आज नशा करना या किसी नशे की तलब होना कोई बड़ी बात नहीं है. लोग खैनी, गुटखे और शराब से लेकर गांजा और न जाने किन-किन चीज़ों का नशे के रुप में प्रयोग करते हैं. नशा करना अब कोई आदत नहीं रह गई बल्कि एक ट्रेंड हो गया है. नशा अब एक फैशन है और जो इस फैशन में शामिल नहीं है वह अपनी अलग जगह ढ़ूढ लेता है. परंतु यह भी एक सत्य है कि नशा आखिर नशा ही है, जो हमारी सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है. नशे का आदी व्यक्ति वास्तव में अपने शरीर और स्वास्थ्य के साथ खेल रहा है और भविष्य में उसे इसके दुष्परिणाम भी झेलने होंगे. परंतु नशे से आपको कभी भी कैंसर जैसा रोग हो सकता है और कैंसर भी एक नहीं तरह-तरह के कैंसर. तो इस लेख में हम पड़ताल करेंगे कि आखिर नशा कितने तरह के कैंसर का जिम्मेवार हो सकता है.
मुंह का कैंसर
मुंह का कैंसर आज एक आम बीमारी हो गया है. जो लोग बहुत अधिक मात्रा में गुटखा, खैनी या दूसरे नशीले पदार्थ खाते या चबाते हैं उन्हें एक निश्चित समय के बाद मुंह का कैंसर हो ही जाता है. यह बीमारी अब इतनी तेज़ी से फैल रही है और इतनी आम हो गयी है कि सिनेमा हॉल में भी फिल्म शुरु होने से पहले इसका विज्ञापन दिखाया जाता है. जिसमें उन लोगों की आपबीती दिखाई जाती है जो मुंह के कैंसर की त्रासदी झेल रहे हैं.
गले का कैंसर
मुंह के अलावा कैंसर हमारे गले को भी प्रभावित करता है. गले के कैंसर से भोजन नली प्रभावित होती है और गले की नसें फूलने लगती हैं जिस कारण गले में एक गांठ बन जाती है. समय के साथ बढ़ते-बढ़ते इस गांठ का आकार बड़ा होने लगता है. फिर इस गांठ को ऑपरेशन के माध्यम से निकाला जाता है. इस ऑपरेशन में 100 में से 40 लोगों की मौत हो जाती है क्योंकि यह इतना बढ़ चुका होता है कि व्यक्ति की मौत से ही इसका अंत होता है.
फेफड़ों का कैंसर
फेफड़े हमारे शरीर में श्वास प्रणाली को संचारित करने का काम करते हैं. फेफड़ों में जब बलगम जैसी सामान्य चीज जम जाती है तो वह हमारे पूरे शरीर को प्रभावित कर हमें परेशान करने के लिए काफी होती है. परंतु जरा सोचिए, यदि फेफड़ों की नलियों ने चलना बंद कर दिया और फेफड़े पूरी तरह से सांस नहीं ले पाएं तो क्या हो. ऐसी अवस्था में इंसान अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता.
ब्लड कैंसर
ब्लड कैंसर का नाम हम सभी ने कई बार सुना है. फिल्मों में इसका बहुत उपयोग होता है. परंतु आप यह बात जान लें कि यदि ब्लड अथवा खून का कैंसर हो जाए तो इसके रोगी को भगवान भी नहीं बचा सकता. डॉक्टर अपने हाथ खड़े कर देते हैं और इसके रोगी को एक समय दे दिया जाता है. कभी-कभी कुछ खास परिस्थितियों में इसके रोगी को बचाया भी जा सकता है. यदि रोगी का बल्ड कैंसर पहले या शुरुआती दौर का हो तो उसे बचाया जा सकता है.
कैंसर एक ऐसा रोग है जो हमें देर-सवेर लगता है. अब किसी के भाग्य में यह बिमारी बिना नशे के हो तो वह अलग बात है क्योंकि उसका इलाज संभव भी है परंतु यदि कोई जान-बूझकर कैंसर जैसा रोग अपने शरीर में पालता है तो फिर वह अपनी खैर करे. इसलिए नशे से दूर रहें. खुद भी सुखी रहें और अपने परिवार को भी सुखी रखें.