Titar Farming: किसानों के लिए है बेहद फायदेमंद तीतर पालन, कम लागत में होगी मोटी कमाई ग्रीष्मकालीन फसलों का रकबा बढ़ा, 7.5% अधिक हुई बुवाई, बंपर उत्पादन होने का अनुमान Rural Business Idea: गांव में रहकर शुरू करें कम बजट के व्यवसाय, होगी हर महीने लाखों की कमाई आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान!
Updated on: 17 August, 2022 2:21 PM IST
Zero Budget Farming

अक्सर यह कहा जाता है कि खेती में लागत ज्यादा आती है और मुनाफा कम होता है, इसलिए यह बहुत महंगा काम है और झंझट वाला भी. ऐसे में अगर कहा जाए कि आपको रसायनिक खादों के लिए इधर-उधर चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और आप खुद ही खाद बनाकर खेतीबाड़ी कर सकते हैं, तो आपको बहुत आश्चर्य होगा, लेकिन ऐसा संभव है. जी हां... ऐसा जीरो बजट खेती में करना संभव हो गया है.

प्राकृतिक खादों का होता है प्रयोग

जीरो बजट खेती के अंतर्गत फसलों के उत्पादन में रसायनिक खादों के बजाय प्राकृतिक खाद का उपयोग किया जाता है. रसायनिक कीटनाशकों को भी पूरी तरह से छोड़ते हुए देसी गाय के गोबर, मूत्र और पत्तियों से खाद बनाई जाती है. ऐसा करने से किसानों की लागत ना के बराबर हो जाती है.

कैसे की जाती है जीरो बजट खेती

इस खेती के अंतर्गत रासायनिक खादों के बजाय प्राकृतिक खाद का उपयोग करते हुए खेती की जाती है. रासायनिक कीटनाशक जो कि बहुत हानिकारक होते हैं, उन्हें धत्ता दिया जाता है.

कौन है जीरो बजट फार्मिंग के जनक

पूर्व कृषि वैज्ञानिक सुभाष पालेकर को जीरो बजट फार्मिंग की इस शानदार तकनीक का जनक कहा जाता है.

क्या है जीरो बजट फार्मिंग

जीरो बजट फार्मिंग के अंतर्गत प्राकृतिक खेती को अपनाया जाता है. इसमें देसी गाय के गोबर मूत्र और पत्तियों से खाद और कीटनाशक बनाए जाते हैं. इस तरह की खेती में जीवामृत बीजामृत, आच्छादन, मल्चिंग और भाप का इस्तेमाल खाद और कीटनाशक के रूप में किया जाता है. यह चारों इस खेती के मुख्य आधार है.

जमीन बनेगी उपजाऊ और खेती से मिलेगा मिला मुनाफा

प्राकृतिक कीटनाशक और खाद का प्रयोग करने से शून्य बजट प्राकृतिक खेती के दौरान जमीन स्वभाविक रूप से उपजाऊ बनी रहेगी और पैदावार भी बढ़ेगी. लागत कम होने से किसानों का मुनाफा बढ़ने में कोई संदेह नहीं है.

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक

शून्य बजट प्राकृतिक खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग पूरी तरह से निषेध है. इस तकनीक में किसान प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग करके ही खेती कर सकता है. इससे जो उपज होगी उसका अच्छा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ेगा. आज वैसे भी बाजार में केमिकल रहित उत्पादों की मांग बहुत बढ़ गई है और लोग उसके लिए अच्छी कीमत देने को तैयार है.

दोनों पक्षों को होगा लाभ

रासायनिक खेती के उत्पाद न केवल किसान भाइयों की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि उपभोग करने वाले ग्राहकों को भी बीमार करते हैं. जीरो बजट खेती के अंतर्गत प्राकृतिक कीटनाशकों का प्रयोग करने से किसान भाई भी स्वस्थ रहेंगे और उत्पादों का प्रयोग करने वाले ग्राहक भी. यानी उत्पादक और उपभोक्ता दोनों ही पक्षों को लाभ होगा. जीरो बजट खेती से पैदा की गई सब्जियां और फल बाजार में धड़ल्ले से बिकेंगे और अच्छी कीमत भी मिलेगी. यह अच्छे स्वास्थ्य के साथ-साथ मुनाफे की भी गारंटी देती है. यही कारण है कि आजकल जीरो बजट खेती का चलन बहुत बढ़ गया है.

English Summary: Zero Budget Farming will bring benifits for farmers
Published on: 17 August 2022, 02:25 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now