बाजरा किसी भी शुष्क मिट्टी के लिए उपयुक्त और आसानी से उगाई जाने वाली एक टिकाऊ फसल है. यह फसल अत्यधिक छोटे बीज वाली घासों का एक समूह है जो दुनिया भर में अनाज और चारे के रूप में उगाया जाता है. यह फसल कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है और इसकी संरचना फसल में होने वाली कई स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने और ठीक करने मदद करती है.
बाजरे को उन क्षेत्रों में उगाया जा सकता है जहां अन्य अनाज जैसे कि गेहूं, जिसे विपरीत परिस्थितियों के कारण नहीं उगा सकते. बाजरा की कई किस्म भी हैं. ऐसे में ग्रीष्मकालीन वार्षिक मोती बाजरा को सबसे अच्छी किस्म माना जाता है, क्योंकि इसे दोहरी फसल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और इसे एक के बाद एक अंतराल पर लगा सकते हैं. भारत में, बाजरा की सबसे अधिक खेती उत्तर प्रदेश, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में की जाती है.
बाजरा की खेती करना उतना बड़ा काम नहीं है जितना हम इसे समझते हैं; निराई से लेकर कटाई तक, यदि उत्पादक सही उपकरण और उर्वरक का उपयोग करता है और जरुरी कदम उठाता है, तो बाजरे की खेती करना कोई मुश्किल काम नहीं है. यहां, हम आपको बाजरा की खेती की प्रक्रिया के बारे में बताएंगे.
खरपतवार प्रबंधन:
खरपतवार बाजरे का सबसे बड़ा शत्रु है. ऐसे में किसान भाई खरपतवार को निकाल कर बाजरे की क्यारी तैयार कर लें. खेतों में मौजूद खरपतवार पोषक तत्वों, मिट्टी, नमी, धूप और जगह के लिए फसलों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं जिसके परिणामस्वरूप कम उपज, खराब गुणवत्ता वाली फसल किसानों को प्राप्त होती है और उच्च लागत भी लगती है. खरपतवार कीटों और रोगों को भी आश्रय देता है; इसलिए, केवल भूमि की तैयारी के दौरान ही नहीं बल्कि फसल की बढ़ती अवधि के दौरान भी खरपतवारों को नियंत्रित करना आवश्यक है.
बाजरे में खरपतवार नियंत्रण के लिए मैनुअल और मैकेनिकल निराई अब तक का सबसे व्यापक रूप से पालन किया जाने वाला तरीका है. किसान मिट्टी से सभी खरपतवार निकालने के लिए ब्रश कटर का उपयोग कर सकते हैं. Stihl का शक्तिशाली FS 120 ब्रशकटर अभी बाजार में सर्वश्रेष्ठ कृषि उपकरणों में से एक है क्योंकि यह हल्का और उपयोग करने में आसान है.
मिट्टी को अच्छी तरह से जोतने के लिए एक गहरी जुताई करनी चाहिए, जिसके लिए किसान स्टिल के एमएच 710 पावर टिलर को ट्रैक्टर से लगा सकते हैं. उसके बाद दो या तीन हैरोइंग खेतों में कर सकते हैं.
बीज कैसे बोएं:
प्रोसो बाजरा (Proso Millet) के लिए, 1.5 -2 किलो पर एकड़ बुवाई दर की सलाह दी जाती है. फॉक्सटेल-2 की बाजरा में बुवाई दर 1.5 kg प्रति एकड़ है. बाजरे की बुवाई आमतौर पर एक इंच की गहराई पर सीड ड्रिल मशीन द्वारा की जाती है. बीज का आकार महीन होने के कारण, इसके लिए समतल एवं भुरभुरी मिट्टी का होना आवश्यक है. यदि किसी भी प्रकार मिट्टी के ढेले छुट जाएं या सीड बेड सख्त हो तो फसल का सामान्य विकास नहीं हो पाता है. जिससे ना केवल उत्पादन घटता है बल्कि गुणवत्ता में भी कमी आ जाती है. मामूली सीड ड्रिल मशीन सीड बेड को सख्त बना देता है जिसके कारण खरपतवार नियंत्रण में काफी कठिनाई आ सकती है. अतः सिफारिश की जाती है कि बाजरे की बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह से गहरी जुताई कर समतल बनाकर ही करें.
Stihl के मशीन से होने वाले लाभ:
बाजरा का उपयोग चारा एवं अनाज दोनों के रूप में किया जाता है. चारे के उद्देश्य से बाजरे की कटाई बुवाई के 50-60 दिन बाद कर लेनी चाहिए. अनाज के लिए बाजरा की कटाई तब करनी चाहिए जब तना एवं बीज सुनहरे भूरे रंग के हो जाएं. इस अवस्था के दौरान किसान भाई हाथ से या यांत्रिक थ्रेशर के उपयोग से कटाई कर सकते हैं. इसके अलावा स्टिल के एफएस 120 ब्रशकटर का उपयोग भी कर सकते हैं.
बाजरे के उत्पादन खर्चों में कमी करने के लिए Stihl के कृषि उपकरण का उपयोग करें. स्टिल के अन्य उपकरणों के बारे में अधिक जानकारी पाने के लिए इनकी आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आप इस संबंध में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
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