सब्यसाची दास ने गुरूवार शाम को कहा कि अपने देश की 60 फीसद किसानी बारिश पर निर्भर करती है.सब्यसाची दास रिवाइटलाइजिंग रेनफेड एग्रीकल्चर नेटवर्क (आरआरएएन) के राष्ट्रीय समन्वयक है. भारत दुनिया का बारिश पर निर्भर होकर खेती करने और उपज के मामले में पहले स्थान पर आता है. लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण किसानों को फसल के ख़राब होने का सामना करना पड़ता है.
आरआरएएन, राष्ट्रीय वर्षा क्षेत्र प्राधिकरण कृषि, केंद्रीय किसान कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान के सहयोग से 'रिवाइटलाइजिंग रेनफेड एग्रीकल्चर : रिस्ट्रक्च रिंग पॉलिसी एंड पब्लिक इन्वेस्टमेंट टू एड्रेस एग्रेरियन क्राइसिस' के बिषय पर सब्यसाची दास दो दिन के सम्मेलन पर अपना वक्तव्य दे रहे थे. इस सम्मेलन में देश के कोने-कोने से किसान नीति निमार्ताओं, शोधकताओं, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकताओ ने हिस्सा लिया.
कृषि विशेषज्ञों का मानना है की देश में कृषि संकट दूर करने के लिए बारिश के पानी पर निर्भर होने के बजाय खेती में बदलाव के लिए व्यापक निवेश और उपयुक्त नीतिगत रूपरेखा तैयार करने की आवश्यकता है. खेती में हमेशा से ही नीतियों और निवेशो का अभाव रहा है. इस सम्मेलन का मुख्य उद्देशय बारिश पर आधारित खेती से जुड़े अहम विषयों पर केंद्र और राज्य सरकार के स्तर से नीतियों को बनाने की आवशकता पर बल देना था.
साल 2012 के राष्ट्रीय वर्षा क्षेत्र प्राधिकरण के अनुसार देश के 593 जिलों में से 499 जिलों में बारिश होती है. बारिश पर निर्भर होकर खेती वाले क्षेत्रो से खाद्य उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान रहता है. देश के लगभग 90 फीसदी ज्वार,बाजरा और जौ और दलहनों का 88 फीसदी, कपास 73 फीसदी, तिलहन 69 फीसदी और चावल का 40 फीसदी उत्पादन बारिश पर निर्भर करता है.