भारत में चावल कई राज्यों में उगाया जाता है, लेकिन ब्राउन राइस विशेष रूप से बिहार (भागलपुर, बांका), छत्तीसगढ़ (दंतेवाड़ा) और कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों में अधिक मात्रा में उत्पादन किया जाता है। ब्राउन राइस सफेद चावल की तुलना में एक पौष्टिक विकल्प है, क्योंकि इसमें चोकर (ब्रान) की परत बनी रहती है, जो फाइबर, विटामिन, खनिज, मैग्नीशियम, और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। यह परत सफेद चावल बनाने की प्रक्रिया में हट जाती है, जिससे उसके पोषण मूल्य में कमी आ जाती है।
ब्राउन राइस न केवल शरीर को ऊर्जा देता है, बल्कि नियमित सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है, रक्त शर्करा नियंत्रित रहती है, और लंबे समय तक पेट भरा महसूस होता है। इसकी इन्हीं खूबियों के कारण इसे वजन घटाने और दिल की सेहत सुधारने के लिए एक बेहतरीन सुपरफूड माना जाता है।
ब्राउन राइस के फायदे
- पाचन में करता है सुधार
ब्राउन राइस में सफेद चावल की तुलना में अधिक फाइबर होता है। फाइबर पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करता है। अगर इसे रोजाना डाइट में शामिल किया जाए तो पेट से जुड़ी समस्याओं में काफी राहत मिलती है।
- मोटापे को करता है नियंत्रित
आजकल लोग बढ़ते वजन को लेकर चिंतित रहते हैं और कई प्रकार की दवाएँ या डाइट ट्रेंड्स अपनाते हैं। लेकिन ब्राउन राइस प्राकृतिक रूप से वजन नियंत्रण में मदद करता है। इसमें मौजूद फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा रखता है, जिससे अनावश्यक भूख कम होती है और कैलोरी का सेवन घट जाता है, जो वजन कम करने में सहायक है।
- मधुमेह के मरीजों के लिए लाभकारी
मधुमेह के मरीजों के लिए खान-पान का विशेष ध्यान रखना होता है। ब्राउन राइस का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) सफेद चावल की तुलना में कम होता है, जिससे रक्त शर्करा स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है। यह डायबिटीज नियंत्रण में मदद करता है और हाई शुगर के जोखिम को कम करता है।
- दिल की सेहत के लिए फायदेमंद
ब्राउन राइस में मौजूद घुलनशील फाइबर, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने में मदद करते हैं, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है। डॉक्टर भी हृदय रोग से पीड़ित लोगों को संपूर्ण अनाज (whole grains) को आहार में शामिल करने की सलाह देते हैं।
किन लोगों को ब्राउन राइस से परहेज़ करना चाहिए?
हालाँकि ब्राउन राइस पोषक तत्वों से भरपूर है, लेकिन कुछ लोगों को इसका सेवन सीमित या बिल्कुल नहीं करना चाहिए-
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छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाएं
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पाचन समस्याओं जैसे गैस, सूजन या इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) वाले लोग
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कीटो या लो-कार्ब डाइट लेने वाले लोग
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जिन लोगों को चावल या चोकर से एलर्जी है