आयुर्वेद ने शरीर के असंतुलन या यूं कहें कि किसी भी रोग के आरंभ को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है. एक है वात और दूसरा है पित्त. शरीर में इन दोनों का अधिक मात्रा में बढ़ जाना ही विकार पैदा करता है. एक बार यदि शरीर का संतुलन बिगड़ जाए तो जीवन मानो ठहर-सा जाता है और यदि यह अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाए तो यह घातक रुप ले सकता है. लेकिन कुछ तरीके ऐसे होते हैं जो यदि हमारी आदत बन जाएं तो हम सदैव स्वस्थ रह सकते हैं. इन्हीं तरीकों में एक तरीका है रोज़ सुबह उठने के बाद और रोज़ रात सोने से पहले गर्म पानी का सेवन.
व्यस्त जीवन शैली
हमारा पाचन तंत्र हमारे शरीर का सबसे अहम हिस्सा है क्योंकि यह हमारे शरीर के हर अंग को नियमित रुप से प्रोटीन,विटामिन और दूसरे आवश्यक तत्व पहुंचाता है. लेकिन यदि इसका ख्याल न रखा जाए तो यह पूरे शरीर के लिए रोगों का घर बन जाता है. हम हर रोज़ न जाने क्या-क्या खा रहें हैं, क्योंकि आज का जीवन इतना व्यस्त हो गया है कि किसी के पास भोजन करने के लिए भी पर्याप्त समय नहीं है और इसी कारण आज युवाओं में भी पेट संबंधी बिमारियां देखने को मिल रही हैं. ऐसे समय में गर्म पानी एक ऐसी खुराक है जो पेट को तंदरुस्त और ताज़ा रखता है. आज असमय और अपौष्टिक भोजन हमारे रोगी होने का एक बड़ा कारण है.
किस भोजन के पाचन की है कैसी क्रिया ?
हमारा पाचन तंत्र हर समय क्रियाशील रहता है क्योंकि हम समय-असमय कुछ न कुछ खाते रहते हैं. ऐसे में शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए चिकित्सक कहते हैं कि- ज़रुरी यह नहीं कि आप कितना खा रहे हैं, ज़रुरी यह है कि आप खा क्या रहे हैं ?
हमारे पाचन तंत्र को हर प्रकार का भोजन पचाने के लिए एक निश्चित समय लगता है. फल या सब्ज़ी के लिए 46 मिनट, आलू के लिए 55 मिनट, मांस या दूसरे प्रकार के भोजन के लिए 1 घंटा और 30 मिनट, जूस या दूसरे तरल पदार्थों के लिए 40 मिनट. पेयजल पाचन क्रिया के अंतर्गत नहीं आता. वह तुरंत द्रवित हो जाता है. इसलिए पानी के सेवन की आवश्यकता हमेशा रहती है.
गर्म पानी क्यों है ज़रुरी
आप किसी भी चिकित्सक के पास पेट संबधी समस्या लेकर जाएं, तो वह यह ज़रुर कहेगा - कि पानी खूब पियो. चिकित्सक का ऐसा कहना सिर्फ रटी-रटाई बात नहीं है अपितु उसके पीछे वैज्ञानिक कारण है.
गर्म पानी शरीर में उन दो रोगों का निवारण करता है जिसपर आयुर्वेद आश्रित है अर्थात वात और पित्त. गर्म पानी पीने से शरीर में जमा बलगम सक्रिय हो जाता है और शरीर उसे बाहर निकालने का प्रयत्न करता है. इसी तरह पेट में जमा हुआ पित्त यानी मल भी सक्रिय होकर बाहर आने लगता है. गर्म पानी पेट के लिए एनीमा का काम भी करता है. बस, सुबह और रात्रि में गर्म पानी का सेवन अवश्य करें. इससे शरीर में जमा मल या बलगम बाहर आएगा और आप निरोगी काया से युक्त रहेंगे.