लकवा या पैरालिसिस एक ऐसा रोग है जिसमें हमारा आधा शरीर रोग की चपेट में आ जाता है. इसे पक्षाघात भी कहा जाता है जो एक वायु रोग है. इस रोग से प्रभावित अंगों की प्रतिक्रियाएं बंद हो जाती हैं. रोगी की बोलने और महसूस करने की क्षमता खत्म हो जाती है. इसका सबसे बड़ा कारण बढ़ती उम्र के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक दुर्बलता है. शरीर का बढ़ता हुआ रक्तचाप, उल्टी और दस्त का लगातार होना भी लकवा का कारण बन सकता है.
लकवा के देसी इलाज के तरीके
हल्दी
लकवा के रोगी को हल्दी का काढ़ा बनाकर पिलाने से व्यक्ति को लकवे का दौरा आना बंद हो जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, हल्दी का काढ़ा ऐसे रोगों के लिए सबसे प्रभावसाली औषधी माना जाता है. बच्चों से लेकर वयस्कों तक सभी को हल्दी के दूध के सेवन की सलाह दी जाती है. यह सभी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए लाभदायक होता है.
नींबू पानी एनिमा
लकवा रोग के इलाज के लिए नींबू पानी एनिमा को एक प्राकृतिक औषधी के रुप में जाना जाता है. इसमें पीड़ित रोगी को प्रतिदिन नींबू पानी का एनिमा लेकर अपने पेट को साफ करना होगा. लकवा के रोगी व्यक्ति को ऐसा इलाज जरुर कराना चाहिए जिससे कि उसके शरीर से अधिक से अधिक पसीना निकल सके. आपको बता दें कि शरीर से पसीना निकलना इस रोग से बचने में सहायक होता है.
गर्म खान-पीन
लकवा रोग के दौरान शरीर में कमजोरी के लक्षण आने लगते हैं. ऐसे में रोगी को गर्म खाने-पीने वाली चीजों का सेवन करना चाहिए. ऐसे में रोगी के शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है. बता दें कि पैरालिसिस के उन रोगियों को गर्म खान-पीन से दूर रहना चाहिए जिन्हें उक्त रक्तचाप की समस्या है.
गीली मिट्टी का लेप
लकवा के रोगी के पूरे शरीर पर गीली मिट्टी को लेप लगाना चाहिए. मिट्टी के लेप से शरीर को ठंड महसूस होती है. रोगी के शरीर गीली मिट्टी के लेप से रोजाना नहलाना चाहिए. रोजाना नहलाने से रोगी का लकवा रोग ठीक किया जा सकता है.
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भापस्नान
लकवा के रोगियों को नियमित रूप से भापस्नान करना चाहिए. भाप स्नान कराने के तुरंत बाद ही शरीर के प्रभावित स्थान को एक गर्म गीली चादर से ढक दें और फिर उन्हें धूप में बैठा दें. यह नियमित रुप से लवका रोगियों को किया जाना चाहिए. यह काफी हद तक शरीर को राहत पहुंचाता है.