Van Tulsi Health Benefits: बवासीर जैसी घातक बीमारी को देसी इलास से भी आसानी से ठीक किया जा सकता है. आज हम आप सभी को ऐसे चमत्कारी पौधे के बारे में जानकारी देंगे जो बवासीर/(Piles) जैसी बीमारी में रामबाण है. जैसा कि आप जानते हैं कि यह रोग अत्यंत पीड़ादायक और असहज है, जो मलाशय (रेक्टम) और गुदा (एनस) क्षेत्र की रक्त वाहिनियों के सूज जाने से होता है. इसके कारण रोगी को बैठने, चलने यहां तक की शौच के समय अत्यधिक दर्द, जलन और रक्तस्राव जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
इस बीमारी के उपचार के लिए कई एलोपैथिक और सर्जिकल विकल्प मौजूद है, लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी इसके लिए कई प्रभावी उपाय बताए गए है. इन्हीं में से एक है वन तुलसी/Van Tulsi का प्रयोग. आइए इसके बारे में यहां विस्तार से जानते हैं...
वन तुलसी के गुण
वन तुलसी के पत्तों में एंटी-इन्फ्लेमेटरी (सूजन कम करने वाला), एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो बवासीर से ग्रसित मरीजों को काफी राहत पहुंचा सकते हैं. यह न केवल सूजन और दर्द को कम करने में सहायक है, बल्कि संक्रमण को रोकने में भी मदद करता है.
बवासीर में वन तुलसी कैसे मदद करती है?
बवासीर की समस्या में गुदा के आसपास की रक्त वाहिनियां सूज जाती है, जिससे तेज दर्द, जलन और कई बार खून भी निकलने लगता है. ऐसी स्थिति में वन तुलसी के नियमित सेवन और बाहरी प्रयोग से सूजन को नियंत्रित किया जा सकता है.
- सुबह खाली पेट सेवन
आयुर्वेद विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बवासीर से पीड़ित व्यक्ति रोज सुबह खाली पेट 4-5 ताजे वन तुलसी के पत्तों को चबाएं इससे पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है और मल निष्कासन आसान होता है, जिससे गुदा पर दबाव नहीं बनता.
- तुलसी का अर्क लगाना
वन तुलसी के पत्तों का रस निकालकर उसे गुदा के प्रभावित हिस्से पर लगाने से सूजन और जलन में राहत मिलती है. यह उपाय खासकर बाहरी बवासीर (External piles) में अधिक प्रभावी होता है.
- तुलसी का काढ़ा
तुलसी की कुछ पत्तियों को पानी में उबालकर उसका काढ़ा तैयार करें और दिन में दो बार सेवन करें. यह न केवल सूजन को घटाने में सहायक है बल्कि शरीर के विषैले तत्वों को बाहर निकालने में भी मदद करता है.
- शहद के साथ तुलसी रस
तुलसी के पत्तों का रस निकालकर उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर रोज सेवन करने से भी सूजन और दर्द में काफी राहत मिल सकती है. यह मिश्रण आंतरिक रूप से शरीर को डिटॉक्स करने का काम करता है.
यह ध्यान देना जरूरी है कि वन तुलसी बवासीर का पूर्ण उपचार नहीं है, लेकिन यह एक सहायक आयुर्वेदिक उपाय है जो लक्षणों को कम करने में प्रभावी हो सकता है. खासतौर पर जब बवासीर की अवस्था शुरुआती हो या दर्द और सूजन सीमित हो, तब यह उपचार काफी लाभदायक साबित हो सकता है.
सावधानी और चिकित्सकीय सलाह
अगर बवासीर के कारण लगातार खून आ रहा हो, गांठ का आकार बढ़ता जा रहा हो या दर्द असहनीय हो, तो बिना विलंब किए किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करना अनिवार्य है. कभी-कभी बवासीर की समस्या जटिल रूप ले सकती है और सर्जरी की आवश्यकता भी पड़ सकती है.
लेखक: रवीना सिंह