हजारों वर्षों से हमारे खान-पान में उपयोग होता आया लहसुन आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर है. पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में भी सामान्य सर्दी-जुकाम और संक्रमण में उपयोगी माना गया है. अब एक नए अध्ययन के मुताबिक, लहसुन में मौजूद 99.4 फीसदी तैलीय तत्व कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार साबित हो सकता है. वियतनाम के वैज्ञानिकों ने बाजारों में आसानी से उपलब्ध लहसुन में मौजूद इन तत्वों के वायरस को मानव शरीर में घुसपैठ करने में मदद करने वाले प्रोटीन एसीई-2 पर असर का आकलन करते हुए यह दावा किया है. दरअसल, एसीई-2 कोविड के वायरस को शरीर में घुसने में मदद करता है. ऐसे में अगर हम इस प्रोटीन को रोकने में कामयाब रहते हैं तो काफी हद तक कोविड के वायरस का प्रसार भी रोक सकेंगे. मौजूदा अध्ययन के अनुसार लहसुन में मौजूद ऑर्गनोसल्फर तत्व में एंटी-ऑक्सिडेंट, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी फंगल, एंटी-कैंसर और एंटी-माइक्रोबियल (सूक्ष्मजीवी) तत्व होते हैं.
क्या है एसीई-2, कोरोना से क्या है संबंध?
मानव शरीर में एंजियोटिन्सिन कन्वर्टिंग एंजाइम-2 (एसीई-2) किडनी, फेफड़े, हृदय आदि अंगों को बनाने वाले उत्तकों के ग्लाइकोप्रोटीन से जुड़े होते हैं. एसीई-2 रिसेप्टर्स एक तरह का एंजाइम है, जो मानव शरीर के हृदय, फेफड़े, धमनियों, गुर्दे और आंत में कोशिका की सतह से जुड़ा होता है. यह रिसेप्टर गंभीर सांस संबंधी सिंड्रोम का कारण बनने वाले कोरोना वायरस के लिए कार्यात्मक और प्रभावी होता है. यही मानव शरीर में वायरस की घुसपैठ का सबसे बड़ा जरिया बनता है. ऐसे में अगर कोरोना वायरस को रोकना है तो एसीई-2 प्रोटीन को रोकना जरूरी हो जाता है.
इसलिए कोविड का दोस्त है एसीई-2
इन एसीई-2 प्रोटीन में वैसे ही होस्ट-सेल रिसेप्टर होते हैं, जो नए कोरोना वायरस में पाए जा रहे हैं. यही वजह है कि इन रिसेप्टर को पकड़ कर कोरोना वायरस एसीई-2 से मजबूती से जुड़ जाता है. कनाडा स्थित ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक कोशिका की झिल्ली पर मौजूद प्रोटीन एसीई-2 इस महामारी के केंद्र में है, क्योंकि यह कोरोना वायरस (सार्स-कोव-2) के ग्लाइकोप्रोटीन बढ़ाने के लिए प्रमुख रिसेप्टर यानी अभिग्राहक है. इससे पहले भी टोरंटो विश्वविद्यालय और ऑस्ट्रिया स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मॉल्युकूलर बायोलॉजी के शोधार्थियों ने भी यह पाया था कि मानव शरीर में एसीई-2 सार्स संक्रमण के मुख्य अभिग्राहक है.
लहसुन में मौजूद 18 में से 17 तत्व उपयोगी
वैज्ञानिकों ने बाजार से लहसुन खरीदा, भाप के जरिए उसके तैलीय तत्वों अलग किए. इन तत्वों की एसीई-2 को रोकने की क्षमता का आकलन किया. पाया, कि यह तत्व उसे रोकने में सफल रहे हैं. लहसुन में इस प्रकार के 18 तत्वों की पहचान की गई है, जिनमें से 17 उपयोगी साबित हुए, इनकी कुल तैलीय तत्वों में मात्रा 99.4 प्रतिशत है. वैज्ञानिकों का मानना है कि होस्ट-रिसेप्टर नहीं होगा तो वायरस के बढ़ने और फैलने की क्षमता नहीं बचेगी.