चुकंदर एक कंदवर्गीय फसल है जिसे फल, सब्जी और सलाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं. चुकंदर में आयरन भरपूर मात्रा में होता है इसके सेवन से शरीर में खून की मात्रा बढ़ती और इम्यूनिटी भी मजबूत रहती है इसका सेवन करना शरीर के लिये जितना फायदेमंद है उतनी ही फायदेमंद इसकी खेती है. क्योंकि चुकंदर का इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधी के रूप में भी होता है, जिससे कैंसर जैसी घातक बीमारियों का उपचार होता है. किसान चुकंदर की खेती से सिर्फ 3 महीने में 300 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं.
चुकंदर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान-
ठंडे क्षेत्र चुकंदर की खेती के लिए उपयुक्त है और सर्दियों का मौसम भी काफी अच्छा माना जाता है, क्योंकि इसकी खेती के लिए बारिश की भी जरूरत नहीं होती है, इसलिए अधिक वर्षा पैदावार को प्रभावित कर सकती है. पौधों को अंकुरित होने के लिए सामान्य तापमान की जरूरत होती है और 20 डिग्री तापमान को विकास के लिए उपयुक्त माना जाता है.
चुकंदर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी –
चुकंदर की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी की जरूरत होती है इसकी खेती को जलभराव वाली भूमि में नहीं करना चाहिए क्योंकि फल सड़न जैसी समस्याएं होती हैं. चुकंदर की खेती में भूमि का पीएच मान 6-7 के बीच होना चाहिए.
चुकंदर की खेती के लिए खेत की तैयारी-
चुकंदर की फसल लगाने के लिए मिट्टी को महीन और दरदरा बनाना चाहिए. कल्टीवेटर और रोटावेटर मशीनों की मदद से खेतों की जुताई का काम कई गुना आसान हो जाता है. इसके बाद आखिरी जुताई से पहले प्रति एकड़ खेत में 4 टन गोबर की खाद डाली जाती है और पाटा लगाकर चुकंदर की बुवाई करते हैं.
चुकंदर की बुवाई-
बेहतर पैदावार के लिए चुकंदर की बुवाई 2 विधियों से करना चाहिए जिसमें छिटकवां विधि और मेड़ विधि शामिल है. छिटकवां विधि में क्यारियां बनाकर बीजों को छिड़का जाता है, जिससे खाद और मिट्टी के बीच इन बीजों का अंकुरण होता है इस विधि में करीब 4 किलोग्राम प्रति एकड़ बीजों की जरूरत पड़ती है. मेड़ विधि से बुवाई करने के लिए 10 इंच की दूरी ऊंची मेड़ या बेड बनाते है जिनपर 3-3 इंच की दूरी रखकर मिट्टी में बीजों को लगाते हैं. इस विधि में अधिक बीजों की जरूरत नहीं होती और कृषि कार्य में भी आसानी होती है.
चुकंदर की खेती के लिए सिंचाई-
चुकंदर की फसल में पहली सिंचाई बीच की रोपाई के बाद और दूसरी सिंचाई निराई-गुड़ाई के बाद यानी 20-25 दिनों में की जाती है. जिससे बीजों का अंकुरण और पौधों का विकास ठीक से हो सके.
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चुकंदर की खेती से आमदनी-
चुकंदर की बिजाई के बाद फसल 120 दिन यानी 3 महीने में पककर तैयार हो जाती है. जिससे 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन ले सकते हैं. बाजार में चुकंदर का भाव 60 रुपये प्रति किलो तक होता है इसका इस्तेमाल पशु चारे के रूप में भी किया जाता है.