हमारे खाने-पीने की आदद का स्वभाव और शरीर दोनों पर असर पड़ता है और भारत के संदर्भ में यह बात सच है.क्योंकि भारत में जड़ी-बूटियों और आयुर्वेद के जरिए इलाज खोजने की कोशिश की जाती है. आयुर्वेदिक दवाएं लेते समय, एक सख्त आहार बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि दवाएं काम नहीं करती हैं यदि रोगी भोजन के नियमों का पालन नहीं करता है.
इन आयुर्वेदिक सिद्धांतों में से कई सालों पुरान हैं जो हमारी मां और दादी ने हमें सिखाएं हैं.जैसे, कीड़े मारने के लिए खाली पेट नीम के पत्ते खाए या ठंड का इलाज करने के लिए कड़ा तैयार करना, जो एक वैज्ञानिक आयुर्वेदिक इलाज है. ये घरेलू नुस्खें हमें कई बीमारियों से बचा कर रखते हैं.
इन्हीं घरेलू और आयुर्वेदिक ठंडी चाय भी है, जो दादी अक्सर गर्मियों में दिया करती थी. यह ठंडी चाय जिसे उन्होंने गर्मियों के दौरान हमें नियमित रूप से पिलाया क्योंकि उन्होंने दावा किया कि यह रोगाणु के खिलाफ हमारी प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करेगी। बारिश के मौसम में भी यह काफी लाभकारी है। इनमें अदरक, तुलसी, हल्दी, लौंग और काली मिर्च का सेवन शामिल है.
बनाने की विधि...
2 कप पानी उबालें. फिर, उसमें आधा चम्मच कटा हुआ अदरक, एक चुटकी पिसी हुई हल्दी, आधा चम्मच कुटी हुई लौंग, काली मिर्च और 5 तुलसी के पत्तों को उबलने दे.
3 मिनट के लिए उबाल लें और फिर गैस बंद कर दें. इसे 2-3 घंटे के लिए फ्रिज में ठंडा करने रख दें.
इसके बाद इसे बाहर निकाल ले और 1 चम्मच नींबू का रस और या 1 चम्मच शहद मिलाकर सर्व करें.
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