सर्दियाँ अपने साथ कई बदलाव लेकर आती हैं. गिरते तापमान के बीच हमें अपनी सेहत पर ध्यान देना जरुरी हो जाता है. क्योंकि माना जाता है कि सर्दियाँ सेहत बनाने और बिगाड़ने, दोनों का भरपूर मौका देती हैं. अगर हम खुद के प्रति जरा सी लापरवाही बरतते हैं तो कई बीमारियां पीछे लग जाती हैं. इसलिए जरुरत इस बात की होती है कि तबियत बिगड़ने से पहले ही हमें खुद को सर्दियों के हिसाब से ढाल लेना चाहिए. इससे हम स्वस्थ तो रहेंगे ही साथ ही सर्दियों का भी भरपूर मजा ले सकते हैं. आइये जानते हैं कि इसके लिए क्या करना चाहिए...
संतुलित भोजन
भोजन शरीर को ऊर्जा देता है. सर्दियों में हमारे शरीर को गर्म रखने के लिए ज्यादा ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है. इसलिए हमारे खाने का संतुलन होना बेहद जरुरी है. भोजन में आमतौर पर कार्बोहइड्रेट की मात्रा पाई जाती है लेकिन यह शरीर के लिए काफी नहीं होते हैं. शरीर को वसा, प्रोटीन, फाइबर और तरल पदार्थों की भी उतनी ही जरुरत होती है. सर्दियों के दिनों में हमें गर्म खाने की इच्छा होती है. इसलिए हम तला हुआ खाना और जंक फूड के सेवन को तरजीह देते हैं. इससे कार्बोहइड्रेट की मात्रा जरुरत से अधिक होने लगती है. साथ ही सर्दियों में हमारी शरीर की सक्रियता भी कम हो जाती है. ज्यादा वक्त हम बिस्तर पर या रजाई में गुजारते हैं इससे वसा और कार्बोहइड्रेट शरीर में जमा होने लगता है.
उपरोक्त बातों पर गौर करें तो संतुलित भोजन की अहमियत काफी हद तक बढ़ जाती है. अधिक तला- भुना खाने की बजाय मौसमी फल, हरी सब्जियों पर जोर देना चाहिए. भोजन के साथ हरी सब्जियाँ, सलाद व सूप लें. इससे शरीर को पर्याप्त पोषक तत्व व् फाइबर मिलेगा. शरीर में पानी की कमी न होने दें.
धूप है जरुरी
सर्दियों में धूप की अवधि कम हो जाती है. दोपहर के तकरीबन दो-तीन घंटे तक ही धूप खिली रहती है. आजकल की भागमभाग और तेज रफ्तार जिंदगी में हमारे पास वक्त ही नहीं रहता कि कुछ धूप ली जाए. ऐसे में पर्याप्त आराम के बावजूद थकान की शिकायत रहती है. साथ ही हड्डियों व मांसपेशियों में दर्द रहता है. विटामिन-डी की कमी के चलते ऐसी समस्याएं देखने को मिलती हैं. सूरज की रोशनी को विटामिन-डी का अच्छा और आसान स्रोत माना जाता है. एक अनुमान के मुताबिक 100 में से तकरीबन 70 लोगों में विटामिन-डी की कमी पाई जाती है. सर्दियों का मौसम इस कमी को पूरा करने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. विशेषज्ञों की मानें तो सर्दियों को दोपहर की धूप अगर त्वचा पर लगती है तो विटामिन-डी के लिहाज से यह काफी असरदार माना जाता है.
अपनी व्यस्त जीवन शैली से कुछ वक्त निकालकर रोज धूप सेंकने की कोशिश करें. अगर आप दिन में घर रहते हैं तो दोपहर में सोने से बचें. दिन में सोना विटामिन-डी की पूर्ति से तो महरूम करता ही है साथ ही नींद की आदत भी गड़बड़ा जाती है.
अंदर कपड़े सुखाने से बचें
कपड़ों को सुखाने की समस्या सर्दियों में आम हो जाती है. कमजोर धूप के चलते कपड़े सूखने में काफी देर लगती है. इसके अलावा रात को ओस से भी कपड़े नहीं सूख पाते हैं. इस स्थिति में ज्यादातर लोग कपड़ों को घर के अंदर सुखाने के लिए डाल देते हैं. ऐसा करना नुकसानदायक माना जाता है. विशेषज्ञों की राय के मुताबिक, घर के अंदर गीले कपड़े सुखाने से घर में एसलडीहाइडेट और बेंजीन के कण हवा में घुल जाते हैं, जिससे त्वचा को हानि पहुँचती है. अस्थमा जैसे रोगों से पीड़ित लोगों के लिए यह और भी घातक माना जाता है. इसके अलावा भी अगर गीले कपड़ों को घर के अंदर सुखाया जाता है तो सिरदर्द, गले में खराश और आँखों में जलन जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है. हाँ, अगर घर के अंदर कपड़े सुखाते हैं तो इस बात को सुनिश्चित करें कि कमरे की खिड़कियां खुली रहें ताकि रासायनिक कण बाहर निकल जाएं.
क्रीम का अधिक प्रयोग न करें
इन दिनों क्रीम का चलन काफी बढ़ गया है. बाजार में कई अलग-अलग ब्रांड की क्रीम आने से इसको और बढ़ावा मिला है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सर्दियों में क्रीम का अधिक इस्तेमाल त्वचा को नुकसान पहुंचाता है. दरअसल, सर्दियों की ठंडी हवा, त्वचा को शुष्क बना देती है. इसलिए त्वचा को नरम बनाने के लिए नमी वाले पदार्थों की आवश्यकता होती है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि किसी गैरजरूरी क्रीम या लोशन का प्रयोग किया जाए. अधिक क्रीम लगाने से त्वचा पर धूल और मिट्टी के कण देर तक जमे रहने की संभावना बढ़ जाती है. नतीजतन, कील, मुहांसे और त्वचा की एलर्जी जैसी परेशानियां बढ़ जाती हैं.
नियमित व्यायाम करें
सर्दियों में शरीर को अधिक पेशीय बल की जरुरत होती है इसलिए हर रोज व्यायाम करना ना भूलें. आंतरिक और मानसिक समस्याओं से ग्रसित लोगों में मौसम बदलने पर उनके मिजाज में तेजी से उतार-चढ़ाव आता है. नियमित व्यायाम करना शरीर में ख़ुशी बढ़ाने वाले हार्मोन को बढ़ाता है. तनाव और अवसाद से निजात दिलाने में उपयोगी भूमिका निभाता है. वैसे भी, सर्दियों में शारीरिक सक्रियता घटने से शरीर का वजन बढ़ने की आशंका काफी हद बढ़ जाती है. इसके अलावा व्यायाम करना शरीर के लचीलेपन को भी बनाए रखता है.
कृषि जागरण डेस्क, नई दिल्ली