भारत में दातून करने की परंपरा बेहद पुरानी है. पुराने ज़माने में लोग दांतों को साफ़ रखने के लिए दातुन का इस्तेमाल करते थे. क्या आपने कभी सोचा है कि पहले जमाने में लोगों को दांतों की समस्या बहुत कम क्यों होती थी, जबकि पहले के लोग ब्रश-पेस्ट का इस्तेमाल भी नहीं करते थे. फिर भी उन के दांत मजबूत रहते थे, उन्हें किसी भी प्रकार के दांतों से सम्बंधित रोग जैसे दांतों में सेंसिटिविटी की समस्या का होना, दांतों का पीला होना आदि नहीं होते थे.
आजकल दांतों की सफाई के लिए जो टूथपेस्ट इस्तेमाल किये जाते हैं, उन में काफी मात्रा में केमिकल्स पाए जाते हैं. ये हमारे दांतों की सफाई तो अच्छे से करते हैं लेकिन टूथपेस्ट के इस्तेमाल से हमारे दांतों और मसूड़ों में समस्याएं होने की संभावना होती हैं.
जबकि दातुन का प्रयोग इस तरह की किसी भी समस्या को पनपनें नही देता. वृक्ष विशेष के रस ना केवल हमारे दांतों और मसूड़ों को ही स्वस्थ रखते हैं बल्कि शरीर के अनेक रोग दूर करने में भी सहायक होते हैं. इस लेख में अनेक प्रकार के दातुनों का प्रयोग कर अलग-अलग रोगों की रोकथाम से संबंधित जानकारी पढ़िएं-
कैसे बनाया जाता है दातुन
दातुन को किसी औषधीय पेड़ की पतली टहनी तोड़ कर बनाया जाता है. टहनी को दांतों से कूचकर उसकी सफाई की जाती है. इससे दांतों में मजबूती तो आती ही है साथ में मुंह के अन्दर मौजूद तमाम बैक्टीरिया भी ना ष्ट हो जाते हैं
कौना - से वृक्षों की दातुन का कर सकते हैं इस्तेमाल
ऐसे 12 वृक्ष है जिना के दातुन आप इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसमें बबूल , अर्जुन , आम , अमरुद ,जामुन ,
महुआ, करंज, बरगद, अपामार्ग, बेर, इत्यादि है. लेकिना इनमें कुछ महत्वपूर्ण दातुन हैं जिनके नियमित
प्रयोग से आप अपने दांतों को स्वस्थ और मजबूत रख सकते हैं. इनकी जानकारी इस प्रकार है -
नीम दातुन -Neem Datun
नीम की छाल में निम्बीना या मार्गोसीना नामक तिक्त रालमय सत्व तथा निम्बोस्टेरोल आदि पाए जाते है. इसका दातुन सभी दातुनों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इसकी टहनी से प्राप्त रस से मसूड़ों की सूजन , पायरिया (खूना निकलना), दांतों में कीड़ा लगना, पीप आना, दाह (जलना ), दांतों का टेढ़ा होना आदि रोगों का नाश होता है. कहते हैं अगर गर्भवती महिला अपने गर्भकाल के दौरान नीम की ताजी टहनियों की दातुन सुबह-शाम नियमित रूप से करती है तो उसका गर्भस्थ शिशु सम्पूर्ण निरोग होकर जन्म लेता है तथा उसे किसी भी प्रकार के रोग निरोधी टीकों को लगाने की आवश्यकता ही नहीं होती.
बबूल दातुन Acacia Datun
आयुर्वेद के अनुसार बबूल कफनाशक, पित्तनाशक, व्रणरोषण, स्तम्भना , संकोचक, रक्तरोधक, कफध्न, माना गया है. बबूल के अन्दर एक गोंद होता है. बबूल के अन्दर पाये जाने वाले रस में अतिसार, , प्रवाहिका आदि जटिल रोगों के साथ ही दांतों को असमय ही ना गिरने देने का, हिलने ना देने का, मसूड़ों से खून ना निकलने देने का, मुंह के छालों से बचाव का भी गुण होता है.
अर्जुन दातुन Arjun Datun
इसकी ताज़ी टहनी से दातुन करने से उच्च रक्तचाप, मधुमेह, राजयक्ष्मा आदि अनेक बीमारियां नष्ट हो जाती हैं.
महुआ दातुन Mahua Datun
मधूक या महुआ के रासायनिक संगठनों में माउरिनग्लाइओसाइडल सैपोनिन तत्व पाया जाता है. जिसका प्रभाव विषैला होता है परन्तु इसकी टहनी में यह तत्व अति कम पाया जाता है जो वातपित्तशामक, नाड़ीबल्य, कफनाशी आदि प्रभाव वाला होता है. साथ ही इसकी दातुन से दांतों का हिलना, दांतों से रक्त आना, मुंह की कड़वाहट, मुंह और गला सूखने की समस्याओं से निज़ात मिलती है.
बरगद दातुन Banyan Datun
बरगद की छाल में दस प्रतिशत टैनिक पाया जाता है. वेदनाहर, आंखों को ज्योति देने वाला , रक्तपित्तहार आदि रोगों में इसका रस उपयोगी होता है. दातुन के माध्यम से चूसा जाने वाला रस मुख को सभी प्रकार से सुरक्षित रखता है.
अपामार्ग दातुन Apamarga Datun
अपामार्ग को हिन्दी में चिरचिटा (चिड़चिड़) बंगला में अपाड़, महाराष्ट्र में घाड़ा, अंग्रेजी में प्रिकली चैफ फ्लावर के नामों से जाना जाता है. यह एकपौधीय पौधा होता है. इसके रस में क्षारीय गुण होता है. यह, पथरी, श्वास रोग, पसीनाजन्य रोग, विषाघ्न आदि रोगों का नाश करता है. यह अम्लतनाशक, रक्तवर्ध्दक होता है. अपामार्ग की ताजी जड़ से रोजाना दातून करने से दांत के दर्द तो ठीक होते ही हैं, साथ ही दाँतों का हिलना, मसूड़ों की कमजोरी, और मुंह से बदबू आने की परेशानी भी ठीक होती है। इससे दांत अच्छी तरह साफ हो जाते हैं।
बेर की दातुन Plum teeth
बेर दातुन से नियमित दांत साफ़ करने से दांत मजबूत होने के साथ साथ गला बैठना, स्वरभेद, गले की खराश, प्रदर रोग आदि बीमारियां भी नष्ट होती हैं.
ऐसी ही स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी जानने के लिए पढ़ते रहिये कृषि जागरण हिंदी पोर्टल.