AIF Scheme: किसानों के लिए वरदान है एग्री इंफ्रा फंड स्कीम, सालाना कर सकते हैं 6 लाख रुपये तक की बचत, जानें कैसे करें आवेदन स्टार 33 मक्का: कम निवेश में बंपर उत्पादन की गारंटी इस किस्म के दो किलो आम से ट्रैक्टर खरीद सकते हैं किसान, जानें नाम और विशेषताएं भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! आम की फसल पर फल मक्खी कीट के प्रकोप का बढ़ा खतरा, जानें बचाव करने का सबसे सही तरीका
Updated on: 30 October, 2020 6:21 PM IST

मसाले केवल खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाते बल्कि हमे सेहतमंद भी रखते हैं. लेकिन शर्त यह है कि ये शुद्ध होने चाहिए. किंतु, आजकल मिलावट के जमाने में शुद्धता की कोई गारंटी नहीं होती है. खासकर मसालों की तो बिल्कुल भी नहीं, क्योंकि इनमें मिलावट इतने अच्छी तरीके से की जाती है कि कई बार एक्सपर्ट भी धोखा खा जाते हैं. सस्ते पदार्थ जैसे रंग इत्यादि मिलाने से उत्पाद तो आकर्षक दिखने लगता है जिससे बिक्री ज्यादा होती है परन्तु उनकी पोषकता प्रभावित होती है व स्वास्थ्य के लिये हानिकारक सिध्द होते हैं. बड़ी संख्या में दुकानदार खुले में रखकर हल्दी पाउडर, जीरा, गर्म मसाला, सब्जी मसाला, मिर्च पाउडर आदि मसालों की ब्रिकी करते हैं. खुले में रखे मसालों में मिट्टी के धूल कण पड़ते हैं. धूल मिट्टी के कण मसालों के साथ भोजन में मिश्रण होकर शरीर में जाता है जो कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है. खाद्य पदार्थों में मिलावट की जाँच करना बहुत ही आसान है. इसकी जाँच के सरल व घरेलू तरीके हैं जिससे कोई भी उपभोक्ता आसानी से खाद्य पदार्थों की शुध्दता की जाँच कर सकता है.

हल्दी की शुद्धता की पहचान

हल्दी एक मसाला है जिसमें सबसे अधिक मिलावट की जाती है. हल्दी के रंग को सुर्ख बनाने के लिए इसमें मिलावट की जाती है. लेकिन इस मिलावट के कारण हल्दी बेरंग हो जाती है. मिलावट करने के दौरान हल्दी में नकली रंग, मक्के का आटा, पीले रंग का चूरा, सीसा, क्रोमेट आदि चीजें मिलाई जाती हैं. हल्दी में मिलावट जांचने के लिए हल्दी पाउडर को एक परखनली में डालिए. उसमें कॉन्संट्रेटेड हाइड्रोक्लोरिक एसिड और पानी की कुछ बूंदें डालिए. अगर हल्दी का रंग गुलाबी हो जाता है तो समझ जाएं कि हल्दी में मैटेलिक पाउडर मिला है. इसी तरह हल्दी में चॉक पाउडर की मिलावट जानने के लिए परख नली या फिर कांच के ग्लास में हल्दी और कुछ बूंदें हाइड्रोक्लोरिक एसिड और पानी मिलाएं. अगर बुलबुले निकलने लगे तों समझ जाएं कि उसमें चॉक पाउडर या सॉप पाउडर की मिलावट है. आधे ग्लास पानी में एक चम्मच हल्दी पाउडर डालकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें. अगर हल्दी नीचे बैठ जाए तो इसका मतलब है कि हल्दी में मिलावट नहीं है.

लाल मिर्च की शुद्धता की पहचान

लाल मिर्च में बहुत ज्यादा मिलावट की जाती है. लाल मिर्च में मिलावट होती है तो वह खाने के स्वाद को स्पाइसी बनाने की जगह और अधिक कसैला बना देता है. लाल मिर्च पाउडर में मिलावट जांचने के लिए एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर को एक ग्लास पानी में डालें. अगर मिलावट होगी तो पानी का रंग बदलने लगेगा. अगर ग्लास की तली में सफेद रंग का चिकना पाउडर सा इकट्ठा हो जाए तो समझ लीजिए कि मिर्च में सोप स्टोन की मिलावट की गई है. ईंट की मिलावट जांचने के लिए मिर्च पाउडर को ग्लास के निचले हिस्से में घिसिए. अगर किरकिराहट का एहसास हो तो समझ जाएं कि मिर्च पाउडर में ईंट पाउडर की मिलावट की गई है.

धनिया की शुद्धता की पहचान

धनिया पाउडर में भी खरपतवार को बारीक से पीस कर उसमें मिश्रण कर दिया जाता है जिसे देखने पर उसमें मिलावट की पहचान करना संभव नहीं हो पाता है. धनिया पाउडर से खुशबू नहीं निकलना, उसमें मिलावट का एक सबूत है. धनिया में गेहूं की भूसी मिला देते हैं.

काली मिर्च की शुद्धता की पहचान

काली मिर्च में मिलावट जांचने के लिए पांच ग्राम काली मिर्च एक ग्लास अल्कोहल में डालें. यदि पांच मिनट बाद भी कुछ बीज तैरते रहे तो उसमें पपीते के बीज या काली मिर्च के खोखले मिर्च की मिलावट की गई है. पपीते के बीज और काली मिर्च के खोखले बीजों में अंतर जाना जा सकता है. अगर बीज उंगलियों से दबाने से टूट जाए तो वे खोखले बीज हैं, अगर नहीं तो वे पपीते के बीज हैं.

दालचीनी की शुद्धता की पहचान

दालचीनी में कैशिया की मिलावट की जाती है. असली दालचीनी हल्की भूरी व पतली लेयर की होती है और उसकी एक विशिष्ट खुशबू होती है. लौंग का जब नैचरल ऑइल निकाल लिया जाता है वह पानी के ऊपर तैरने लगता है तो वह असली लौंग नहीं है. हींग घोलने पर पानी में घुल जाती है और पानी का रंग दूधिया हो जाता है तथा जलाने पर लौ के साथ जलती है. केसर का रंग गाढ़ा होता है. वह आसानी से टूटता नहीं है. जबकि मिलावटी केसर बहुत आसानी से टूट जाता है और रंग भी हल्का लाल व पीला होता है. यदि केसर पानी की सतह पर बैठ जाए और अपना रंग छोड़े तो वह असली है.

प्रत्येक उपभोक्ता विशेषकर गृहणियों को मिलावटी पदार्थों से बचने हेतु जागरूक होना चाहिये. इसके लिये उपभोक्ता को चाहिये कि वे खुली खाद्य सामग्री न खरीदें. हमेशा मानक प्रमाण चिह्न (एगमार्क, एफ.पी.ओ., हालमार्क) अंकित सामग्री खरीदें तथा सामग्री के गुणों, रंग, शुध्दता आदि की समुचित जानकारी रखें और हो सके तो खड़े मसाले का ही इस्तेमाल करें. 

लेखक: डॉ॰ विपिन शर्मा; रसायन विशेषज्ञ
डॉ. हैपी देव शर्मा; प्राध्यापक शाक विज्ञान
दीपक शर्मा; शोधार्थी
डॉ॰ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय
नौणी सोलन 173 230 ;हि॰प्र॰
मो: 09418321402
ईमेल - vipinsharma43@yahoo.com

English Summary: How to identify the purity of other spices including turmeric, red chilli, coriander and black pepper
Published on: 30 October 2020, 06:25 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now