के क्रॉस सेक्शन से गुजरती है, अवतल की निकासी क्रमशः कम होती जाती है.                              

कंबाइन हार्वेस्टर

इस प्रक्रिया के दौरान, एक विशेष गद्दीदार क्रिया (कुशनिंग इफेक्ट) उत्पन्न होती है. यह क्रिया दलहनों के कोमल दानों को नुकसान से बचाती है, जिससे अनाज का नुकसान न्यूनतम होता है और थ्रेसिंग दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है. इसके अतिरिक्त, कंबाइन में उच्च-तकनीक सेंसर और माइक्रोप्रोसेसर भी लगे होते हैं, जो फसल की स्थिति के अनुसार मशीन के विभिन्न पैरामीटर को स्वचालित रूप से समायोजित करते हैं, जिससे अधिकतम उत्पादकता और न्यूनतम नुकसान सुनिश्चित होता है.

 

भिन्न प्रकार के यांत्रिक कटाई -उपकरण, फसलों के लिए उपयुक्तता और उनकी सीमाएँ कुछ इस तरह है.

() दाँतेदार ब्लेड दरांती: उन्नत दरांती एक अत्याधुनिक कृषि उपकरण है, जिसमें विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया दाँतेदार घुमावदार ब्लेड और एर्गोनोमिक लकड़ी का हैंडल शामिल है. इसका पीछे की ओर झुका हुआ हैंडल बेहतर पकड़ और सुरक्षा प्रदान करता है. ब्लेड की तकनीकी विशेषताओं में दाँतेदार प्रोफ़ाइल, उच्च-कार्बन स्टील निर्माण, और विशेष वक्र डिज़ाइन शामिल हैं, जो घर्षण काटने के सिद्धांत पर काम करते हुए अधिकतम दक्षता प्रदान करते हैं. संचालन में, एक हाथ फसल को पकड़ता है जबकि दूसरा दरांती को चापीय गति में खींचता है, जिससे भूमि स्तर के निकट से कटाई संभव होती है. इसकी औसत ऊर्जा खपत 80-110 मानव-घंटा प्रति हेक्टेयर है, जो विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है. यह उपकरण गेहूं, चावल और घास जैसी विविध फसलों के लिए उपयुक्त है, और परंपरागत हाथ से कटाई की तुलना में श्रम उत्पादकता में 15-20% की वृद्धि कर सकता है, जो इसे छोटे और मध्यम आकार के खेतों के लिए एक आदर्श, कम लागत वाला यंत्रीकरण विकल्प बनाता है.

(बी) रीपर्स/ Reapers: रीपर का उपयोग अधिकतर जमीनी स्तर पर फसलों की कटाई के लिए किया जाता है. इसमें क्रॉप-रोडिवाइडर, कटर बार असेंबली, फीडिंग और कन्वेइंग डिवाइस शामिल हैं. रीपर्स को वर्गीकृत किया गया है. फसलों को पहुंचाने का आधार नीचे दिया गया है:

वर्टिकल कन्वेइंग रीपर विंडरोवर

आधुनिक रीपर-विंडरोवर एक उच्च-तकनीक कृषि यंत्र है, जिसमें क्रॉप रो डिवाइडर, स्टार व्हील, कटर बार और लग्ड कैनवास कन्वेयर बेल्ट जैसे प्रमुख घटक शामिल हैं. यह मशीन फसलों को काटती है और उन्हें ऊर्ध्वाधर रूप से एक छोर तक ले जाती है, जहां से वे एक समान विंडरो में गिरती हैं, जिससे बंडल बनाने के लिए फसल को एकत्र करना आसान हो जाता है. इसके तीन प्रकार उपलब्ध हैं - स्व-चालित चलने वाले, स्व-चालित सवारी, और ट्रैक्टर पर लगे हुए. यह मशीन मुख्य रूप से गेहूं और चावल जैसी अनाज की फसलों के लिए उपयुक्त है, जिसकी क्षेत्र क्षमता 0.20-0.40 हेक्टेयर प्रति घंटा तक हो सकती है. इसमें GPS नेविगेशन, वेरिएबल स्पीड हाइड्रोस्टैटिक ड्राइव, और डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम जैसी उन्नत विशेषताएँ भी शामिल हो सकती हैं, जो इसे पारंपरिक मैनुअल कटाई की तुलना में 5-6 गुना अधिक उत्पादक बनाती हैं, जिससे यह मध्यम से बड़े आकार के खेतों के लिए एक अत्यंत प्रभावी यंत्रीकरण समाधान बन जाता है.

क्षैतिज संदेशवाहक रीपर

आधुनिक रीपर प्रणाली में फसल विभाजक, फसल इकट्ठा करने वाली रील, कटर बार और क्षैतिज कन्वेयर बेल्ट जैसे उन्नत तकनीकी घटक शामिल हैं. यह मशीन फसल को काटती है और उसे क्षैतिज रूप से एक छोर तक ले जाकर सिर-पूंछ शैली में भूमि पर गिराती है, जो प्राकृतिक सुखाने में सहायक होता है परंतु बंडल बनाने को चुनौतीपूर्ण बनाता है. ये ट्रैक्टर-माउंटेड रीपर 35-50 हॉर्सपावर के ट्रैक्टरों के साथ संगत हैं और गेहूं, चावल, सोयाबीन तथा चने जैसी विविध फसलों के लिए उपयुक्त हैं. विशेषकर, नैरो-पिच (38-50 मिमी) कटर बार वाले रीपर सोयाबीन और चने की फसलों के लिए बेहतर प्रदर्शन करते हैं. इनकी कार्य क्षमता लगभग 0.3-0.5 हेक्टेयर प्रति घंटा होती है, जो मैनुअल कटाई से 4-5 गुना अधिक है, और फसल नुकसान को 2-3% तक कम कर सकते हैं. यह तकनीक विभिन्न फसलों और कृषि परिस्थितियों के लिए लचीलापन प्रदान करती है, जो इसे आधुनिक कृषि में एक अत्यंत मूल्यवान उपकरण बनाती है.

दलहन की कटाई मौजूदा मशीनरी का उपयोग करके कुशलतापूर्वक की जा सकती है जो अन्य फसलों की कटाई के लिए काफी लोकप्रिय है और जैसा कि पहले सुझाव दिया गया है  कुछ नवाचार संशोधन के साथ आसान उपलब्धता हो सकती है. पारंपरिक तरीकों की तुलना में  दलहनों  की कटाई से कीमती श्रम और समय की बचत हो सकती है. कम नुकसान और उच्चस्तर की सफाई दक्षता के कारण पारंपरिक तरीकों की तुलना में परीक्षण में अनुकूल परिणाम देखने को मिल सकते है.

लेखक:-
बिबेक इशोर, अनुराग भार्गव , रधुराज सिंह
, २. पी.एच.डी. स्कोलर (कृषि अभियांत्रिकी), कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रोधोगिकी महाविद्यालय, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार
वैज्ञानिक , भा. कृ. अनु. प. - औषधीय एवं सगंधीय पादप अनुसंधान निदेशालय , आणंद, गुजरात

English Summary: types harvesting machines for pulse crops
Published on: 27 August 2024, 12:40 PM IST

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