मसाले हमारी रसोई का अभिन्न अंग है और रोजाना के खाने में शामिल होते हैं. ये सब शरीर के लिए लाभदायक हैं. ज्यादातर हम इन मसालों को बहुत महत्व नहीं देते और सिर्फ खाना बनाने की प्रक्रिया का छोटा सा हिस्सा समझते हैं लेकिन ये सभी मसाले अपने आप में एक औषधि हैं. इनका सही तरीके से इस्तेमाल हमें कई गम्भीर बीमारियों से बचाने में मदद करता है एवं इनका उपयोग दवा का काम करता है.
हल्दी हमारी सांस्कृतिक विरासत है. सदियों से इसका उपयोग रसोई में तथा शुभ और मांगलिक कार्यो में होता आ रहा है. इसके अलावा औषधि के रूप में भी इसके लाभदायक असर को हमने जाना और पहचाना है. शादी के समय हल्दी लगाने का उदेश्य और सन्देश यही होता है की हल्दी का उपयोग सुंदरता और स्वास्थ्य दोनों दे सकता है. हल्दी अदरक की तरह एक जड़ होती है. इसका पौध 5-6 फुट तक होता है. पौधे को 20 से 300 सैं.तापमान और भरपूर पानी चाहिए होता है. हल्दी को सुखाकर फिर पीस कर रसोई के काम में लिया जाता है. सुंदरता बढाने और स्वास्थ्य लाभ के लिए भी पिसी हुई हल्दी ही काम में ली जाती है. सम्पूर्ण भारत में हल्दी का उपयोग होता है.
हल्दी में एक विशेष प्रकार का उड़नशील तेल होता है जिसमें क्षारीय तत्व कर्कुमिन होता है. इसके अलावा धमनियों में जमे कोलेस्ट्रॉल को घोलने की शक्ति होती है और हल्दी में विटामिन, प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट व कई लाभकारी खनिज तत्व होते हैं जो कैंसर को रोकने में सहायक होते हैं. हल्दी खून को साफ व पतला करती है, कफ को मिटाती है तथा इसमें एंटीसेप्टिक, एंटी बायोटिक और एंटी एलर्जिक गुण होते हैं. शरीर में किसी भी प्रकार का दर्द, चोट, घाव, खून की कमी आदि में हल्दी बहुत असरकारक होती है.
गर्म दूध् में हल्दी डालकर पीने से टूटी हुई हड्डी तेजी से जुडती है और अंदरूनी चोट ठीक होती है. कच्ची हल्दी की सब्जी बनाकर खाई जाती है. इसके लड्डू बनाकर उपयोग करने से जोडों का दर्द नहीं सताता. गर्म पानी में नमक व हल्दी मिलाकर गरारे करने से गले की खराश ठीक होती है. अतः रसोई के मसाले में इसका बहुत महत्व है. हल्दी का रंग पीला होने के कारण इसे मंगलकारी और सौभाग्य सूचक माना जाता है. अतः इसे शुभ कार्य, विवाह आदि में महत्व दिया जाता है.
हल्दी की तासीर गर्म होती है. यह कफ और वात मिटाती है तथा पित बढाती है. हल्दी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, मैंगनीज, पोटेशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, जिंक, कॉपर, ओमेगा-3 व ओमेगा-6 फैटी एसिड, विटामिन आदि पाए जाते हैं. हल्दी में करक्यूमिन नामक एक विशेष तत्व होता है जो इसे औषधीय गुण प्रदान करता है. यह तत्व एक ताकतवर एंटीऑक्सीडेंट तथा इंफ्रलेमेटरी होता है. करक्यूमिन आसानी से रक्त में अवशोषित नहीं होता लेकिन यदि काली मिर्च के साथ लिया जाए तो पिपराइन के कारण इसका अवशोषण बढ़ सकता है. इसके अलावा करक्यूमिन वसा में घुलनशील होने के कारण वसायुक्त भोजन के साथ हल्दी का उपयोग लाभदायक सिद्ध होता है. हल्दी के दवा के रूप में, बिना किसी साइड इफेक्ट के कई अंग्रेजी दवाओं से बेहतर परिणाम सिद्ध हो चुके है. हल्दी के एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स से रक्षा करते हुए उम्र के प्रभाव से व कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से बचाते हैं. करक्यूमिन हमारे शरीर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम की कार्यविधि को भी बढ़ाता है. इस प्रकार हल्दी का दुगना लाभ हमें मिलता है. यह शरीर और दिमाग दोनों के लिए लाभदायक है. हल्दी के नियमित उपयोग से दिमाग में उम्र के साथ होने वाले परिवर्तन तथा दिमागी बीमारी जैसे अवसाद, अल्जाइमर, याददाश्त कम होना आदि से बचाव हो सकता है.
हल्दी से घरेलू उपचार
एसिडिटीः हल्दी और मुन्क्का समान मात्रा में लेकर पीस लें. इसे दिन में तीन बार लेने से एसिडिटी में आराम मिलता है.
पीलियाः दही में हल्दी मिलाकर खाने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है.
दस्तः छाछ में हल्दी मिलाकर पीने से दस्त ठीक हो जाते है.
बिवाई फटनाः हल्दी और पिसा हुआ कच्चा पपीता इन दोनों को मिलाकर सरसों के तेल में पका कर बिवाई पर लगाने से फटी बिवाई ;फटी एड़ीद्ध ठीक हो जाती है.
फटे होंठः सरसों के तेल में हल्दी मिलाकर होंठ और नाभि में लगाने से होंठ फटने बंद हो जाते हंै.
दर्दः एक गिलास गर्म दूध् में आध चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से शरीर में होने वाले अंदरूनी दर्द मिट जाते है. दूध् में चीनी ना डालें.
टूटी हड्डीः हड्डी टूटने पर जब तक प्लास्टर है आध चम्मच हल्दी गर्म दूध् में मिलाकर सुबह शाम पीने से हड्डी जल्दी और मजबूती से जुड़ती है तथा दर्द में भी आराम रहता है.
चोट की सूजनः चोट या मोच के कारण सूजन आने पर एक चम्मच हल्दी एक चम्मच शहद और एक चम्मच चूना मिलाकर सुबह शाम लेप करने से दर्द मिट जाता है.
दांत और मसूड़े: सरसों के तेल में हल्दी और सेंध नमक मिलाकर हल्के हाथ से मसूडों की मालिश करने से दाँत में दर्द, गर्म ठंडा लगना, हिलना, मसूडों से खून आना आदि मिट जाते हैं.
घावः घाव पर पिसी हुई हल्दी छिड़क देने से घाव जल्दी भरता है. घाव में कीड़े हों तो नष्ट हो जाते हैं. हल्दी की गांठ पानी के साथ घिस कर यह लेप घाव पर लगाने से भी बहुत लाभ होता है.
रक्त शोधन: आध चम्मच हल्दी और एक चम्मच आंवले का चूर्ण मिलाकर गर्म पानी के साथ कुछ दिन लेने से खून साफ होता है. फोड़े फुंसी होना मिटता है.
गले में खराशः एक गिलास गर्म पानी में दो चुटकी नमक, एक चुटकी हल्दी और तीन चार बूँद घी डालकर सुबह शाम पीने से गले की खराश ठीक होती है.
सर्दी जुकामः हल्दी और कालीमिर्च पिसी हुई एक गिलास गर्म दूध् में या एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर पीने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है.
फेस ग्लोः दो चम्मच बेसन और आध चम्मच हल्दी में दूध् मिलाकर पेस्ट बना लें. इसे चेहरे पर लगा लें. सूखने के बाद गुनगुने पानी से धे लें. कुछ ही दिनों में चेहरा निखर जायेगा.
सावधनीः यदि आपको पित्ताशय में पथरी हो या किसी और प्रकार की पित्ताशय की समस्या हो तो दूध् हल्दी ना लें. डायबिटीज हो तो हल्दी का उपयोग परामर्श के बाद ही करना चाहिए क्योंकि इससे ब्लड शुगर प्रभावित हो सकती है. जिन लोगों की हीमोग्लोबिन बहुत कम है उन्हें हल्दी का उपयोग कम करना चाहिए. यदि आपने हाल ही में ऑपरेशन करवाया है या निकट समय में ऑपरेशन करवाना चाहते हैं तो हल्दी का उपयोग कम करना चाहिए. क्योंकि हल्दी खून को पतला करती है और ब्लड क्लॉटिंग को धीमा कर देती है. हल्दी के अधिक उपयोग से शुक्राणु प्रभावित हो सकते हैं.
लेखक: डॉ॰ विपिन शर्मा; रसायन विशेषज्ञ
डॉ. हैपी देव शर्मा; प्राध्यापक शाक विज्ञान
डॉ॰ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय
नौणी सोलन 173 230 ;हि॰प्र॰