आज के समय में पशुओं के चारे के दाम सातवें आसमान पर पहुंच गए हैं. वहीं बाजार में मिलने वाले चारो की गुणवत्ता में भी गिरावट आयी है. ऐसे में आप बरसीम की खेती कर पशुओं के चारे का प्रबंध कर सकते हैं. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.
बरसीम फसल
बरसीम की खेती मुख्य तौर पर पशुओं के चारे के रूप में की जाती है. इसके फूल पीले और सफेद रंग के होते हैं. बरसीम की खेती अन्य मसाला फसलों के साथ की जा सकती है.
मिट्टी
बरसीम की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त है. हालांकि इसकी खेती भारी मिट्टी में भी हो सकती है. इसकी खेती का एक लाभ और भी है कि यह मिट्टी की उपजाऊ शक्ति एवं रासायनिक क्रियाओं को सुधारती है.
बिजाई
इसकी खेती के लिए सबसे पहले खेतों की जोताई कर उन्हें समतल कर लें. फसलों के विकास के लिए ज़मीन में पानी निकासी की व्यवस्था करें. ध्यान रहे कि जोताई के बाद सुहागा फेरना जरूरी है.
सिंचाई
सर्दियों के दिनों में हर दूसरे सप्ताह पर सिंचाई होनी चाहिए, इसी तरह गर्मियों के दिनों में हर सप्ताह सिंचाई करनी चाहिए. ध्यान रहे कि खेतों में पानी न भरने पाए, जल जमाव की स्थिती में बरसीम का पौधा खराब हो सकता है.
बीमारी से रोकथाम
इस फसल को मुख्य खतरा तने गलने वाली बीमारी से है. यह मिट्टी से पैदा होने वाला रोग है, जिसके प्रभाव में आकर ज़मीनी स्तर के नज़दीक वाला तना खराब हो जाता है. इससे बचाव के लिए प्रभावित पौधों को निकालें और उन्हें नष्ट कर दें.
फसलों की कटाई
बरसीम की फसल बिजाई के लगभग 50 दिनों बाद कटाई योग्य हो जाती है.
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