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Updated on: 19 January, 2019 5:14 PM IST

स्वामी विवेकानंद का कथन है कि - यदि आखें चली जाएं तो दुख नहीं, परंतु दृष्टि नहीं जानी चाहिए. आंखों का मानव जीवन में बहुत महत्व है. यह मानव की वह इंद्री है जिसके अभाव से मानव जीवन में न तो रस रहेगें और न ही रंग. आंखें ही हमारे जीवन को सुंदर और सुखमय बनाती हैं. यदि आखों का ख्याल न रखा जाए और आंखों में किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न हो जाए तो जीवन बहुत कठिन हो जाता है. लेकिन आखों को हमेशा तेज़ व स्वस्थ रखने के लिए आपको सिर्फ एक आदत अपनानी है.

हरी दूब वाली घास में टहलें

हमारे बड़े-बूढ़े हमें कुछ ऐसे नुस्खे या आदतें बताते हैं जिन्हें हम अक्सर नकार देते हैं परंतु इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता कि ये नुस्खे काम करते हैं. ऐसा ही एक नुस्खा आखों की देखभाल को लेकर भी है. एक सर्वे में 100 ऐसे लोगों को शामिल किया गया जो चश्मा लगाते थे और उन्हें लगातार तीन महीने तक हरी दूब वाली घास में नंगे पैर टहलने को कहा गया. तीन महीने बाद हैरान करने वाले नतीजे सामने आए. 100 लोगों में से 74 लोगों के चश्में उतर गए और उन्हें पहले से बेहतर महसूस होने लगा.

आदतें बदलें

आज हमारे शरीर को हमारी आदतों की वजह से जितना नुकसान हो रहा है उतना किसी और से नहीं. हम अपनी आदतों की वजह से खुद को धीरे-धीरे एक अस्वस्थ और बीमार भविष्य की ओर ले जा रहे हैं. हम सुबह देर से उठते हैं, व्यायाम नहीं करते, अपौष्टिक आहार लेते हैं और रात को देर देर तक जागते हैं. इन सब आदतों का एक निश्चित समय तक रहना तो ठीक है परंतु लंबे समय तक इस दिनचर्या को अपनाना बिल्कुल भी ठीक नहीं. यह हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती है.

English Summary: how to get rid of eyeglasses
Published on: 19 January 2019, 05:16 PM IST

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