जब कोरोना की पहली के दौरान लॉकडाउन लगाया गया था, तब पूरा देश वीरान था, सख्ती का सिलसिला इस कदर गंभीर था कि सभी कल-कारखानें बंद हो चुके थे. विकास का पहिया थम-सा चुका था. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए, मगर इस बार स्थिति कुछ अलहदा है. अलबत्ता, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भी सख्ती का सिलसिला जारी है, मगर इस बार आर्थिक पहिए को सुचारू बनाए रखने के लिए कुछ रियायतें भी प्रदान की गई हैं, ताकि आर्थिक पहिए को सुचारू बनाए रखा जा सके, ताकि हालात उस कदर न बिगड़े जैसा कि इसके बिगड़ने की संभावना जताई जा रही है.
ग्रामीण इलाकों में बेकाबू हुए हालात
आपको बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सर्वाधिक मुहाल ग्रामीण तबके के लोग हैं. वहां कोरोना का संक्रमण अपने चरम पर पहुंच चुका है. लोग लगातार संक्रमित हो रहे हैं. ऐसे में ग्रामीण उद्योग पूरी तरह से ठप हो चुका है. कृषि क्षेत्र से जुड़े लोग भी मुहाल हैं. पहली लहर के दौरान जैसे-तैसे इन्होंने अपने आपको संभाल लिया था, मगर दूसरी लहर का सामना करना इनके लिए मुश्किल हो रहा है. वहीं, कृषि क्षेत्र से जुड़ी उपकरण बनाने वाली कंपनियां भी प्रभावित हो रहीं हैं. उनके उपकरणों की बाजार में मांग कम हो गई है. ऐसे में किसानों के लिए ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनी एस्कॉर्ट्स ने भी कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अपने ट्रैक्टर पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की है.
एस्कॉर्ट्स कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि इस बात में कोई दोमत व दोराय नहीं है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सर्वाधिक कहर ग्रामीण इलाकों में देखने को मिल रहा है, जिसकी वजह से कृषि क्षेत्रों से जुड़े उपकरणों की मांग में असर पड़ा है, लेकिन हमें पूरी उम्मीद है कि हम कुछ दिनों की कश्मकश के बाद पूरी स्थिति को अपने काबू में कर लेंगे. इस दौरान उन्होंने पहली लहर के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के दौरान बाजार पर पड़े प्रभाव का हवाला देते हुए कहा कि पिछली बार भी हमारे ट्रैक्टर की मांग में कमी आई थी, मगर बाद में हम इसे पटरी पर ले आए थे. इस बार भी जल्द ही हालात दुरूस्त हो जाएंगे. हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं.
एस्कॉर्ट्स के अधिकारी के मुताबिक, जैसा की अभी बुवाई का मौसम शुरू होने वाला है, ऐसे में इस बार तो नहीं लेकिन अगली बार हमारे उपकरण की अच्छी मांग बाजार में देखने को मिल सकती है. उन्होंने बताया है कि अभी कृषि क्षेत्र के सारे कारक सकारात्मक बने हुए हैं. ऐसे में हालातों के दुरूस्त होने की संभावना अभी-भी बची हुई है. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के अनुसार, 2020-21 में ट्रैक्टर पंजीकरण 16.11 प्रतिशत बढ़कर 6,44,779 इकाई हो गया, जबकि 2019-20 में 5,55,315 इकाई थी. उन्होंने कहा कि उम्मीद की किरण अभी-भी बाकि हैं. हालातों को गंभीर होने से बचाने के लिए केंद्र की तरफ से ग्रामीण इलाकों में लोगों को वैक्सीन लगाया जा रहा है, ताकि कोरोना का दट कर मुकाबला किया जा सके और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदहाल होने से रोका जा सके.
निर्यात का सिलिसिला भी है जारी है
कंपनी के मुताबिक, घबराने की कतई जरूरत नहीं है, चूंकि ट्रैक्टर की बिक्री के लिए न महज हम घरेलू अर्थव्यवस्था पर ही निर्भर हैं, बल्कि हम इसका विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है. कंपनी ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि “आज हम हर महीने 500 से अधिक ट्रैक्टर निर्यात कर रहे हैं, इसलिए इस साल हम 6,000-7,000 यूनिट्स की अच्छी संख्या देख रहे हैं, जबकि पिछले साल हमने 4,000-4,500 यूनिट्स की थी.
जानें, कैसा है वैश्विक बाजार में कंपनी का हाल
वहीं, अगर वैश्विक बाजार में कंपनी के हाल की अगर बात करें, तो वहां भी कंपनी का अच्छा खासा दबदबा हैं, जहां उसे अच्छी आय प्राप्त हो रही है, ऐसे में कंपनी भविष्य जोखिमों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है. कंपनी 60-70 hp सेगमेंट में भी कैटरिंग कर रही है.
एस्कॉर्ट्स लिमिटेड अपने वैश्विक पदचिह्न विस्तार के लिए अपने संयुक्त उद्यम भागीदार कुबोटा का भी लाभ उठा रहा है. “अब कुबोटा ने भी अपना नेटवर्क खोलने के साथ, हमने उन्हें यूरोपीय बाजार में निर्यात करना शुरू कर दिया, वे इसे दक्षिण पूर्व एशियाई बाजार, थाईलैंड, वियतनाम, म्यांमार में ले जाने की योजना बना रहे हैं. ये बाजार खुलेंगे, ”उन्होंने कहा कि कंपनी अमेरिका और ब्राजील जैसे देशों में भी जाएगी.