गर्मी की शुरुआत हो चुकी है. इसी के साथ लोगों में एक आम समस्या सामने आने लगती है वो है नींद पूरा ना होने की. जैसा की कई रिसर्च में इस बात को माना जा चुका है कि हमारे शरीर के लिए 7 से 8 घंटे की नींद जरूरी होती है. अगर नींद पूरा नहीं होता है या आप कम सोते हैं तो आपको कई सारी बीमारियां हो सकती हैं.
गर्मियों में अक्सर ऐसा होता है कि नींद कम आने लगती है, जिससे कई बार नींद पूरा नहीं होता है और इससे कई तरह की परेशानियां हमें घेर लेती है. ऐसे में चलिए इस लेख में जानते हैं कि गर्मियों में नींद कम आने की वजह क्या हैं और इसमें सुधार कैसे लाया जा सकता है.
गर्मियों में कम नींद आने का कारण
मेलाटोनिन- मेलाटोनिन एक ऐसा हार्मोन है जो हमारे सोने-जागने के चक्र को नियंत्रित करता है. हमारे शरीर में मेलाटोनिन का उत्पादन सूर्य के प्रकाश द्वारा नियंत्रित होता है, जो हमारे मस्तिष्क को जागते रहने के लिए प्रेरित करता है. अंधेरा होते ही हमारा मेलाटोनिन का स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है. मेलाटोनिन के स्तर में वृद्धि हमारे मस्तिष्क को बताती है कि यह सोने का समय है. गर्मियों के दौरान जैसे-जैसे दिन लंबा और लंबा होता जाता है, मेलाटोनिन के उत्पादन में देरी होती जाती है.
तापमान- गर्मियों में बढ़ता तापमान भी एक अन्य कारण है जो हमारे सोने के शेड्यूल को प्रभावित करता है. वास्तव में गर्मी होने पर सहज महसूस करना हमारे लिए कठिन हो जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जब हमारा शरीर हमें नींद के लिए तैयार करता है, तो यह तापमान को कम कर देता है. लेकिन जब यह बहुत गर्म होता है तो यह संभव नहीं हो पाता है.
कम सोने से स्वास्थ्य पर पड़ता है ये असर
याददाश्त की समस्या- नींद की कमी हमारी छोटी और लंबी अवधि की याददाश्त पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जब हम सोते हैं तो हमारा मस्तिष्क नई सूचनाओं को संसाधित करता है और हमें कनेक्शन बनाने में मदद करता है जो हमें याद रखने में काफी सहायक है.
मूड की समस्या- नींद की कमी हमें गुस्सैल और भावुक बना सकती है. जब अनुपचारित छोड़ दिया जाता है तो यह चिंता या अवसाद जैसे मूड विकारों को भी जन्म दे सकती है.
प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करना- नींद की कमी सामान्य वायरस के खिलाफ हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की सुरक्षा को कमजोर करती है.
कम सेक्स ड्राइव- नींद की कमी से सेक्स ड्राइव कम हो सकती है.
गर्मियों के दौरान अपने स्लीप शेड्यूल को कैसे सुधारें?
सोने का एक नियमित रूटीन बनाएं- आप हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने से अपने सोने के पैटर्न को सुधार सकते हैं.
प्रकाश के संपर्क में आना कम करें- लंबे समय तक सूर्य के प्रकाश के संपर्क में रहने से हमारे शरीर में मेलाटोनिन के उत्पादन में देरी होती है. इसलिए, दिन के दौरान (सुबह के बाद का समय) पर्दे खींचकर प्रकाश के संपर्क में आने से बचें और रात में कमरे में लाइट बंद करके सोने की कोशिश करें.
सोने से पहले व्यायाम करने से बचें- सोने से कम से कम 4 घंटे पहले उच्च तीव्रता वाले वर्कआउट करने की कोशिश ना करें. क्योंकि यह हमारे ऊर्जा स्तर को बढ़ा सकता है और हमारे शरीर को आराम करने और ठंडा होने से रोक सकता है.
सुबह बाहर जाएं- सूरज की रोशनी के कम संपर्क में आने से भी हमारी नींद के पैटर्न में बाधा आ सकती है, ठीक उसी तरह जैसे सूरज की रोशनी के संपर्क में आने से. सुबह का सूरज हमारी सर्केडियन क्लॉक को मजबूत करने में मदद करता है और हमारे दिमाग को सतर्क रहने में मदद करता है. यह रात में बेहतर नींद को भी बढ़ावा देता है.
भारी भोजन खाने से बचें- भारी भोजन खाने से हमारे शरीर को गर्माहट महसूस होती है जो कि अगर आप रात की अच्छी नींद लेना चाहते हैं तो उल्टा है. इसलिए लोगों को सलाह दी जाती है कि या तो रात का खाना शाम को जल्दी खा लें या रात में हल्का भोजन करें.
तापमान को एडजस्ट करें- नींद के लिए तैयार होने के लिए हमारा शरीर खुद को ठंडा करता है. जब गर्मी के दिनों में तापमान बहुत अधिक हो जाता है, तो हमारे लिए ऐसे कमरे में सोना मुश्किल हो जाता है जो ठीक से हवादार न हो. पंखे, एयर कंडीशनर या कूलर का इस्तेमाल करें या उचित वेंटिलेशन के लिए दरवाजा या खिड़की खोल लें. गर्म हवा के अलावा नमी भी आपको सोने से रोक सकती है.
सोने से ठीक पहले नहाना- सोने से एक या दो घंटे पहले नहाने से हमारे शरीर पर कुदरती तौर पर कूलिंग-डाउन प्रभाव पड़ता है. इसलिए सोने से ठीक पहले नहाने से रात को अच्छी नींद आती है.
ये भी पढ़ेंः अधिक उबासी आना यानि इन बीमारियों के है संकेत