भारत की विविधता और खानपान
देश के हर राज्य की अपनी अलग पहचान होती है — चाहे वह पहनावा हो या खानपान। भारत में अलग-अलग राज्यों के लोग गेहूं, बाजरे और ज्वार की रोटियां खाना पसंद करते हैं। लेकिन स्वाद के चक्कर में हम अक्सर यह भूल जाते हैं कि कौन-सी रोटी शरीर के लिए अधिक फायदेमंद है। आज हम आपको बताएंगे कि किस रोटी में पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है और किसका अधिक सेवन नुकसानदायक हो सकता है।
गेहूं की रोटी
गेहूं की रोटी उत्तर भारत में सबसे ज्यादा खाई जाती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी और मिनरल्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है। हालांकि, गेहूं की रोटी का अधिक सेवन शरीर के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। यदि आप गेहूं की रोटी खाते हैं तो ध्यान रखें कि इसे सुबह या दोपहर के भोजन में ही शामिल करें। रात में गेहूं की रोटी का सेवन करने से बचें, क्योंकि गेहूं का आटा भारी होता है और इसे पचाने में समय लगता है। इससे अपच, गैस या पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
बाजरे की रोटी
राजस्थान बाजरे की खेती में सबसे आगे है और राज्य के लगभग 27% हिस्से में इस फसल की अधिक पैदावार होती है। बाजरे की रोटी का सेवन शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें आयरन की मात्रा अधिक होती है। यह शरीर में खून की कमी (एनीमिया) को दूर करने में मदद करती है। हालांकि, बाजरे की रोटी की तासीर गर्म होती है, इसलिए इसका सेवन सर्दी के मौसम में करना अधिक उचित रहता है।
ज्वार की रोटी
ज्वार की रोटी का सेवन भारत के कुछ हिस्सों में किया जाता है - जैसे मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर कर्नाटक। यहां लोग ज्वार की रोटी को दाल या चटनी के साथ खाना पसंद करते हैं। ज्वार की रोटी में पोटैशियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन और फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसके सेवन से कब्ज, गैस और एसिडिटी जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
इसके अलावा, जिन लोगों को आईबीएस (IBS – Irritable Bowel Syndrome) जैसी आंतों की समस्या है, उनके लिए भी ज्वार की रोटी फायदेमंद साबित हो सकती है।
नोट: तीनों रोटियों में पोषक तत्व अलग-अलग मात्रा में पाए जाते हैं।
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गेहूं की रोटी ऊर्जा प्रदान करती है।
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बाजरे की रोटी खून की कमी को दूर करती है।
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ज्वार की रोटी पाचन को बेहतर बनाती है।
अगर आप अपनी डाइट में बदलाव करना चाहते हैं, तो मौसम और शरीर की जरूरत के अनुसार इन रोटियों का सेवन करें।