आमतौर पर किसी भी फसल से अच्छा पैदावार पाने के लिए उसकी बीज की बुवाई सही तरीके से होनी चाहिए. अगर बीज अच्छे से नहीं बोएं गए होंगे तो फिर पैदावार 40-50 प्रतिशत तक प्रभावित हो सकता है.
मगर खेती-बाड़ी में बीज का कार्य करना किसानों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता है. बुवाई का कार्य काफी मुश्किल होता है. इसलिए तो आधुनिक दौर में इसके लिए कई मशीनें और कई तरीके अपनाएं जाते हैं. इन्हीं में से एक तरीका “गेहूं की गहनता पद्धति या गेहूं सघनता प्रणाली (System of Wheat Intensification, SWI)’’ भी है.
गेहूं सघनता प्रणाली क्या है?
SWI गेहूं की एक नवीन खेती की तकनीक है जिससे गेहूं की फसल से अच्छा उत्पादन मिलता है. इसमें बीज और पानी की उचित मात्रा, जैविक खाद का इस्तेमाल, खरपतवार एवं कीटों के नियंत्रण के लिए जैविक व यान्त्रिक तरीकों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है.
इस नई प्रणाली का प्रमुख मकसद भूमि, जल, जैविक कृषि संसाधनों और सूर्य ऊर्जा का समुचित इस्तेमाल करते हुए अधिकतम पैदावार प्राप्त करना है. इस गेहूं की बुवाई तकनीक का किसान आसानी से इस्तेमाल कर सकें, इसके लिए पूसा ने एक कृषि यंत्र तैयार किया है. इस कृषि यंत्र के माध्यम से किसान गेहूं की बुवाई सघनता प्रणाली को अपनाकर आसानी से कर सकते हैं. पूसा ने इसे “गेहूं की गहनता पद्धति बुवाई यंत्र” नाम दिया है. ऐसे में चलिए इस कृषि यंत्र के बारे में अधिक जानकारी जानते हैं.
गेहूं की गहनता पद्धति बुवाई यंत्र
उपयोगिता: गहनता पद्धति में गेहूं के बीज का सटीक बीज की बुवाई (2-3) बीज
ट्रैक्टर क्षमता: 45 एच. पी. ट्रेक्टर
कार्य दक्षता: 0.2-0.3 हेक्टेयर प्रति घंटा
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लाभ: गेहूं की परंपरागत बुवाई पद्धति की तुलना में SWI पद्धति का मशीनीकरण उपयोगी है, इससे 40-50 प्रतिशत से अधिक बीज की बचत होती है.