देश में कोरोना काल में लगे लॉकडाउन की वजह से जहां हर क्षेत्र के लोगों को मुश्किलें आ रही हैं, वहीं इसमें किसान भी शामिल हैं. जहां अभी तक किसान मौसम की मार ही झेल रहा था, वहीं अब लॉकडाउन संबंधी परेशानियां भी सामने आ रही हैं. हालांकि सरकार ने काफी हद तक किसानों की समस्याओं का समाधान निकाला हुआ है. ऐसे में किसान निश्चिन्त होकर अपनी खेती और संबंधित कार्य, जैसे कटाई-बुवाई पूरे कर सकते हैं. साथ हा, आने वाले समय में उन्हें इस बात पर खास ध्यान देना होगा कि वे किस फसल की बुवाई कर रहे हैं. किसान सही समय पर सही फसल का चुनाव कर उसकी खेती करके अच्छी पैदावार और मुनाफ़ा कमा सकते हैं.
आज हम आपको इसी कड़ी में यह बताने जा रहे हैं कि किसान अप्रैल में बोई जाने वाली सब्जियों (April crops) के तहत ज़ुकिनी की बुवाई (zucchini farming) कर सकते हैं. वैसे zucchini को चप्पन कद्दू के नाम से भी जाना जाता है, यानी आज हम आपको ज़ुकिनी की खेती (चप्पन कद्दू की खेती) के बारे में बताने जा रहे हैं. इस फसल की बुवाई (crop cultivation) करने से किसान डबल मुनाफ़ा भी कमा सकते हैं क्योंकि बाजार में इसकी मांग काफी है.
ज़ुकिनी सब्जी कद्दू वर्ग की है. जहां पहले इसकी खेती केवल विदेशों में ही होती थी, वहीं अब भारत में भी किसान इसकी बुवाई करने लगे हैं. इसके पौधे झाड़ियों की तरह दिखते हैं. साथ ही डेढ़ से 3 फीट तक इनकी लम्बाई होती है. ये गोलनुमा भी हो सकती हैं. यह हरे या पीले रंग की होती है.
ज़ुकिनी की उन्नत किस्में (Improved varieties of zucchini)
ऑस्ट्रेलियन ग्रीन 4-5, पूसा पसंद, अर्ली यलो प्रोलीफिक, पैटीपैन.
ज़ुकिनी की खेती के लिए जलवायु और भूमि (Climate and land for cultivation of zucchini)
इसकी खेती के लिए गर्म जलवायु उचित है क्योंकि यह ज्यादा ठंड और पाला सहन नहीं कर सकती. ज़ुकिनी की खेती के लिए अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए, लगभग 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित है. फसल के लिए बलुई दोमट भूमि जिसमें जल निकास का उत्तम प्रबंध हो, उपयुक्त मानी गई है.
ज़ुकिनी फसल के लिए खेत की तैयारी (Field preparation for zucchini harvest)
किसानों को इसके लिए खेत की 3 से 4 जुताई करनी चाहिए. साथ ही, बीज की बुवाई के लिए नाली के साथ थालों की भी व्यवस्था हो. आप सहफसली खेती (inter-cropping) के तौर पर दूसरी फसलों के साथ मेड़ों पर भी इसकी बुवाई कर सकते हैं.
बीज की मात्रा और बुवाई (Seed quantity and sowing)
ज़ुकिनी की खेती के लिए किसान एक हेक्टेयर खेत के लिए 7 से 8 किलोग्राम बीज ले सकते हैं. अंकुरित करके बीजों को खेत में 1 से 1.5 मीटर की दूरी पर 30 से 40 सेंटीमीटर चौड़ी नालियों के दोनों किनारों यानी मेड़ों पर 60 से 75 सेंटीमीटर की दूरी पर बोएं.
ज़ुकिनी की खेती में खाद एवं उर्वरक (Manure and Fertilizer in Zucchini Cultivation)
फसल के बेहतर उत्पादन के लिए किसान कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. बीज बुवाई के 2 से 3 हफ्ते पहले मिट्टी में अच्छी तरह खाद मिला दें. साथ ही, 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से लें. फास्फोरस और पोटाश के साथ एक तिहाई नाइट्रोजन नालियों में डाल कर मिट्टी में मिला दें. बाकी नाइट्रोजन दो बराबर भागों में करके बुवाई के एक महीने बाद नालियों में इस्तेमाल करें और गुड़ाई कर मिट्टी चढ़ाएं. पौधों के विकास के दौरान भी इसका इस्तेमाल करें.
ज़ुकिनी की सिंचाई (Irrigation of Zucchini)
ग्रीष्मकालीन फसल होने की वजह से इसकी 7 दिन यानी लगभग हफ्ते भर के अन्तर पर सिंचाई करते रहें.
फलों की तुड़ाई (Fruit Picking)
जब ज़ुकिनी पूर्ण रूप से विकसित हो जाए, तभी मुलायम रहते ही उसकी तुड़ाई कर लें जिससे बाजार में उसकी गुणवत्ता की अच्छी कीमत मिल सके.