Niranjan Fruit: आज के दौर में ज्यादातर लोग बवासीर की बीमारी से ग्रस्त है. बवासीर/Piles की समस्या अल्सर पेट व आंतों की अंदरुनी सतह पर आम्ल यानी एसिड से होने वाले दुष्प्रभावों की वजह से होती है. यह एक प्रकार के घाव होता है. देखा जाए तो यह कोई बड़ी बीमारी नहीं है. अगर आप इस बीमारी पर थोड़ा ध्यान देते हैं, तो इससे निजात पा सकते हैं. इसके लिए आपको कुछ अधिक करने की जरूरत नहीं बस अपने खान-पान में सुधार करने के साथ-साथ लाइफस्टाइल में थोड़ा सा सुधार करना होगा. लेकिन समय रहते अगर आप इस समस्या बवासीर की बीमारी ध्यान नहीं देते हैं, तो इसके चलते आप अपने शरीर को बहुत कमजोर व बीमारी से जूझता महसूस कर सकते हैं.
इसी क्रम में आज हम अपने इस लेख में बवासीर के लिए बेहद फायदेमंद निरंजन फल से जुड़ी जानकारी लेकर आए हैं. दरअसल, बवासीर में निरंजन फल का सेवन करने से काफी हद तक राहत मिलता है. आइए इसके बारे में यहां विस्तार से जानते हैं...
निरंजन फल की खासियत
निरंजन फल की खासियत यह है कि इस आप अपने घर जाकर अच्छे से धोकर और सूखा सकते हैं. इसके बाद किसी शीशे या स्टील के एक ढक्कन वाले बर्तन में लगभग 6 महीने तक सुरक्षित रख सकते हैं. इस फल को ज्यादातर आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. ध्यान दें कि अगर आप इसे एयर टाइट किसी जार में रखते हैं, तो निरंजन फल जल्दी ख़राब नहीं होता है.
निरंजन फल के शारीरिक लाभ/Physical Benefits of Niranjan Fruit
अगर आपको बवासीर/Piles की समस्या है और आप इसे जड़ से खत्म करने के लिए बहुत कुछ कर चुके हैं, लेकिन फिर भी इससे निजात नहीं मिली है, तो ऐसे में आपके लिए निरंजन फल काफी अच्छा है. निरंजन फल/Niranjan Fruit को रातभर पानी में भिगोकर रख दें. ध्यान रहे कि पानी उतना ही लें, जितने में फल डूब जाए. इस तरह निरंजन फल/Niranjan Fruit पानी में फूल जाए. आपको इसे सुबह खाली पेट खाना है और फिर से एक गिलास पानी ऊपर से डाल देना है. इस तरह से आपको कुछ ही दिनों में बवासीर/Piles से मुक्ति मिल जाएगी. इसके अलावा गर्भाशय से अधिक मात्रा में रक्त का स्राव हो रहा है, तो ऐसे में निरंजन फल को रात के पानी में भिगोकर सुबह खाने से काफी राहत मिलता है.
ये भी पढ़ें: इस एक औषधीय पौधे में हैं कई गजब के फायदे, बाल झड़ने से लेकर इन बीमारियों से दिलाएगा राहत
बवासीर होने के कारण/Reasons of Piles
-
मोटापा
-
लगातार कब्ज की समस्या होना
-
शौच करते समय ज्यादा जोर लगाना
-
जरूरत से ज्यादा वजन
-
बार-बार डायरिया होना
-
प्रेगनेंसी या फिर बच्चे के जन्म के बाद अक्सर महिलाओं को बवासीर हो जाती है.